अजमेर. जिले की पहचान विश्व पटल पर धार्मिक और पर्यटन नगरी के रूप में है. चौहान वंश के बाद अजमेर में स्थाई रूप से किसी का शासन नहीं रहा. अजमेर की नैसर्गिक सौंदर्यता ने हर दौर के राजा, महाराजाओं, बादशाहों और अंग्रेजों को अजमेर ने आकर्षित किया. यही वजह है कि अजमेर में चौहान शासकों से लेकर मुगल और अंग्रेजों के समय में बनी इमारतें आज भी उस वक्त की कई ऐतिहासिक घटनाओं की साक्षी के रूप में खड़ी हैं.
आज के दौर में यह इमारतें हेरिटेज में गिनी जाती हैं. इन इमारतों का रख रखाव बड़ी चुनौती का कार्य है. अजमेर स्मार्ट सिटी कंपनी लिमिटेड की ओर से किंग एडवर्ड मेमोरियल और अजमेर के किला का जीर्णोद्धार कर उन्हें संरक्षित किया जा रहा है. अजमेर में अकबर का किला साल 1570 में बनाया गया था. बादशाह अकबर का सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह में आस्था थी.
अकबर की विस्तारवादी नीति में राजपुताना पर अपना दबदबा कायम करना था. अकबर कई बार अजमेर आया. यहां उसके रहने के लिए इस किले का निर्माण करवाया गया था. किले के निर्माण से लेकर देश को मिली आजादी तक के इतिहास की कई महत्वपूर्ण घटना का यह किला साक्षी रहा है. वर्तमान में राजकीय संग्रहालय के रूप में किले की पहचान है.
किले के चारों ओर के परकोटे को सालों बाद संरक्षित करने के उद्देश्य से इसका जीर्णोद्धार किया जा रहा है. परकोटे और किले की प्रचीर के बीच की जमीन पर अस्तबल और पशु चिकित्सालय है. पशु चिकित्सालय को शास्त्री नगर शिफ्ट किया जा रहा है. उसके स्थान पर पार्किंग की योजना है. वहीं, अस्तबल की इमारत का मूल रूप मिलाकर शेष भूमि पर ग्रीन एरिया विकसित किया जाएगा.
अकबर के किले में यह होंगे कार्य
अजमेर का किला और संग्रहालय के संरक्षण के लिए छतों की मरम्मत, अस्तबल का संरक्षण, चारों ओर लैंडस्कैपिंग, पर्यटकों के लिए पार्किंग और अन्य सुविधाएं विकसित की जाएगी. इसके लिए निविदाएं जारी की जा चुकी है.
• कार्य की लागत - 3.29 करोड़
• कार्य प्रारंभ की तिथि- 8 जून 2020
• कार्य समाप्ति की तिथि - 7 मार्च 2021
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अजमेर स्मार्ट सिटी कंपनी लिमिटेड की ओर से हेरिटेज इमारत किंग एडवर्ड मेमोरियल ( केईएम ) भवन में पर्यटकों के ठहरने के लिए भवन की मरम्मत, रखरखाव, सौंदर्यकरण, पार्किंग और सुविधा युक्त बनाने का कार्य शुरू हो चुका है. शहर के बीच इस खूबसूरत इमारत को सन 1901 में अजमेर की जनता ने किंग एडवर्ड के अजमेर आगमन पर बनवाया था. इसके बाद इस हेरिटेज इमारत का उपयोग रेस्ट रूम के रूप में किया जाता रहा है.
काफी लंबा वक्त बीत जाने के बाद ( केईएम ) की सुध जा रही है. इसमें 30 कमरे हैं जिनका जैन उद्धार करवा कर भीतर अत्याधुनिक साज सज्जा की जाएगी. उसके अलावा तीन डॉरमेट्री और एक हॉल का भी सौंदर्यकरण किया जाएगा. रेलवे स्टेशन के नजदीक होने की वजह से ( केईएम ) रेवेन्यू की दृष्ठि से काफी महत्वपूर्ण भी है. हालांकि इमारत के बड़े हिस्से का सालों से व्यावसायिक रूप में उपयोग किया जा रहा है.
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बताया जाता है कि उनकी लीज भी खत्म हुए 10 साल बीत चुके हैं. इसके लिए प्रशासनिक कमेटी भी बनाई गई थी. कलेक्टर बदलते ही कमेटी शिथिल हो चुकी है. बेशकीमती हेरिटेज इमारत में व्यावसायिक उपयोग का लाभ भी बहुत ही निम्न है.
• कार्य की लागत- 3.77 करोड़
• कार्य प्रारंभ - 23 दिसम्बर 2020
• कार्य समाप्ति तिथि - 22 दिसम्बर 2020
पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से हेरिटेज इमारतों एवं उनके परिसर को भी स्मार्ट सिटी योजना के तहत स्मार्ट करने का कार्य चल रहा है. ताकि दरगाह और पुष्कर दर्शन के लिए आने वाले पर्यटक एक ही दिन में लौटे नहीं. साथ ही यात्रा के बीच यह हेरिटेज इमारतें उन्हें आकर्षित कर सके.