ETV Bharat / city

Special: सवारी को तरस रहे ऑटो चालकों की दर्द-ए-दास्तां सुनिए....

धार्मिक पर्यटन नगरी अजमेर में करीब 1200 ऑटो रिक्शा हैं. ईटीवी भारत ने कोरोनाकाल में आर्थिक संकट से गुजर रहे ऑटो रिक्शा चालकों से मुलाकात कर उनके हालात जाने.

condition of auto rickshaw drivers in Ajmer,  Condition of rickshaw drivers in Ajmer
सवारी को तरस रहे ऑटो चालकों की दर्द-ए-दास्तां सुनिए....
author img

By

Published : May 23, 2021, 10:14 PM IST

अजमेर. कोरोना की दूसरी लहर का कहर जारी है. कोरोना महामारी ने लोगों को घर में रहने को मजबूर कर दिया है. इस कारण लोगों के रोजगार छीन गए हैं. खासकर रोज कमाने खाने वालों पर तो मुश्किलों का पहाड़ टूट पड़ा है. इन मेहनतकश लोगों में ऑटो रिक्शा चालकों की भी बड़ी संख्या है.

सवारी को तरस रहे ऑटो चालकों की दर्द-ए-दास्तां सुनिए....

पढ़ें- SPECIAL : कोरोना संक्रमित मरीज की मृत्यु होने पर प्रोटोकॉल के साथ परिजनों को सौंपा जाता है शव...जानिये पूरी प्रक्रिया

रोजी-रोटी का संकट

अजमेर के लिए वरदान तीर्थ नगरी पुष्कर में विश्व के इकलौते ब्रह्मा मंदिर और अजमेर में सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह है. अजमेर की अर्थव्यवस्था दोनों ही प्रमुख तीर्थ स्थलों पर आने वाले श्रद्धालुओं की वजह से है. लेकिन कोरोना महामारी की वजह से देश के प्रमुख मंदिर, दरगाह, गुरुद्वारा सहित अन्य धार्मिक स्थलों को श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिया गया है. ऐसे में पिछले 14 महीने में अजमेर के भी दोनों धार्मिक स्थल बंद होने की वजह से अर्थव्यवस्था को करारा झटका लगा है. कई छोटे-बड़े उद्योग और दुकानदार आर्थिक मंदी से गुजर रहे हैं. अजमेर के 1200 ऑटो रिक्शा चालक भी संकट में हैं. ऑटो चालकों का रोजगार भी श्रद्धालुओं के आने-जाने पर ही निर्भर था.

कम ट्रेन चलने और बस बंद होने से परेशानी

कोरोना महामारी में ज्यादातर ट्रेनों का संचालन बंद हो गया है. राजस्थान में लॉकडाउन की वजह से अजमेर में रोडवेज भी बन्द है. इसका प्रभाव ऑटो रिक्शा चालकों पर भी पड़ा है. रेलवे स्टेशन के भीतर 150 ऑटो रिक्शा संचालकों के अलावा अन्य स्टैंड के ऑटो रिक्शा को संचालन की अनुमति लॉक डाउन में नहीं मिली है. लिहाजा करीब 1050 ऑटो रिक्शा खड़े हैं.

condition of auto rickshaw drivers in Ajmer,  Condition of rickshaw drivers in Ajmer
कैसे चलेगी परिवार की गाड़ी

बैंक की किस्त भी नहीं दे पा रहे

ऑटो चालकों के सामने बैंक की किस्तें और परिवार के भरण पोषण का संकट खड़ा हो गया है. अजमेर रेलवे स्टेशन पर हालात यह है कि यात्री कम और ऑटो ज्यादा हैं. ट्रेन के प्लेटफार्म पर रुकने से पहले ही ऑटो रिक्शा चालक रेलवे स्टेशन के बाहर यात्री के आने का इंतजार करने लगते हैं. कई बार तो कई ऑटो रिक्शा चालकों की बोहनी तक नहीं होती.

बमुश्किल 100-150 रुपए ही कमाई

ऑटो रिक्शा चालक लक्ष्मण सिंह बताते हैं कि लॉकडाउन में सुबह से शाम तक सौ से डेढ़ सौ रुपए कभी मिल जाते हैं, जिससे दूध-सब्जी का खर्चा निकल जाता है. अनाज सरकार की तरफ से मिल जाता है, जिससे गुजारा हो रहा है. लेकिन परिवार चलाने के लिए यह काफी नहीं है. ऑटो रिक्शा की बैंक की किश्त नहीं जा पा रही है. ऑटो रिक्शा चालक आर्थिक संकट से ही नहीं मानसिक तनाव से भी जूझ रहे हैं.

condition of auto rickshaw drivers in Ajmer,  Condition of rickshaw drivers in Ajmer
ऑटो रिक्शा

पढ़ें- SPECIAL : जयपुर में 24 घंटे काम कर रहे हैं कोविड डेडिकेटेड कंट्रोल रूम...बेड, ऑक्सीजन, रेमडेसिविर से लेकर तमाम जानकारियों के लिए संपर्क करें

स्कूल बंद होने से संकट

अजमेर में एक दर्जन से भी ज्यादा ऑटो स्टेंड हैं. इनमें 800 के लगभग ऑटो रिक्शा स्कूली बच्चों को लाने ले जाने का काम करते हैं. 14 महीने से स्कूल बंद हैं. श्रद्धालुओं का आना-जाना भी बंद हो चुका है. इसलिए ऑटो चालकों के रोजगार पर गहरा प्रभाव पड़ा है.

पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने से भी मुसीबत

ऑटो यूनियन के अध्यक्ष सुनील बताते हैं कि ज्यादातर ऑटो रिक्शा चालकों ने बैंक से लोन लेकर ऑटो रिक्शा खरीदे हैं. 10 महीने से ऑटो रिक्शा चालक बैंक की किस्त जमा नहीं कर पा रहे हैं. उन्होंने बताया कि रेलवे ने उन्हें ऑटो रिक्शा संचालन की अनुमति दी है. लेकिन ट्रेनों का संचालन कम होने की वजह से यात्री नहीं आ रहे हैं. जिस कारण ऑटो रिक्शा चालकों को रोजगार नहीं मिल पा रहा है. कभी कोई ऑटो रिक्शा चालक दिन भर में डेढ़ सौ रुपए कमा लेता है लेकिन इससे उसका और उसके परिवार का गुजारा नहीं होता. पेट्रोल-डीजल के दाम भी काफी बढ़ चुके हैं.

condition of auto rickshaw drivers in Ajmer,  Condition of rickshaw drivers in Ajmer
अजमेर रेलवे स्टेशन पर ऑटो रिक्शा

घर-परिवार चलाना मुश्किल

ऑटो रिक्शा चालक अमर सिंह ने बताया कि उसके परिवार में 7 सदस्य हैं. परिवार पूरी तरह ऑटो रिक्शा से होने वाली आय पर निर्भर है. यात्रियों के नहीं आने से आए नहीं हो रही. परिवार का भरण-पोषण करना मुश्किल हो रहा है.

भूखे मरने की नौबत...

ऑटो रिक्शा चालक नारायण ने बताया कि हालात कब सुधरेंगे कोई नहीं जानता लेकिन ऐसा लंबे समय तक रहा तो ऑटो रिक्शा चालकों के सामने भूखे मरने की नौबत आ जाएगी. बैंकों की किश्त नहीं चुकाने पर ऑटो रिक्शा भी हाथ से निकल जाएगा.

condition of auto rickshaw drivers in Ajmer,  Condition of rickshaw drivers in Ajmer
यात्रियों के इंतजार में ऑटो चालक

यात्री कम, ऑटो रिक्शा ज्यादा

अजमेर में 2 बड़े धार्मिक स्थल होने की वजह से ट्रेनों के जरिए हर रोज हजारों लोगों का आना जाना रहता है. कोरोना संकट से पहले रेलवे स्टेशन पर हालात ऐसे थे कि सिटी ऑटो रिक्शा चालकों को सवारी की कोई कमी नहीं रहती थी. लेकिन बदलते हालातों से आज रेलवे स्टेशन पर यात्री काम और ऑटो रिक्शा ज्यादा नजर आते हैं.

ऑटो रिक्शा चालकों को ना किसी से आर्थिक मदद मिली है और ना ही बैंक किस्तों में रियायत. दोहरी मार झेल रहे ऑटो रिक्शा चालकों के सामने बड़ी मुसीबत खड़ी हो गई है.

अजमेर. कोरोना की दूसरी लहर का कहर जारी है. कोरोना महामारी ने लोगों को घर में रहने को मजबूर कर दिया है. इस कारण लोगों के रोजगार छीन गए हैं. खासकर रोज कमाने खाने वालों पर तो मुश्किलों का पहाड़ टूट पड़ा है. इन मेहनतकश लोगों में ऑटो रिक्शा चालकों की भी बड़ी संख्या है.

सवारी को तरस रहे ऑटो चालकों की दर्द-ए-दास्तां सुनिए....

पढ़ें- SPECIAL : कोरोना संक्रमित मरीज की मृत्यु होने पर प्रोटोकॉल के साथ परिजनों को सौंपा जाता है शव...जानिये पूरी प्रक्रिया

रोजी-रोटी का संकट

अजमेर के लिए वरदान तीर्थ नगरी पुष्कर में विश्व के इकलौते ब्रह्मा मंदिर और अजमेर में सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह है. अजमेर की अर्थव्यवस्था दोनों ही प्रमुख तीर्थ स्थलों पर आने वाले श्रद्धालुओं की वजह से है. लेकिन कोरोना महामारी की वजह से देश के प्रमुख मंदिर, दरगाह, गुरुद्वारा सहित अन्य धार्मिक स्थलों को श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिया गया है. ऐसे में पिछले 14 महीने में अजमेर के भी दोनों धार्मिक स्थल बंद होने की वजह से अर्थव्यवस्था को करारा झटका लगा है. कई छोटे-बड़े उद्योग और दुकानदार आर्थिक मंदी से गुजर रहे हैं. अजमेर के 1200 ऑटो रिक्शा चालक भी संकट में हैं. ऑटो चालकों का रोजगार भी श्रद्धालुओं के आने-जाने पर ही निर्भर था.

कम ट्रेन चलने और बस बंद होने से परेशानी

कोरोना महामारी में ज्यादातर ट्रेनों का संचालन बंद हो गया है. राजस्थान में लॉकडाउन की वजह से अजमेर में रोडवेज भी बन्द है. इसका प्रभाव ऑटो रिक्शा चालकों पर भी पड़ा है. रेलवे स्टेशन के भीतर 150 ऑटो रिक्शा संचालकों के अलावा अन्य स्टैंड के ऑटो रिक्शा को संचालन की अनुमति लॉक डाउन में नहीं मिली है. लिहाजा करीब 1050 ऑटो रिक्शा खड़े हैं.

condition of auto rickshaw drivers in Ajmer,  Condition of rickshaw drivers in Ajmer
कैसे चलेगी परिवार की गाड़ी

बैंक की किस्त भी नहीं दे पा रहे

ऑटो चालकों के सामने बैंक की किस्तें और परिवार के भरण पोषण का संकट खड़ा हो गया है. अजमेर रेलवे स्टेशन पर हालात यह है कि यात्री कम और ऑटो ज्यादा हैं. ट्रेन के प्लेटफार्म पर रुकने से पहले ही ऑटो रिक्शा चालक रेलवे स्टेशन के बाहर यात्री के आने का इंतजार करने लगते हैं. कई बार तो कई ऑटो रिक्शा चालकों की बोहनी तक नहीं होती.

बमुश्किल 100-150 रुपए ही कमाई

ऑटो रिक्शा चालक लक्ष्मण सिंह बताते हैं कि लॉकडाउन में सुबह से शाम तक सौ से डेढ़ सौ रुपए कभी मिल जाते हैं, जिससे दूध-सब्जी का खर्चा निकल जाता है. अनाज सरकार की तरफ से मिल जाता है, जिससे गुजारा हो रहा है. लेकिन परिवार चलाने के लिए यह काफी नहीं है. ऑटो रिक्शा की बैंक की किश्त नहीं जा पा रही है. ऑटो रिक्शा चालक आर्थिक संकट से ही नहीं मानसिक तनाव से भी जूझ रहे हैं.

condition of auto rickshaw drivers in Ajmer,  Condition of rickshaw drivers in Ajmer
ऑटो रिक्शा

पढ़ें- SPECIAL : जयपुर में 24 घंटे काम कर रहे हैं कोविड डेडिकेटेड कंट्रोल रूम...बेड, ऑक्सीजन, रेमडेसिविर से लेकर तमाम जानकारियों के लिए संपर्क करें

स्कूल बंद होने से संकट

अजमेर में एक दर्जन से भी ज्यादा ऑटो स्टेंड हैं. इनमें 800 के लगभग ऑटो रिक्शा स्कूली बच्चों को लाने ले जाने का काम करते हैं. 14 महीने से स्कूल बंद हैं. श्रद्धालुओं का आना-जाना भी बंद हो चुका है. इसलिए ऑटो चालकों के रोजगार पर गहरा प्रभाव पड़ा है.

पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने से भी मुसीबत

ऑटो यूनियन के अध्यक्ष सुनील बताते हैं कि ज्यादातर ऑटो रिक्शा चालकों ने बैंक से लोन लेकर ऑटो रिक्शा खरीदे हैं. 10 महीने से ऑटो रिक्शा चालक बैंक की किस्त जमा नहीं कर पा रहे हैं. उन्होंने बताया कि रेलवे ने उन्हें ऑटो रिक्शा संचालन की अनुमति दी है. लेकिन ट्रेनों का संचालन कम होने की वजह से यात्री नहीं आ रहे हैं. जिस कारण ऑटो रिक्शा चालकों को रोजगार नहीं मिल पा रहा है. कभी कोई ऑटो रिक्शा चालक दिन भर में डेढ़ सौ रुपए कमा लेता है लेकिन इससे उसका और उसके परिवार का गुजारा नहीं होता. पेट्रोल-डीजल के दाम भी काफी बढ़ चुके हैं.

condition of auto rickshaw drivers in Ajmer,  Condition of rickshaw drivers in Ajmer
अजमेर रेलवे स्टेशन पर ऑटो रिक्शा

घर-परिवार चलाना मुश्किल

ऑटो रिक्शा चालक अमर सिंह ने बताया कि उसके परिवार में 7 सदस्य हैं. परिवार पूरी तरह ऑटो रिक्शा से होने वाली आय पर निर्भर है. यात्रियों के नहीं आने से आए नहीं हो रही. परिवार का भरण-पोषण करना मुश्किल हो रहा है.

भूखे मरने की नौबत...

ऑटो रिक्शा चालक नारायण ने बताया कि हालात कब सुधरेंगे कोई नहीं जानता लेकिन ऐसा लंबे समय तक रहा तो ऑटो रिक्शा चालकों के सामने भूखे मरने की नौबत आ जाएगी. बैंकों की किश्त नहीं चुकाने पर ऑटो रिक्शा भी हाथ से निकल जाएगा.

condition of auto rickshaw drivers in Ajmer,  Condition of rickshaw drivers in Ajmer
यात्रियों के इंतजार में ऑटो चालक

यात्री कम, ऑटो रिक्शा ज्यादा

अजमेर में 2 बड़े धार्मिक स्थल होने की वजह से ट्रेनों के जरिए हर रोज हजारों लोगों का आना जाना रहता है. कोरोना संकट से पहले रेलवे स्टेशन पर हालात ऐसे थे कि सिटी ऑटो रिक्शा चालकों को सवारी की कोई कमी नहीं रहती थी. लेकिन बदलते हालातों से आज रेलवे स्टेशन पर यात्री काम और ऑटो रिक्शा ज्यादा नजर आते हैं.

ऑटो रिक्शा चालकों को ना किसी से आर्थिक मदद मिली है और ना ही बैंक किस्तों में रियायत. दोहरी मार झेल रहे ऑटो रिक्शा चालकों के सामने बड़ी मुसीबत खड़ी हो गई है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.