अजमेर. शहर के सरकारी स्कूलों में उत्तम कोटि का भोजन परोसने वाली 'अक्षय पात्र संस्था' स्कूल बंद होने के कारण भट्टियां और चूल्हे फिलहाल बंद पड़े हैं. इस योजना द्वारा सरकारी स्कूलों में मिड-डे-मील का खाना पहुंचाया जाता है. लेकिन कोरोना के चलते लागू हुए लॉकडाउन के कारण सरकारी स्कूल बंद कर दिए गए और उन स्कूलों में खाना पहुंचाना भी बंद हो गया.
अक्षय पात्र के रीजनल मैनेजर बलबीर सिंह ने बताया कि लगभग 24 हजार बच्चों को गर्म भोजन सप्लाई किया जाता है. इसके अलावा अस्पताल में भी अक्षय कलेवा का खाना पहुंचाया जाता था, लेकिन अभी इस योजना को बंद कर दिया गया है. संस्था को स्कूल खुलने का इंतजार है, लेकिन कोरोना काल में जिला प्रशासन की ओर से लगभग 10 लाख लोगों के लिए भोजन तैयार किया गया था. जिन्हें कोरोना काल के दौरान वितरित किया गया.
कोरोना काल में प्रशासन के लिए एक मात्र विकल्प रहा
कोरोना के चलते लागू हुए लॉकडाउन में एकमात्र संसाधन था, जिसके जरिए लोगों को खाना पहुंचाने का कार्य किया जा रहा था. नगर निगम, प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा, नेताओं और भामाशाहों ने अक्षय पात्र फाउंडेशन के जरिए लोगों को खाना पहुंचाने का कार्य अलग-अलग हिस्सों में किया था. उस दौरान करीब 10 लाख लोगों तक भोजन पहुंचाया गया था, जिसमें करीब 6 हजार लोगों का भोजन तैयार किया जाता था. इस योजना के तहत एक दिन में लगभग एक लाख रोटियां तैयार की गई थीं. इसके अलावा लगभग 100 लोगों को सूखी सामग्री के पैकेट भी वितरित किए गए थे.
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कोरोना ने छीना कई लोगों का रोजगार
बलबीर सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि इस महामारी के बीच कई लोगों का रोजगार छिन चुका है, जिसमें लगभग अक्षय पात्र रसोई में 60 से 70 लोग कार्य करते थे. लेकिन मात्र अब 10 लोगों द्वारा काम चलाया जा रहा है, क्योंकि सरकारी स्कूलों में खाना भेजना हाल-फिलहाल बंद है. ऐसे में न ही ज्यादा खपत हो पा रही है. इसके कारण अक्षय पात्रा में भी स्टाफ की काफी कमी है, जिसकी वजह से जिनकी भी रोजी-रोटी पर संकट आ चुका है.
![मिड डे मील योजना सूखी सामग्री के पैकेट रोजी रोटी का संकट ajmer news etv bharat news government school in ajmer livelihood bread crisis packet of dry ingredients mid day meal plan regional manager balbir singh akshay patra foundation](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/8550092_3.jpg)
वहीं इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में पोषाहार पकाने वाली महिलाओं को भी वेतन नहीं मिल पाया है. ऐसे में राज्य सरकार की ओर से अभी तक कोई गाइडलाइन भी जारी नहीं की गई है, जिनके पास आय का दूसरा साधन भी नहीं है. क्योंकि कई स्कूल ऐसे हैं, जहां आंगनबाड़ी चलती है. उनमें महिलाओं द्वारा खाना तैयार किया जाता था. अब उन महिलाओं के सामने भी रोजी-रोटी का संकट आ चुका है.
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सवा दो लाख बच्चों को मिली राशन सामग्री
पोषाहार प्रभारी केजी सोमानी ने बताया कि राजस्थान सरकार की ओर से कोरोना काल में एक गाइडलाइन जारी किया गया था, जिसके तहत सरकारी स्कूलों में आठवीं तक के विद्यार्थियों को गेहूं चावल दिया गया. लगभग 94 दिनों के लिए कक्षा 6 से 8 तक के प्रति विद्यार्थी भोजन सामग्री का वितरित किया गया था. सोमानी ने कहा कि लगभग शहर के 100 स्कूलों को पका हुआ पोषाहार का वितरण किया जाता था. इसके अलावा आठ स्कूल पुष्कर के भी पंजीकृत हैं, जिसमें 30 स्कूल हेरा फेरी गांव के पंजीकृत हैं. इसके अलावा 400 लोगों का प्रतिदिन अस्पताल के लिए अक्षय कलेवा भी यहीं से बनता था.
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अक्षय पात्र रसोई बिल्कुल विरान पड़ी हुई है. कई कमरों में ताले लगे हुए हैं और मशीनें भी बंद हैं. मानो ऐसा लग रहा है कि कहीं जिंदगी के पहिए थम से गए हों. खाना सप्लाई करने वाली गाड़ियां भी बेजान खड़ी हैं. काफी समय से खाना सप्लाई नहीं किया जा रहा, केवल मात्र राशन सामग्री इधर से उधर भेजी जा रही है. बलबीर सिंह ने कहा कि आखिर फिर से वह घड़ी कब आएगी, जिसका उन्हें इंतजार है कि थमे हुए पहिए फिर से एक बार चलेंगे और अक्षय पात्र फाउंडेशन में फिर लाखों लोगों को खाना सप्लाई किया जाएगा.
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बलबीर सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि कोरोना काल के बीच नगर निगम को अक्षय पात्र द्वारा 10 रुपए में भोजन उपलब्ध कराया जा रहा था, जिसकी लागत लगभग 17 रुपए आ रही थी. वहीं 7 रुपए का घाटा संस्था द्वारा वहन किया जा रहा था. लेकिन लोगों को समय पर भोजन मिल सके. इसको लेकर अक्षय पात्र द्वारा कार्य किया जा रहा था. ऐसे में अक्षय पात्र को लगभग 42 लाख रुपए का नुकसान अब तक हो चुका है. इसके अलावा काम करने वाले काफी लोग भी हटा दिए गए हैं.