जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट में न्यायाधीश डॉ. जस्टिस पुष्पेन्द्र सिंह भाटी ने जेके सीमेंट कंपनी की ओर से राजस्थान राज्य वाणिज्यिक कर विभाग की ओर से राजस्थान मूल्य वर्धित कर अधिनियम व केंद्रीय बिक्री कर अधिनियम के तहत वर्ष 2014 से 2018 तक के चार वित्तीय वर्षों के वेट और सीएसटी के एसेसमेंट-आकलन को पुनः खोलने को लेकर नोटिस जारी की है.
साथ ही सम्मन को चुनौती देने वाली याचिका में राजस्थान स्टेट कॉमर्शियल टैक्स विभाग, एंटिइवेजन कोटा आदि को नोटिस जारी कर 6 सप्ताह में जवाब तलब किया है. वहीं विभाग की ओर से तब तक के लिए 20 मार्च व 6 जुलाई को जारी नोटिस और 27 दिसम्बर 2019 को जारी सम्मन के प्रभाव और क्रियान्वयन पर रोक लगा दी है.
याचिकाकर्ताओं की ओर से पैरवी करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता रवि भंसाली, रमित मेहता व सौरभ माहेश्वरी ने तर्क दिया है कि जेके सीमेंट कंपनी व्यवस्था के तहत कार्य एजेंसियों को डीजल प्रदान करती है, और उसी के लिए कोई भी राशि नहीं लेती है.
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जब कि विभाग ने गलत तरीके से और बिना किसी भौतिक साक्ष्य के निष्कर्ष निकालते हुए कंपनी पर डीजल बिक्री करने का आरोप लगाया है. वहीं राजस्थान राज्य वाणिज्यिक कर विभाग की ओर से राजस्थान मूल्य वर्धित कर अधिनियम व केंद्रीय बिक्री कर अधिनियम के तहत वित्तीय वर्ष 2014-15,2015-16, 2016-17, 2017-18 के लिए आकलन-एसेसमेंट को फिर से खोलने व कंपनी द्वारा कथित रूप से प्राप्त बिक्री की राशि पर भारी कर, ब्याज और शास्ति लगाने के लिए के लिए नोटिस जारी की है. इसके बाद सम्मन जारी किए गए हैं, जो कि गैर कानूनी और विधि विरुद्ध होते हुए न्यायिक सिद्धातों के विरुद्ध है, जिसे रद्द किया जाए.