ETV Bharat / briefs

मेयर-पार्षद निलंबन मामला : न्यायिक जांच के लिए दोबारा नोटिस भेजकर तीन दिनों में मांगा स्पष्टीकरण

स्वायत्त शासन विभाग (Self-governance unit) ने निलंबित महापौर और तीन पार्षदों (Suspended mayor and three councilors) को दोबारा नोटिस भेजा है. साथ ही 3 दिनों में स्पष्टीकरण मांगा है. इसके बाद आरोप पत्र (charge sheet) न्यायिक अधिकारी को भेजा जाएगा.

sending notice, judicial inquiry, mayor- councilor suspension, jaipur
मेयर-पार्षद निलंबन मामला
author img

By

Published : Jun 9, 2021, 1:32 PM IST

जयपुर. स्वायत्त शासन विभाग (Self-governance unit) ने निलंबन के बाद महापौर और तीन पार्षदों को दोबारा नोटिस (notice) भेजा है. न्यायिक जांच (judicial investigation) की तरफ बढ़ने से पहले उनसे 3 दिन में स्पष्टीकरण मांगा है. इसके बाद दोष के आधार पर आरोप पत्र (charge sheet) न्यायिक अधिकारी को भेजा जाएगा. हालांकि, सामान्य तौर पर निलंबन से पहले स्पष्टीकरण लिया जाता है. इस मामले में ये प्रक्रिया बाद में अपनाई जा रही है.

यह भी पढ़ें- जालोर में 5 साल की बालिका की मौत मामले पर बाल आयोग ने लिया प्रसंज्ञान, जांच के आदेश

आयुक्त के साथ कथित हाथापाई के मामले में प्रशासनिक जांच के बाद अब न्यायिक जांच होनी है. ऐसे में स्वायत्त शासन विभाग ने निलंबित महापौर डॉ. सौम्या गुर्जर, निलंबित पार्षद पारस जैन, शंकर शर्मा और अजय सिंह को नोटिस भेजकर 3 दिन में स्पष्टीकरण मांगा है. इससे पहले हुई प्रारंभिक जांच में जांचकर्ता ने 17 पेज की रिपोर्ट तैयार की, जिसमें सौम्या गुर्जर और उनके ओएसडी मनमोहन सिंह ने बयान दिया था कि पार्षदों ने आयुक्त का रास्ता रोका था.

वहीं, आयुक्त के होमगार्ड राम सिंह ने मारपीट होने का दावा किया. प्रारंभिक जांच में कई अधिकारी-कर्मचारियों के भी बयान दर्ज किए गए हैं. इसके आधार पर सौम्या गुर्जर और तीन पार्षदों को निलंबित किया गया है.

आयुक्त कलेक्ट्रेट की बैठक में जाने के लिए निकले तो पार्षद धक्का देने लगे- एडिशनल कमिश्नर ब्रजेश चांदोलिया

आयुक्त ने जैसे ही गेट खोला तो पार्षदों ने गेट बंद करते हुए उन्हें बाहर जाने से रोका और धक्का-मुक्की की- गैराज उपायुक्त अतुल शर्मा

कमरे का गेट खुलने और बंद होने के साथ आयुक्त की आवाज आई. गेट खोला तो पार्षद अजय सिंह गेट पर पैर लगाकर आयुक्त को रोक रहे थे. पार्षद शंकर शर्मा, पारस जैन और एक अन्य पार्षद आयुक्त से मारपीट और धक्का-मुक्की कर रहे थे- होमगार्ड राम सिंह

इन्हीं बयानों के आधार पर जांच अधिकारी ने निष्कर्ष निकाला कि आयुक्त के साथ पार्षदों ने दुर्व्यवहार धक्का-मुक्की और मारपीट की. ये घटना महापौर के सामने हुई, महापौर ने रोकने का प्रयास नहीं किया. वहीं, आयुक्त को कोविड संबंधित बैठक में जाना था और उन्हें रोकना राजकार्य में बाधा श्रेणी में है.

यह भी पढ़ें- विधायक फंड से फ्रीज की गई राशि होगी बहाल, सरकार के उच्च स्तर पर चल रहा है मंथन

निलंबित महापौर डॉ. सौम्या गुर्जर ने हाई कोर्ट में ऑनलाइन याचिका दायर की है. संभावना है कि मामले पर इसी सप्ताह सुनवाई हो जाएगी. याचिका में कहा है कि आयुक्त ने राज्य सरकार को जो शिकायत की और जो एफआईआर दर्ज कराई है, उसमें तत्कालीन मेयर का कहीं नाम ही नहीं है. राज्य सरकार ने उनको मनमर्जी से राजनीतिक कारणों से हटाया है. याचिका में मामले की जांच आरएएस अफसर से कराने और जवाब के लिए एक ही दिन देने का मुद्दा भी उठाया है, जबकि राज्य सरकार ने केविएट दायर कर दी है.

जयपुर. स्वायत्त शासन विभाग (Self-governance unit) ने निलंबन के बाद महापौर और तीन पार्षदों को दोबारा नोटिस (notice) भेजा है. न्यायिक जांच (judicial investigation) की तरफ बढ़ने से पहले उनसे 3 दिन में स्पष्टीकरण मांगा है. इसके बाद दोष के आधार पर आरोप पत्र (charge sheet) न्यायिक अधिकारी को भेजा जाएगा. हालांकि, सामान्य तौर पर निलंबन से पहले स्पष्टीकरण लिया जाता है. इस मामले में ये प्रक्रिया बाद में अपनाई जा रही है.

यह भी पढ़ें- जालोर में 5 साल की बालिका की मौत मामले पर बाल आयोग ने लिया प्रसंज्ञान, जांच के आदेश

आयुक्त के साथ कथित हाथापाई के मामले में प्रशासनिक जांच के बाद अब न्यायिक जांच होनी है. ऐसे में स्वायत्त शासन विभाग ने निलंबित महापौर डॉ. सौम्या गुर्जर, निलंबित पार्षद पारस जैन, शंकर शर्मा और अजय सिंह को नोटिस भेजकर 3 दिन में स्पष्टीकरण मांगा है. इससे पहले हुई प्रारंभिक जांच में जांचकर्ता ने 17 पेज की रिपोर्ट तैयार की, जिसमें सौम्या गुर्जर और उनके ओएसडी मनमोहन सिंह ने बयान दिया था कि पार्षदों ने आयुक्त का रास्ता रोका था.

वहीं, आयुक्त के होमगार्ड राम सिंह ने मारपीट होने का दावा किया. प्रारंभिक जांच में कई अधिकारी-कर्मचारियों के भी बयान दर्ज किए गए हैं. इसके आधार पर सौम्या गुर्जर और तीन पार्षदों को निलंबित किया गया है.

आयुक्त कलेक्ट्रेट की बैठक में जाने के लिए निकले तो पार्षद धक्का देने लगे- एडिशनल कमिश्नर ब्रजेश चांदोलिया

आयुक्त ने जैसे ही गेट खोला तो पार्षदों ने गेट बंद करते हुए उन्हें बाहर जाने से रोका और धक्का-मुक्की की- गैराज उपायुक्त अतुल शर्मा

कमरे का गेट खुलने और बंद होने के साथ आयुक्त की आवाज आई. गेट खोला तो पार्षद अजय सिंह गेट पर पैर लगाकर आयुक्त को रोक रहे थे. पार्षद शंकर शर्मा, पारस जैन और एक अन्य पार्षद आयुक्त से मारपीट और धक्का-मुक्की कर रहे थे- होमगार्ड राम सिंह

इन्हीं बयानों के आधार पर जांच अधिकारी ने निष्कर्ष निकाला कि आयुक्त के साथ पार्षदों ने दुर्व्यवहार धक्का-मुक्की और मारपीट की. ये घटना महापौर के सामने हुई, महापौर ने रोकने का प्रयास नहीं किया. वहीं, आयुक्त को कोविड संबंधित बैठक में जाना था और उन्हें रोकना राजकार्य में बाधा श्रेणी में है.

यह भी पढ़ें- विधायक फंड से फ्रीज की गई राशि होगी बहाल, सरकार के उच्च स्तर पर चल रहा है मंथन

निलंबित महापौर डॉ. सौम्या गुर्जर ने हाई कोर्ट में ऑनलाइन याचिका दायर की है. संभावना है कि मामले पर इसी सप्ताह सुनवाई हो जाएगी. याचिका में कहा है कि आयुक्त ने राज्य सरकार को जो शिकायत की और जो एफआईआर दर्ज कराई है, उसमें तत्कालीन मेयर का कहीं नाम ही नहीं है. राज्य सरकार ने उनको मनमर्जी से राजनीतिक कारणों से हटाया है. याचिका में मामले की जांच आरएएस अफसर से कराने और जवाब के लिए एक ही दिन देने का मुद्दा भी उठाया है, जबकि राज्य सरकार ने केविएट दायर कर दी है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.