टोंक. बनास का सीना छलनी करने में जितना खनन माफियाओं का हाथ है. उतना ही खाकी भी इसकी बराबर की गुनहगार है. बनास में हो रहे अवैध बजरी खनन में पुलिस की माफियाओं को शह अब जगजाहिर हो गई है. जैसे का एसीबी की कार्रवाई में साफ हो गया है कि सुप्रीम कोर्ट की रोक के बावजूद बनास नदी से चल रहे अवैध बजरी परिवहन के गोरखधंधे में पुलिस की मिलीभगत है.
बनास में पुलिस के जंगल राज पर एसीबी का डंडा उस वक्त चला. जब टीम ने कांस्टेबल को बजरी के वाहन पास कराने के मामले में एन्ट्री के रूप में घूस लेते हुए दबोच लिया. जिसके बाद टोंक की बनास नदी में बजरी खनन में पुलिस की हिस्सेदारी सबके सामने आ गई. वहीं अब एसीबी के एडिशनल एसपी विजय सिंह ने ईटीवी भारत के साथ पुलिस और बजरी माफियाओं के गठजोड़ की परतों पर से भी पर्दा उठा दिया. सुनिए क्या कहा....
एसीबी के एडिशनल एसपी विजय सिंह से खास बातचीत
एक थाने की, एक रात की कमाई 1.50 से 2 लाख तक
दरअसल, टोंक की बनास में सुप्रीम कोर्ट की रोक बेअसर साबित हो रही थी. बजरी खनन को लेकर एसीबी को लगातार शिकायतें मिल रही थी. जब कार्रवाई पर निकले एसीबी के अधिकारी-कर्मचारी तो निशाने पर टोंक पुलिस का नेटवर्क था. सामने आया कि एक थाने की कमाई एक रात की डेढ़ से दो लाख है. टोंक जिले में बजरी खनन वाले कुल थाने 10 है. अब खुद सोचिए ये नेटवर्क करोड़ों की कमाई कर कैसे चांदी कूट रहे थे.
एसीबी ने कांस्टेबल को वसूली करते रंगे हाथों दबोचा
एसीबी ने पीपलू थानेदार के लिए हर रात बजरी के वाहनों से उगाही करने वाले पुलिस कांस्टेबल को जब रंगे हाथों किया. गिरफ्तार कांस्टेबल के कब्जे से 1 लाख 46 हजार 500 रुपये मिले. जो सिर्फ एक रात की कमाई थी. वह पीपलू थाने की पकड़े गए कांस्टेबल कैलाश जाट ने कई राज खोले. उसने बताया कि वो एक महीने में 40 लाख रुपये थानेदार को दे चुका था. दूसरी तरफ कार्रवाई के बाद भले ही भनक लगने से थानेदार थाना छोड़कर भाग खड़ा हुआ हो. लेकिन मोबाइल रिकॉर्ड से अब कई राज खुलने बाकी है.
अभी कई और राज से पर्दा उठना बाकी
फिलहाल एसीबी इस पूरे नेटवर्क को ब्रेक करने में जुटी है. यहीं नहीं सबसे बड़ा खुलासा यह हो रहा है कि बजरी के थानों पर एक जाति विशेष के अधिकारियों और पुलिस वालों को नियुक्तियां दी जाती थी. एसीबी के एडिशनल एसपी विजय सिंह ने ईटीवी भारत के साथ कई राज के पर्दा उठाया है. अभी पुलिस की बजरी के खेल में मिलीभगत के कई महत्वपूर्ण राज पर बड़े खुलासे का इंतजार है.
हालांकि टोंक की बनास में बजरी का खेल किसी से छिपा नहीं है. इस खेल में पूरा पुलिस महकमा ऊपर से नीचे तक मिला है. एक तरफ इस राज से तो एसीबी ने पर्दा उठा दिया.लेकिन अब देखने वाली बात यह है कि आखिर बड़े अधिकारियों पर राजस्थान पुलिस और सरकार क्या एक्शन लेती है. टोंक पुलिस के अधिकारियों के पास हर रात लाखों रुपयों की रकम पहुंचता है. जो एक महीने में करोड़ों का आंकड़ा पहुंच जाता है. फिलहाल एसीबी के निशाने पर कई और खाकीधारी भी हैं.