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जालोर में एकलव्य माॅडल आवासीय विद्यालय खोला जाए: सांसद देवजी पटेल

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Published : Sep 21, 2020, 4:45 PM IST

जालोर सिरोही लोकसभा सांसद देवजी पटेल ने लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान जालोर जिले में अनुसूचित जनजाति के विद्यार्थियों की शिक्षा के लिए एकलव्य माॅडल आवासीय विद्यालय (ईएमआरएस) खोलने की मांग रखी. उन्होंने कहा कि इससे उन्हें शिक्षा में बेहतर अवसर प्राप्त हो सकेंगे और उन्हें सामान्य आबादी के समकक्ष लाया जा सकेगा.

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सांसद देवजी पटेल ने जालोर जिले में एकलव्य मॉडल स्कूल खोलने की मांग की

रानीवाड़ा (जालोर). जालोर-सिरोही लोकसभा सांसद देवजी पटेल ने जिले में अनुसूचित जनजाति के विद्यार्थियों की शिक्षा के लिए एकलव्य माॅडल आवासीय विद्यालय (ईएमआरएस) खोलने की मांग लोकसभा में रखी. सांसद देवजी पटेल ने संसद में प्रश्नकाल के दौरान जनजातीय कार्य राज्य मंत्री श्रीमती रेणुका सिंह सरूता से प्रश्न करते हुए कहा कि सरकार द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में पिछड़े जालोर के दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्र में अनुसूचित जनजाति के छात्रों को अपर प्राथमिक, माध्यमिक और वरिष्ठ माध्यमिक स्तर की शिक्षा प्रदान करने के लिए एकलव्य माॅडल आवासीय विद्यालय (ईएमआरएस) की स्थापना की जाए.

उन्होंने कहा कि इससे उन्हें शिक्षा में बेहतर अवसर प्राप्त हो सकेंगे और उन्हें सामान्य आबादी के समकक्ष लाया जा सकेगा. जालोर जिले में अनुसूचित जनजाति की आबादी लगभग 2 लाख है.

सांसद पटेल के प्रश्न का उत्तर देते हुए जनजातीय कार्य राज्य मंत्री रेणुका सिंह सरूता ने बताया कि केन्द्र सरकार एकलव्य माॅडल आवासीय विद्यालय (ईएमआरएस) दूरस्थ क्षेत्रों में वर्ष 1997-98 में अनुसूचित जनजाति के छात्रों को अपर प्राथमिक, माध्यमिक और वरिष्ठ माध्यमिक स्तर की षिक्षा प्रदान करने के लिए आरंभ किए गए थे, ताकि उन्हें शिक्षा में बेहतर अवसर प्राप्त हो सकें और उन्हें सामान्य आबादी के समकक्ष लाया जा सके.

पढ़ें- पूनिया का डोटासरा से सवाल, पूछा- जिस बात का विरोध कर रहे हो, क्या यह आपके 2019 के घोषणा पत्र में नहीं है ?

प्रारंभ में इसके लिए ’भारत के संविधान के अनुच्छेद 275(1) के तहत अनुदान’ के तहत निधि प्रदान की गई थी. वर्ष 2018-19 की बजट घोषणा के अनुसार अनुसूचित जनजाति की 50 प्रतिशत या 20 हजार आबादी वाले गांव में वर्ष 2022 तक प्रत्येक ब्लाॅक में एक एकलव्य माॅडल आवासीय विद्यालय (ईएमआरएस) का होना आवश्यक है.

उपर्युक्त बजट घोषणा के संदर्भ में आर्थिक मामलों संबंधी मंत्रिमंडलीय समिति ने एकलव्य माॅडल आवासीय विद्यालय (ईएमआरएस) स्कीम के जीर्णोंधार के लिए अनुमोदन प्रदान कर दिया है. राज्य मंत्री श्रीमती रेणुका सिंह सरूता ने बताया कि दिनांक 10.09.2020 तक देश में 566 विद्यालय स्वीकृत किए गए हैं, जिसमें से 285 विद्यालय कार्यशील हैं.

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उन्होंने बताया कि सरकार के निर्णय अनुसार वर्ष 2022 तक 174 और नए एकलव्य माॅडल आवासीय विद्यालय स्वीकृत किए जाएंगे. एकलव्य माॅडल आवासीय विद्यालयों के लिए अनुमोदित निर्माण अनुदान 20 करोड़ रुपये प्रति विद्यालय है. पूर्वोत्तर, पर्वतीय, दुर्गम क्षेत्रों तथा वामपंथी अग्रवाद ग्रसित क्षेत्रों में एकलव्य माॅडल आवासीय विद्यालय (ईएमआरएस) एवं एकलव्य माॅडल डे बार्डिंग स्कूल (ईएमडीबीएस) के लिए आवर्ती अनुदान क्रमशः 1.09 लाख और 0.85 लाख रुपए प्रति विद्यार्थी प्रति वर्ष है.

वर्तमान वर्ष 2020-21 के दौरान ईएमआरएस स्कीम के तहत कुल बजट अनुदान 1313.23 करोड़ रुपए है. जिसका राज्यवार आवंटन बुनियादी सुविधाओं, उन्नयन और नामांकित छात्रों की संख्या के लिए वास्तविक आवश्यकता के आधार पर निर्धारित किया जाता है.

रानीवाड़ा (जालोर). जालोर-सिरोही लोकसभा सांसद देवजी पटेल ने जिले में अनुसूचित जनजाति के विद्यार्थियों की शिक्षा के लिए एकलव्य माॅडल आवासीय विद्यालय (ईएमआरएस) खोलने की मांग लोकसभा में रखी. सांसद देवजी पटेल ने संसद में प्रश्नकाल के दौरान जनजातीय कार्य राज्य मंत्री श्रीमती रेणुका सिंह सरूता से प्रश्न करते हुए कहा कि सरकार द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में पिछड़े जालोर के दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्र में अनुसूचित जनजाति के छात्रों को अपर प्राथमिक, माध्यमिक और वरिष्ठ माध्यमिक स्तर की शिक्षा प्रदान करने के लिए एकलव्य माॅडल आवासीय विद्यालय (ईएमआरएस) की स्थापना की जाए.

उन्होंने कहा कि इससे उन्हें शिक्षा में बेहतर अवसर प्राप्त हो सकेंगे और उन्हें सामान्य आबादी के समकक्ष लाया जा सकेगा. जालोर जिले में अनुसूचित जनजाति की आबादी लगभग 2 लाख है.

सांसद पटेल के प्रश्न का उत्तर देते हुए जनजातीय कार्य राज्य मंत्री रेणुका सिंह सरूता ने बताया कि केन्द्र सरकार एकलव्य माॅडल आवासीय विद्यालय (ईएमआरएस) दूरस्थ क्षेत्रों में वर्ष 1997-98 में अनुसूचित जनजाति के छात्रों को अपर प्राथमिक, माध्यमिक और वरिष्ठ माध्यमिक स्तर की षिक्षा प्रदान करने के लिए आरंभ किए गए थे, ताकि उन्हें शिक्षा में बेहतर अवसर प्राप्त हो सकें और उन्हें सामान्य आबादी के समकक्ष लाया जा सके.

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प्रारंभ में इसके लिए ’भारत के संविधान के अनुच्छेद 275(1) के तहत अनुदान’ के तहत निधि प्रदान की गई थी. वर्ष 2018-19 की बजट घोषणा के अनुसार अनुसूचित जनजाति की 50 प्रतिशत या 20 हजार आबादी वाले गांव में वर्ष 2022 तक प्रत्येक ब्लाॅक में एक एकलव्य माॅडल आवासीय विद्यालय (ईएमआरएस) का होना आवश्यक है.

उपर्युक्त बजट घोषणा के संदर्भ में आर्थिक मामलों संबंधी मंत्रिमंडलीय समिति ने एकलव्य माॅडल आवासीय विद्यालय (ईएमआरएस) स्कीम के जीर्णोंधार के लिए अनुमोदन प्रदान कर दिया है. राज्य मंत्री श्रीमती रेणुका सिंह सरूता ने बताया कि दिनांक 10.09.2020 तक देश में 566 विद्यालय स्वीकृत किए गए हैं, जिसमें से 285 विद्यालय कार्यशील हैं.

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उन्होंने बताया कि सरकार के निर्णय अनुसार वर्ष 2022 तक 174 और नए एकलव्य माॅडल आवासीय विद्यालय स्वीकृत किए जाएंगे. एकलव्य माॅडल आवासीय विद्यालयों के लिए अनुमोदित निर्माण अनुदान 20 करोड़ रुपये प्रति विद्यालय है. पूर्वोत्तर, पर्वतीय, दुर्गम क्षेत्रों तथा वामपंथी अग्रवाद ग्रसित क्षेत्रों में एकलव्य माॅडल आवासीय विद्यालय (ईएमआरएस) एवं एकलव्य माॅडल डे बार्डिंग स्कूल (ईएमडीबीएस) के लिए आवर्ती अनुदान क्रमशः 1.09 लाख और 0.85 लाख रुपए प्रति विद्यार्थी प्रति वर्ष है.

वर्तमान वर्ष 2020-21 के दौरान ईएमआरएस स्कीम के तहत कुल बजट अनुदान 1313.23 करोड़ रुपए है. जिसका राज्यवार आवंटन बुनियादी सुविधाओं, उन्नयन और नामांकित छात्रों की संख्या के लिए वास्तविक आवश्यकता के आधार पर निर्धारित किया जाता है.

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