जयपुर. ग्रेटर नगर निगम की महापौर सौम्या गुर्जर को निलंबित (Mayor Soumya Gurjar suspended) करने से पहले भी सत्तारूढ़ पार्टी (ruling party) कई बार जनप्रतिनिधियों को निलंबित करने का कदम उठा चुकी है. पद का दुरुपयोग करने पर कांग्रेस सरकार (Congress government) इस कार्यकाल में जहां 17 जनप्रतिनिधि निलंबित कर चुकी है. वहीं बीजेपी की वसुंधरा राजे सरकार (BJP Rajasthan) भी 16 जनप्रतिनिधियों पर निलंबन की कार्रवाई की गई थी.
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जयपुर ग्रेटर नगर निगम में जो उथल-पुथल मची हुई है, इतिहास में भले ही ऐसा पहली बार हुआ है, लेकिन प्रदेश में सक्रिय दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों की सरकारों में जनप्रतिनिधियों का निलंबन होता रहा है. जिसमें प्रदेश के कई निकायों जूझना पड़ा था. सत्तारूढ़ पार्टी के निशाने पर अधिकतर विपक्ष के जनप्रतिनिधि रहे, जिन्हें पद का दुरुपयोग करने पर निलंबित किया गया है. पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार में निलंबित किए गए 16 जनप्रतिनिधियों में से 11 कांग्रेस के थे. पद का दुरुपयोग के मामले में सात कांग्रेस जनप्रतिनिधि निलंबित किए गए, इनमें चार अध्यक्ष, एक सभापति और दो पार्षद थे.
वहीं मौजूदा कांग्रेस सरकार में ढाई साल में 17 जनप्रतिनिधि निलंबित किए गए. इनमें 16 बीजेपी के जनप्रतिनिधि हैं और सभी 16 जनप्रतिनिधियों का पद दुरुपयोग के मामले में निलंबन हुआ. इनमें ग्रेटर नगर निगम की महापौर, नगर परिषदों के पांच सभापति, एक उपसभापति, नगर पालिकाओं के चार अध्यक्ष और चार पार्षद शामिल है.
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दोनों ही दलों की सरकारों ने खुद अपनी पार्टी के जनप्रतिनिधि पर गाज तब गिराई, जब वो ट्रैप हुए या कोर्ट के आदेश हुए. कांग्रेस ने एक पार्षद को ट्रैप होने के बाद निलंबित किया. वहीं बीजेपी ने एक सभापति एक अध्यक्ष और एक उपाध्यक्ष पर कार्रवाई की. हालांकि कुछ मामलों में सरकार अभी भी जांच प्रक्रिया में अटकी हुई है, लेकिन ग्रेटर नगर निगम में न्यायिक जांच से पहले ही महापौर और तीन पार्षदों को निलंबित करने की कार्रवाई ने भी कई सवाल खड़े किए हैं.