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Special: राजस्व अदालतों में 4.97 लाख से अधिक लंबित प्रकरण, मुकदमों की लिस्टिंग नहीं होने से परेशान पक्षकार

एसडीएम, एडीएम, संभागीय आयुक्त से लेकर रेवेन्यू बोर्ड में 4 लाख 97 हजार से अधिक मुकदमे लंबित हैं. इसका खामियाजा पक्षकार को भुगतना पड़ रहा है. पक्षकारों को तारीख पर तारीख दी जा रही है.

rajasthan revenue courts pending cases, राजस्व अदालतों में मुकदमों का अंबार
राजस्व अदालतों में मुकदमों का अंबार...
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Published : Dec 14, 2020, 7:48 PM IST

अजमेर. राजस्व अदालतों में मुकदमों का अंबार लगता जा रहा है. जिसका खामियाजा पक्षकार को भुगतना पड़ रहा है. पक्षकारों को तारीख पर तारीख दी जा रही है. इस कारण मुकदमों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. एसडीएम, एडीएम, संभागीय आयुक्त से लेकर रेवेन्यू बोर्ड में 4 लाख 97 हजार से अधिक मुकदमे लंबित हैं.

लंबित मुकदमों के चलते पक्षकारों को तारीख पर तारीख दी जा रही है...

भूमि के मालिकाना हक, बंटवारे, सीमांकन, नामांतरण सहित अन्य प्रकरणों के विवाद के मुकदमे राजस्व न्यायालयों में आते हैं. इनमें पक्षकार किसान होते हैं. इसमें तहसीलदार, एसडीएम, कलेक्टर, आरएए, संभागीय आयुक्त न्यायालय सम्मिलित हैं. इसके बाद पक्षकार राजस्व मंडल में अपील करते हैं. राजस्व मंडल में लंबित मुकदमों की संख्या 62 हजार 624 है. जबकि, राजस्व मंडल की अधीनस्थ अदालतों में 4 लाख 35 हजार 268 मुकदमे लंबित चल रहे हैं.

यह भी पढ़ें: डीएनए रिपोर्ट के इंतजार में नहीं हो देरी, ट्रायल कोर्ट दर्ज करे पीड़िता का बयान: हाईकोर्ट

ईटीवी भारत के पास मौजूद राजस्व मंडल में लंबित प्रकरणों के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 1976 में 1 लंबित प्रकरण से शुरुआत हुई थी. इसके बाद हर वर्ष लंबित प्रकरणों में इजाफा होता चला गया. वर्ष 2020 में 3950 मुकदमे लंबित हुए हैं. खास बात यह है कि लंबित प्रकरणों के निस्तारण के लिए राजस्व अदालतों में सुनवाई का सिस्टम ऑनलाइन किया गया था. मगर राजस्व न्यायालयों में ऑनलाइन केस की लिस्टिंग और सुनवाई नहीं हो रही है.

राजस्व अदालतों में तहसीलदार, एसडीएम, एडीएम, कलक्टर, संभागीय आयुक्त के कार्य विकास और सरकार की योजनाओं का क्रियान्वयन और मॉनिटरिंग का भी है. ऐसे में राजस्व मामलों की सुनवाई को प्राथमिकता कम मिलती है. राजस्व प्रकरणों में सुनवाई और फाइलों के अध्ययन में समय लगता है. यही वजह है कि साल दर साल राजस्व मामलों में प्रकरणों की संख्या बढ़ती ही जा रही है.

rajasthan revenue courts pending cases, राजस्व अदालतों में मुकदमों का अंबार
उपनिवेशन से लेकर राजस्व मंडल तक लंबित प्रकरण के आंकड़ों पर एक नजर...

यह भी पढ़ें: आदेश के बावजूद नियुक्ति नहीं देने पर डीजीपी सहित अन्य को अवमानना नोटिस

राजस्व मंडल में लंबित प्रकरणों के निस्तारण के लिए प्रयास किए जा रहे हैं. खासकर पुराने मुकदमों के लिए अलग से बेंच भी है. निबंधक नम्रता वृष्णि ने बताया कि कोरोना काल में अभी भी प्रशासनिक तंत्र का बड़ा हिस्सा कोरोना से बचाव के लिए प्रबंधन में लगा हुआ है. इस कारण राजस्व मंडल ने अधीनस्थ अदालतों को प्रकरणों के निस्तारण के लिए लॉकडाउन अवधि में लक्ष्य जीरो और अनलॉक के बाद लक्ष्य अभी आधा किया गया है. राजस्व मामलों के बढ़ते लंबित प्रकरणों से किसान पक्षकारों को न्याय मिलने में देरी हो रही है. ऐसे में सरकार को भी यह सोचना होगा कि राजस्व मंडल और उसके अधीनस्थ अदालतों में लंबित प्रकरणों के निस्तारण तेजी कैसे लाई जाए, ताकि न्याय की उम्मीद लगाए बैठे किसान पक्षकारों को राहत मिल सके.

अजमेर. राजस्व अदालतों में मुकदमों का अंबार लगता जा रहा है. जिसका खामियाजा पक्षकार को भुगतना पड़ रहा है. पक्षकारों को तारीख पर तारीख दी जा रही है. इस कारण मुकदमों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. एसडीएम, एडीएम, संभागीय आयुक्त से लेकर रेवेन्यू बोर्ड में 4 लाख 97 हजार से अधिक मुकदमे लंबित हैं.

लंबित मुकदमों के चलते पक्षकारों को तारीख पर तारीख दी जा रही है...

भूमि के मालिकाना हक, बंटवारे, सीमांकन, नामांतरण सहित अन्य प्रकरणों के विवाद के मुकदमे राजस्व न्यायालयों में आते हैं. इनमें पक्षकार किसान होते हैं. इसमें तहसीलदार, एसडीएम, कलेक्टर, आरएए, संभागीय आयुक्त न्यायालय सम्मिलित हैं. इसके बाद पक्षकार राजस्व मंडल में अपील करते हैं. राजस्व मंडल में लंबित मुकदमों की संख्या 62 हजार 624 है. जबकि, राजस्व मंडल की अधीनस्थ अदालतों में 4 लाख 35 हजार 268 मुकदमे लंबित चल रहे हैं.

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ईटीवी भारत के पास मौजूद राजस्व मंडल में लंबित प्रकरणों के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 1976 में 1 लंबित प्रकरण से शुरुआत हुई थी. इसके बाद हर वर्ष लंबित प्रकरणों में इजाफा होता चला गया. वर्ष 2020 में 3950 मुकदमे लंबित हुए हैं. खास बात यह है कि लंबित प्रकरणों के निस्तारण के लिए राजस्व अदालतों में सुनवाई का सिस्टम ऑनलाइन किया गया था. मगर राजस्व न्यायालयों में ऑनलाइन केस की लिस्टिंग और सुनवाई नहीं हो रही है.

राजस्व अदालतों में तहसीलदार, एसडीएम, एडीएम, कलक्टर, संभागीय आयुक्त के कार्य विकास और सरकार की योजनाओं का क्रियान्वयन और मॉनिटरिंग का भी है. ऐसे में राजस्व मामलों की सुनवाई को प्राथमिकता कम मिलती है. राजस्व प्रकरणों में सुनवाई और फाइलों के अध्ययन में समय लगता है. यही वजह है कि साल दर साल राजस्व मामलों में प्रकरणों की संख्या बढ़ती ही जा रही है.

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उपनिवेशन से लेकर राजस्व मंडल तक लंबित प्रकरण के आंकड़ों पर एक नजर...

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राजस्व मंडल में लंबित प्रकरणों के निस्तारण के लिए प्रयास किए जा रहे हैं. खासकर पुराने मुकदमों के लिए अलग से बेंच भी है. निबंधक नम्रता वृष्णि ने बताया कि कोरोना काल में अभी भी प्रशासनिक तंत्र का बड़ा हिस्सा कोरोना से बचाव के लिए प्रबंधन में लगा हुआ है. इस कारण राजस्व मंडल ने अधीनस्थ अदालतों को प्रकरणों के निस्तारण के लिए लॉकडाउन अवधि में लक्ष्य जीरो और अनलॉक के बाद लक्ष्य अभी आधा किया गया है. राजस्व मामलों के बढ़ते लंबित प्रकरणों से किसान पक्षकारों को न्याय मिलने में देरी हो रही है. ऐसे में सरकार को भी यह सोचना होगा कि राजस्व मंडल और उसके अधीनस्थ अदालतों में लंबित प्रकरणों के निस्तारण तेजी कैसे लाई जाए, ताकि न्याय की उम्मीद लगाए बैठे किसान पक्षकारों को राहत मिल सके.

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