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अजमेर: अधिकारियों की तानाशाही से परेशान 108 एम्बुलेंस कर्मचारियों ने CMHO को सौंपा 8 सूत्रीय मांग पत्र

अजमेर में 108 एम्बुलेंस के कर्मचारियों ने कंपनी के अधिकारियों पर तानाशाही और उनका शोषण करने का आरोप लगाया है. इसके साथ ही कर्मचारियों ने मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. केके सोनी को अपनी 8 सूत्रीय मागों का पत्र सौंपा. साथ ही कहा कि जल्द ही हमारी मांगे पूरी नहीं की गई तो कार्य बहिष्कार होगा.

राजस्थान न्यूज, ajmer news
108 एम्बुलेंस कर्मचारियों ने CMHO को सौंपा मांग पत्र
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Published : Sep 22, 2020, 1:47 AM IST

अजमेर. जिले में 108 एम्बुलेंस के कर्मचारियों ने कंपनी के अधिकारियों पर तानाशाही और शोषण का आरोप लगाया है. राजस्थान एंबुलेंस कर्मचारी यूनियन के बैनर तले 108 एंबुलेंस के कर्मचारियों ने 8 सूत्रीय मांग पत्र मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. केके सोनी को सौंपा है. एंबुलेंस कर्मचारियों का कहना है कि 25 सितंबर तक उनकी मांगे पूरी नहीं होती हैं तो वो 26 सितंबर से कार्य का बहिष्कार करेंगे. कोरोना संक्रमण काल में 108 एंबुलेंस कर्मचारियों की कोरोना के गंभीर मरीजों को अस्पताल तक लाने में महत्वपूर्ण भूमिका है, लेकिन एंबुलेंस के कर्मचारियों को अब खुद परेशान होना पड़ रहा है.

108 एम्बुलेंस कर्मचारियों ने CMHO को सौंपा मांग पत्र

एंबुलेंस कर्मचारियों ने बताया कि 108 एंबुलेंस सेवा प्रदाता कंपनी गलत आदेशों के जरिए उनका शोषण कर रही है. उन्होंने बताया कि एंबुलेंस कर्मचारियों का ड्यूटी टाइम 26 दिन की जगह 30 दिन कर दिया गया है. कंपनी ऑक्सीजन रिफिलिंग के पैसे और वाहन में छोटे-मोटे मरम्मत कार्यों के पैसे नहीं देती है. इसके अलावा स्टाफ को समय पर रिलीव नहीं किया जाता. उन्होंने बताया कि कोरोना मरीज को लाने और ले जाने के दौरान नर्सिंग स्टाफ नहीं दिया जाता. मरीज को वाहन में चढ़ाने और उतारने का काम एंबुलेंस चालक को ही करना होता है.

सीएमएचओ कार्यालय के बाहर लामबंद हुए एंबुलेंस कर्मचारियों ने बताया कि कंपनी गाड़ी का माइलेज बढ़ाने पर निरंतर दबाव बनाती है और समय पर डीजल नहीं भरवाने और चालक पर अधिकारियों की ओर से डीजल उनसे पूछ कर भरवाने का दबाव बनाया जाता है. जबकि ऐसा नियम दूसरे जिलों में कहीं नहीं है. कंपनी की ओर से ऐसे कोई दिशा-निर्देश भी नहीं है.

पढ़ें- अजमेर: अवसाद में चल रहे ठेकेदार ने की आत्महत्या, मृतक की डायरी में चार लोगों के नाम

उन्होंने बताया कि अधिकारियों से अपनी मांग के बारे में सवाल करने पर उन्हें तानाशाही पूर्वक दूसरी लोकेशन पर स्थानांतरित कर दिया जाता है. इसके अलावा जर्जर और कंडम गाड़ियों की मरम्मत नहीं करवाई जाती है, बल्कि उन्हें जबरदस्ती चलाने का दबाव बनाया जाता है. उन्होंने ये भी बताया कि 104 जननी एंबुलेंस पर प्रतिदिन केस दर 8 से ऊपर रखने का दबाव बनाया जाता है. कर्मचारियों ने कहा कि 25 सितंबर तक उनकी मांगे नहीं मानी जाती है तो 26 सितंबर से कर्मचारियों को मजबूरन कार्य बहिष्कार करना पड़ेगा.

अजमेर. जिले में 108 एम्बुलेंस के कर्मचारियों ने कंपनी के अधिकारियों पर तानाशाही और शोषण का आरोप लगाया है. राजस्थान एंबुलेंस कर्मचारी यूनियन के बैनर तले 108 एंबुलेंस के कर्मचारियों ने 8 सूत्रीय मांग पत्र मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. केके सोनी को सौंपा है. एंबुलेंस कर्मचारियों का कहना है कि 25 सितंबर तक उनकी मांगे पूरी नहीं होती हैं तो वो 26 सितंबर से कार्य का बहिष्कार करेंगे. कोरोना संक्रमण काल में 108 एंबुलेंस कर्मचारियों की कोरोना के गंभीर मरीजों को अस्पताल तक लाने में महत्वपूर्ण भूमिका है, लेकिन एंबुलेंस के कर्मचारियों को अब खुद परेशान होना पड़ रहा है.

108 एम्बुलेंस कर्मचारियों ने CMHO को सौंपा मांग पत्र

एंबुलेंस कर्मचारियों ने बताया कि 108 एंबुलेंस सेवा प्रदाता कंपनी गलत आदेशों के जरिए उनका शोषण कर रही है. उन्होंने बताया कि एंबुलेंस कर्मचारियों का ड्यूटी टाइम 26 दिन की जगह 30 दिन कर दिया गया है. कंपनी ऑक्सीजन रिफिलिंग के पैसे और वाहन में छोटे-मोटे मरम्मत कार्यों के पैसे नहीं देती है. इसके अलावा स्टाफ को समय पर रिलीव नहीं किया जाता. उन्होंने बताया कि कोरोना मरीज को लाने और ले जाने के दौरान नर्सिंग स्टाफ नहीं दिया जाता. मरीज को वाहन में चढ़ाने और उतारने का काम एंबुलेंस चालक को ही करना होता है.

सीएमएचओ कार्यालय के बाहर लामबंद हुए एंबुलेंस कर्मचारियों ने बताया कि कंपनी गाड़ी का माइलेज बढ़ाने पर निरंतर दबाव बनाती है और समय पर डीजल नहीं भरवाने और चालक पर अधिकारियों की ओर से डीजल उनसे पूछ कर भरवाने का दबाव बनाया जाता है. जबकि ऐसा नियम दूसरे जिलों में कहीं नहीं है. कंपनी की ओर से ऐसे कोई दिशा-निर्देश भी नहीं है.

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उन्होंने बताया कि अधिकारियों से अपनी मांग के बारे में सवाल करने पर उन्हें तानाशाही पूर्वक दूसरी लोकेशन पर स्थानांतरित कर दिया जाता है. इसके अलावा जर्जर और कंडम गाड़ियों की मरम्मत नहीं करवाई जाती है, बल्कि उन्हें जबरदस्ती चलाने का दबाव बनाया जाता है. उन्होंने ये भी बताया कि 104 जननी एंबुलेंस पर प्रतिदिन केस दर 8 से ऊपर रखने का दबाव बनाया जाता है. कर्मचारियों ने कहा कि 25 सितंबर तक उनकी मांगे नहीं मानी जाती है तो 26 सितंबर से कर्मचारियों को मजबूरन कार्य बहिष्कार करना पड़ेगा.

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