सीकर. प्रदेश के कृषि विभाग ने टिड्डी हमले से बचने के लिए अभी से कमर कस ली है. कृषि विभाग की ओर से स्वतंत्र सहायक कृषि अधिकारी और कृषि पर्यवेक्षकों को इस काम के लिए जैसलमेर भेजा गया है. सीकर जिले से भी 7 कर्मचारियों को टिड्डी से बचाव के लिए जैसलमेर भेजा गया है.
कृषि विभाग के अनुसार मानसून के शुरू होते ही हवा के रुख के साथ पाकिस्तान की सीमा से जुड़े जिलों से होते हुए टिड्डी दल शेखावाटी में भी आ सकता है. सीकर में सहायक कृषि उपनिदेशक भागीरथमल सबल ने किसानों को इस बारे में चेतावनी जारी की है. उन्होंने बताया कि टिड्डी दल के आने की संभावना को देखते हुए कृषि विभाग टीड्डी मंडल कार्यालय से निरंतर संपर्क बनाए हुए है.
जिला एवं उपखंड स्तर पर नियंत्रण कक्ष भी स्थापित
कृषि विभाग ने चेतावनी जारी करते हुए किसानों से भी आह्वान किया कि टिड्डी दल के नजदीक आते ही तुरंत इसकी सूचना नियंत्रण कक्ष, कृषि पर्यवेक्षक, सहायक कृषि अधिकारी, पटवारी सहित अन्य अधिकारियों को दें. जहां भी टीड्डी के अंडे देने के स्थान की जानकारी मिली उसे यांत्रिक विधि से तुरंत नष्ट किया जाए. कृषि विभाग ने टिड्डी दल की सूचना को लेकर जिला एवं उपखंड स्तर पर नियंत्रण कक्ष भी स्थापित किए हैं.
चेतावनी जारी करने के लिए विभाग ने बनाएं पंपलेट
कृषि विभाग ने किसानों के लिए जनहित में सूचना जारी करते हुए बताया कि टिड्डी कीट वनस्पति को नष्ट कर देता है. इसकी प्रजनन क्षमता अधिक होने के कारण बहुत अधिक संख्या में झुंड के रूप में यह एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाते हैं. ये जिस स्थान पर डेरा डालता है वहां की सारी वनस्पति को खत्म कर देता है. ऐसे में फसलों के लिए यह दल सर्वाधिक नुकसान दायक होता है. मानसून सत्र में इसके आने की आशंका अधिक रहती है. सावधानी के तौर पर चेतावनी जारी करने के लिए विभाग ने पंपलेट भी बनाने शुरू कर दिए हैं.
क्या होता है टिड्डी दल
टिड्डी एक छोटा सा कीट है, जो फसलों, पेड़ों को अपना निशाना बनाता है. इस दल की सबसे खतरनाक बात यह है कि ये भारी संख्या में एक साथ हमला करते हैं. जानकारी के मुताबिक व्यस्क टिड्डी 150 किलोमीटर की गति से हवा की दिशा में उड़ सकता है. ये हरी वनस्पति को अपना निशाना बनाता है. इसकी प्रजनन क्षमता अधिक होने के कारण बहुत अधिक संख्या में झुंड के रूप में यह एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाते हैं. ये जिस स्थान पर डेरा डालता है वहां की सारी वनस्पति को खत्म कर देता है. ऐसे में फसलों के लिए यह दल सर्वाधिक नुकसान दायक होता है.