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Special: शोरूम वाले दुकानदार सड़क किनारे सामान बेचने पर क्यों हुए मजबूर

अजमेर में कोरोना के बाद मॉल्स और बड़ी दुकानों में सामान बेचने वाले दुकानदारों को सड़क किनारे सामान बेचने पर मजबूर होना पड़ रहा है. आर्थिक हालात इतने खराब हैं कि दुकानदारों के लिए दुकान का किराया निकालना मुश्किल हो गया है. ऐसे में उनके पास परिवार का पेट पालने के लिए सड़क किनारे दुकान लगाने के अलावा कोई चारा नहीं है. पढ़ें खास रिपोर्ट...

shopkeepers in ajmer, coronavirus impact on economy
अजमेर में दुकानदारों के बुरे हालात
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Published : Oct 19, 2020, 9:29 PM IST

अजमेर. कोरोना वायरस के संक्रमण के आगे बाजार ने घुटने टेक दिए हैं. अर्थव्यवस्था माइनस में चल रही है. ऐसे में छोटे व्यापारियों को सबसे ज्यादा नुकसान हो रहा है. जहां एक तरफ मध्यम वर्ग के ऊपर आर्थिक भार और कर्जा बढ़ा है वैसे ही बाजार भी प्रभावित हुआ है. अजमेर शहर के छोटे दुकानदार जो मॉल में दुकान किराए पर लेकर व्यापार करते थे अब उनको फुटपाथ पर दुकान लगाकर सामान बेचने की नौबत आ गई है.

छोटे दुकानदारों पर कोरोना की मार

किसी समय लाखों रुपए की पगड़ी देकर शोरूम और शॉपिंग मॉल्स में हजारों रुपए महीने के किराए पर दुकान लेने की होड़ करने वाले कारोबारी अब पेट पालने के लिए सड़क के किनारे दुकान लगाने को मजबूर हो गए हैं. कोरोना के बाद लगे लॉकडाउन में बाजार पूरी तरह से बंद हो गए. करोड़ों की संख्या में लोगों का पलायन हुआ. करोड़ों लोगों को नौकरियों से हाथ धोना पड़ा, जिसका नतीजा ये हुआ कि लोग बाजार में सामान कम खरीद रहे हैं. जिसका सीधा असर अजमेर जैसे शहर के मध्यम वर्ग वाले व्यापारियों को हुआ है.

shopkeepers in ajmer, coronavirus impact on economy
मॉल के बाहर दुकान चलाने वाला शक्ति फुटपाथ पर बेच रहा है टेडी बियर

मॉल वाली गिफ्ट आइटम की दुकान सड़क के किनारे पहुंची

शक्ति सिंह की कोरोना से पहले अजमेर के सीएसएम मॉल के बाहर गिफ्ट आइटम की दुकान थी. जहां वो 30 हजार रुपए महीने की भारी भरकम रकम किराए के रूप में देकर अपना व्यवसाय चला रहे थे. लेकिन जैसे ही कोरोना के बाद देशव्यापी लॉकडाउन लगा. सब कुछ बंद हो गया. अनलॉक में धीरे-धीरे सरकार ने बाजार को छूट देनी शुरू की. लेकिन कोरोना से पहले वाले हालात में बाजार वापस पटरी पर नहीं लौटा.

shopkeepers in ajmer, coronavirus impact on economy
कई दुकानदार कोरोना के बाद आए सड़क पर

पढ़ें: Special: असुविधाओं की भेंट चढ़ा जिला अस्पताल, मरीजों को कैसे मिले इलाज

अनलॉक में लोग घरों से निकलने में कतराने लगे और जो निकल भी रहे थे वो आर्थिक हालात माकूल नहीं होने के चलते अपनी खरीददारी को सीमित कर लिया. शक्ति सिंह ने बताया कि अनलॉक में दुकानें खुलने के बाद भी मॉल्स में लोग नहीं आ रहे हैं, जिसके चलते मुनाफा तो दूर दुकान का किराया तक जेब से भरना पड़ रहा था. इसलिए उनको मजबूर होकर अपनी गिफ्ट आइटम और टेडी बीयर की शॉप को सड़क किनारे लगाना पड़ा. शक्ति सिंह ने जयपुर रोड पर अस्थाई दुकान लगा रखी है, यहां वो हर रोज अपनी कार में सामान भरकर लाते हैं और शाम को वापस ले जाते हैं.

shopkeepers in ajmer, coronavirus impact on economy
अनलॉक में दुकान का किराया तक नहीं निकाल पा रहे हैं दुकानदार

धार्मिक स्थल बंद होने से सड़क पर आए दुकानदार

कोरोना से पहले दरगाह बाजार शनि मंदिर के पास त्रिलोक पवार जूते चप्पल की दुकान चलाते थे. त्रिलोक हर महीने दुकान का 60 हजार रुपए किराया देते थे. लेकिन कोरोना के बढ़ते संक्रमण के बाद सरकार ने सभी धार्मिक स्थलों के खुलने पर पाबंदी लगा दी. जिसके चलते त्रिलोक पवार जैसे दुकानदारों की कारोबार जो धार्मिक स्थलों पर आने वाले जायरीनों और श्रद्धालुओं पर निर्भर था, पूरी तरह से चौपट हो गया.

पढ़ें: Special: अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने वाले साइबेरियन सारस 18 साल से नहीं आए भरतपुर

त्रिलोक पवार ने बताया कि लॉकडाउन के बाद उसका कारोबार पूरी तरह से चौपट हो गया. उसके भाई टैक्सी चलाता था लेकिन उसका भी बिजनेस पूरी तरह से ठप पड़ गया. जिसके बाद से दोनों भाइयों को रीजनल कॉलेज के पास गाड़ी में दुकान लगाकर घर-परिवार का पेट पालने पर मजबूर होना पड़ा.

स्कूल बंद हुए तो कपड़ों के व्यापार की कमर टूटी

पवन कुमार स्कूली बच्चों की वैन चलाते थे. लेकिन लॉकडाउन के बाद से स्कूल बंद हैं. ऐसे में पवन जैसे ड्राइवर बेरोजगार हो गए. घर खर्चा निकालने के लिए पवन जयपुर रोड पर कपड़ों की दुकान लगा रहे हैं. पवन, शक्ति सिंह, त्रिलोक सिंह जैसे लोग जो कोरोना से पहले जहां अच्छा खासा व्यवसाय या नौकरी कर रहे थे. अनलॉक में इनका काम खत्म हो गया और इनको सड़क किनारे दुकान लगाकर जीवन यापन करने के लिए मजबूर होना पड़ गया.

जयपुर रोड पर अस्थाई दुकान लगाने वाले ये दुकानदार इस उम्मीद में हैं कि दीवाली पर कुछ अच्छा कारोबार होगा और वो अपना घर खर्चा आसानी से चला पाएंगे. उत्तर प्रदेश और दूसरे राज्यों से भी लोग सड़क किनारे जूतों की दुकानों के साथ-साथ पर्दे, रजाई-गद्दे, क्रोकरी, टेडी-बियर, जैकेट्स की दुकान लगा रहे हैं. अर्थव्यवस्था के वापस पटरी पर लौटने की अभी कोई सकारात्मक संकेत नजर नहीं आ रहे हैं.

अजमेर. कोरोना वायरस के संक्रमण के आगे बाजार ने घुटने टेक दिए हैं. अर्थव्यवस्था माइनस में चल रही है. ऐसे में छोटे व्यापारियों को सबसे ज्यादा नुकसान हो रहा है. जहां एक तरफ मध्यम वर्ग के ऊपर आर्थिक भार और कर्जा बढ़ा है वैसे ही बाजार भी प्रभावित हुआ है. अजमेर शहर के छोटे दुकानदार जो मॉल में दुकान किराए पर लेकर व्यापार करते थे अब उनको फुटपाथ पर दुकान लगाकर सामान बेचने की नौबत आ गई है.

छोटे दुकानदारों पर कोरोना की मार

किसी समय लाखों रुपए की पगड़ी देकर शोरूम और शॉपिंग मॉल्स में हजारों रुपए महीने के किराए पर दुकान लेने की होड़ करने वाले कारोबारी अब पेट पालने के लिए सड़क के किनारे दुकान लगाने को मजबूर हो गए हैं. कोरोना के बाद लगे लॉकडाउन में बाजार पूरी तरह से बंद हो गए. करोड़ों की संख्या में लोगों का पलायन हुआ. करोड़ों लोगों को नौकरियों से हाथ धोना पड़ा, जिसका नतीजा ये हुआ कि लोग बाजार में सामान कम खरीद रहे हैं. जिसका सीधा असर अजमेर जैसे शहर के मध्यम वर्ग वाले व्यापारियों को हुआ है.

shopkeepers in ajmer, coronavirus impact on economy
मॉल के बाहर दुकान चलाने वाला शक्ति फुटपाथ पर बेच रहा है टेडी बियर

मॉल वाली गिफ्ट आइटम की दुकान सड़क के किनारे पहुंची

शक्ति सिंह की कोरोना से पहले अजमेर के सीएसएम मॉल के बाहर गिफ्ट आइटम की दुकान थी. जहां वो 30 हजार रुपए महीने की भारी भरकम रकम किराए के रूप में देकर अपना व्यवसाय चला रहे थे. लेकिन जैसे ही कोरोना के बाद देशव्यापी लॉकडाउन लगा. सब कुछ बंद हो गया. अनलॉक में धीरे-धीरे सरकार ने बाजार को छूट देनी शुरू की. लेकिन कोरोना से पहले वाले हालात में बाजार वापस पटरी पर नहीं लौटा.

shopkeepers in ajmer, coronavirus impact on economy
कई दुकानदार कोरोना के बाद आए सड़क पर

पढ़ें: Special: असुविधाओं की भेंट चढ़ा जिला अस्पताल, मरीजों को कैसे मिले इलाज

अनलॉक में लोग घरों से निकलने में कतराने लगे और जो निकल भी रहे थे वो आर्थिक हालात माकूल नहीं होने के चलते अपनी खरीददारी को सीमित कर लिया. शक्ति सिंह ने बताया कि अनलॉक में दुकानें खुलने के बाद भी मॉल्स में लोग नहीं आ रहे हैं, जिसके चलते मुनाफा तो दूर दुकान का किराया तक जेब से भरना पड़ रहा था. इसलिए उनको मजबूर होकर अपनी गिफ्ट आइटम और टेडी बीयर की शॉप को सड़क किनारे लगाना पड़ा. शक्ति सिंह ने जयपुर रोड पर अस्थाई दुकान लगा रखी है, यहां वो हर रोज अपनी कार में सामान भरकर लाते हैं और शाम को वापस ले जाते हैं.

shopkeepers in ajmer, coronavirus impact on economy
अनलॉक में दुकान का किराया तक नहीं निकाल पा रहे हैं दुकानदार

धार्मिक स्थल बंद होने से सड़क पर आए दुकानदार

कोरोना से पहले दरगाह बाजार शनि मंदिर के पास त्रिलोक पवार जूते चप्पल की दुकान चलाते थे. त्रिलोक हर महीने दुकान का 60 हजार रुपए किराया देते थे. लेकिन कोरोना के बढ़ते संक्रमण के बाद सरकार ने सभी धार्मिक स्थलों के खुलने पर पाबंदी लगा दी. जिसके चलते त्रिलोक पवार जैसे दुकानदारों की कारोबार जो धार्मिक स्थलों पर आने वाले जायरीनों और श्रद्धालुओं पर निर्भर था, पूरी तरह से चौपट हो गया.

पढ़ें: Special: अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने वाले साइबेरियन सारस 18 साल से नहीं आए भरतपुर

त्रिलोक पवार ने बताया कि लॉकडाउन के बाद उसका कारोबार पूरी तरह से चौपट हो गया. उसके भाई टैक्सी चलाता था लेकिन उसका भी बिजनेस पूरी तरह से ठप पड़ गया. जिसके बाद से दोनों भाइयों को रीजनल कॉलेज के पास गाड़ी में दुकान लगाकर घर-परिवार का पेट पालने पर मजबूर होना पड़ा.

स्कूल बंद हुए तो कपड़ों के व्यापार की कमर टूटी

पवन कुमार स्कूली बच्चों की वैन चलाते थे. लेकिन लॉकडाउन के बाद से स्कूल बंद हैं. ऐसे में पवन जैसे ड्राइवर बेरोजगार हो गए. घर खर्चा निकालने के लिए पवन जयपुर रोड पर कपड़ों की दुकान लगा रहे हैं. पवन, शक्ति सिंह, त्रिलोक सिंह जैसे लोग जो कोरोना से पहले जहां अच्छा खासा व्यवसाय या नौकरी कर रहे थे. अनलॉक में इनका काम खत्म हो गया और इनको सड़क किनारे दुकान लगाकर जीवन यापन करने के लिए मजबूर होना पड़ गया.

जयपुर रोड पर अस्थाई दुकान लगाने वाले ये दुकानदार इस उम्मीद में हैं कि दीवाली पर कुछ अच्छा कारोबार होगा और वो अपना घर खर्चा आसानी से चला पाएंगे. उत्तर प्रदेश और दूसरे राज्यों से भी लोग सड़क किनारे जूतों की दुकानों के साथ-साथ पर्दे, रजाई-गद्दे, क्रोकरी, टेडी-बियर, जैकेट्स की दुकान लगा रहे हैं. अर्थव्यवस्था के वापस पटरी पर लौटने की अभी कोई सकारात्मक संकेत नजर नहीं आ रहे हैं.

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