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जयपुर: एकादशी पर गोविंद देवजी मंदिर में आंवले के पौधे का पूजन, मंत्रोच्चार संग किया अभिषेक - आमलकी एकादशी

गोविंद देवजी मंदिर में आमलकी एकादशी पर आंवले के पौधे का पूजन किया गया. साथ ही मंत्रोच्चार के साथ अभिषेक भी किया गया. इस मौके पर श्रद्धालुओं ने भक्तिभाव से झांकी के दर्शन किए.

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एकादशी पर गोविंद देवजी मंदिर में आंवले के पौधे का किया गया पूजन
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Published : Mar 25, 2021, 3:56 PM IST

जयपुर. फाल्गुन शुक्ल आमलकी एकादशी पर आज गोविंददेवजी मंदिर में महंत अंजन कुमार गोस्वामी ने ठाकुर जी का मंत्रोच्चार के साथ अभिषेक किया. ठाकुर जी को लाल पोशाक धारण कराकर विशेष आभूषण धारण कराए गए. वहीं श्रद्धालुओं ने भक्तिभाव से झांकी के दर्शन किए.

इससे पूर्व आराध्य देव परिसर में मंदिर के प्रबंधक मानस गोस्वामी ने वेद मंत्रोच्चार के साथ आंवले के पौधे का पूजन किया. पंचामृत से अभिषेक कर सभी के उत्तम स्वास्थ्य की कामना की. मंदिर में दर्शन करने आई महिलाओं ने आंवले के पेड़ के तने पर कच्चा सूत और मोली बांधकर परिक्रमा की. इसके अलावा आर्ष दिग्दर्शक संस्था की ओर से खजाने वालों का रास्ता स्थित एक मंदिर में डॉ. प्रशांत शर्मा ने आमलकी एकादशी पर ज्योतिष-कर्मकांड का प्रशिक्षण ले रहे विद्यार्थियों को पर्व का महत्व बताया.

यह भी पढ़ें- संचालक के लॉक मोबाइल से खुलेंगे कोचिंग के 'गंदे राज', पुलिस FSL Team से लेगी मदद

उन्होंने कहा कि विष्णु पुराण के अनुसार एक बार भगवान विष्णु के मुख से चंद्रमा के समान प्रकाशित बिंदू प्रकट होकर पृथ्वी पर गिरा. उसी बिंदू से आमलक अर्थात आंवले के महान पेड़ की उत्पत्ति हुई. भगवान विष्णु के मुख से प्रकट होने वाले आंवले के वृक्ष को सर्वश्रेष्ठ कहा गया है. इस फल के महत्व को बताते हुए उन्होंने कहा कि इस फल के स्मरणमात्र से रोग एवं ताप का नाश होता है और शुभ फलों की प्राप्ति होती है. आंवला भगवान विष्णु जी को अत्यधिक प्रिय है. इस फल को खाने से तीन गुना शुभ फलों की प्राप्ति होती है.

जयपुर. फाल्गुन शुक्ल आमलकी एकादशी पर आज गोविंददेवजी मंदिर में महंत अंजन कुमार गोस्वामी ने ठाकुर जी का मंत्रोच्चार के साथ अभिषेक किया. ठाकुर जी को लाल पोशाक धारण कराकर विशेष आभूषण धारण कराए गए. वहीं श्रद्धालुओं ने भक्तिभाव से झांकी के दर्शन किए.

इससे पूर्व आराध्य देव परिसर में मंदिर के प्रबंधक मानस गोस्वामी ने वेद मंत्रोच्चार के साथ आंवले के पौधे का पूजन किया. पंचामृत से अभिषेक कर सभी के उत्तम स्वास्थ्य की कामना की. मंदिर में दर्शन करने आई महिलाओं ने आंवले के पेड़ के तने पर कच्चा सूत और मोली बांधकर परिक्रमा की. इसके अलावा आर्ष दिग्दर्शक संस्था की ओर से खजाने वालों का रास्ता स्थित एक मंदिर में डॉ. प्रशांत शर्मा ने आमलकी एकादशी पर ज्योतिष-कर्मकांड का प्रशिक्षण ले रहे विद्यार्थियों को पर्व का महत्व बताया.

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उन्होंने कहा कि विष्णु पुराण के अनुसार एक बार भगवान विष्णु के मुख से चंद्रमा के समान प्रकाशित बिंदू प्रकट होकर पृथ्वी पर गिरा. उसी बिंदू से आमलक अर्थात आंवले के महान पेड़ की उत्पत्ति हुई. भगवान विष्णु के मुख से प्रकट होने वाले आंवले के वृक्ष को सर्वश्रेष्ठ कहा गया है. इस फल के महत्व को बताते हुए उन्होंने कहा कि इस फल के स्मरणमात्र से रोग एवं ताप का नाश होता है और शुभ फलों की प्राप्ति होती है. आंवला भगवान विष्णु जी को अत्यधिक प्रिय है. इस फल को खाने से तीन गुना शुभ फलों की प्राप्ति होती है.

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