कोटा. टीवी कलाकार शैलेश लोढ़ा शनिवार को राजस्थान के कोटा पहुंचे. यहां उन्होंने प्रशासन की तरफ से आयोजित कोचिंग स्टूडेंट के लिए मोटिवेशनल सेशन को संबोधित किया. उन्होंने कहा कि असफलताओं से डरना नहीं चाहिए, इनसे प्रेरणा लेनी चाहिए. जिस तरह से नदियां रास्ता खोजती हैं, वैसे ही हमें भी अपना रास्ता खोजना चाहिए. उन्होंने कहा कि वो भी चित्तौड़गढ़ के निंबाहेड़ा जैसे छोटे से कस्बे से निकलकर आगे पहुंचे हैं.
ताकत डिग्री में नहीं व्यक्ति में होती है : शैलेश लोढ़ा ने उदाहरण देते हुए छात्रों को समझाया कि ट्रेन, बस और प्लेन में सफर करते समय हमें यह नहीं पता होता कि उसे कौन चला रहा है, लेकिन हम उसपर विश्वास करते हैं. इसी तरह से इस दुनिया को चलाने वाले ईश्वर पर भी विश्वास करना चाहिए. ईश्वर की लिखी हुई स्क्रिप्ट में कोई कौमा और फुल स्टॉप नहीं बदलता. ताकत डिग्री में नहीं व्यक्ति में होती है. आपके हाथ में है पूरी मेहनत और प्रयास करना, परिणाम आपके हाथ में नहीं होता है.
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आपस में कंपेयर नहीं करने का आग्रह : शैलेश ने बच्चों को अपने दोस्त, पेरेंट्स, टीचर और आसपास के लोगों से बातचीत करने के लिए प्रेरित किया. साथ ही कहा कि कम्युनिकेट करने से आत्मविश्वास बढ़ता है. आत्मविश्वास निर्जीव चीजों से भी काम करवा देता है. उन्होंने स्टूडेंट्स को आपस में कंपेयर नहीं करने के लिए आग्रह किया और सबको यूनिक बताया. उन्होंने कहा कि कोई आपसे ज्यादा नंबर ला सकता है, लेकिन उसमें आपके जैसी खूबियां नहीं हो सकती हैं. दुनिया में सुख पाने के लिए सुविधाओं की जरूरत नहीं है, आप खुद के विजेता बनें. इस दौरान कार्यक्रम में जिला कलेक्टर ओपी बुनकर, आईजी कोटा रेंज प्रसन्न कुमार खमेसरा, सहित कई प्रशासनिक अधिकारी मौजूद रहे.
स्टूडेंट्स ने पूछे यह सवाल
अभिषेक: प्रथम आने वाले बच्चे का ही जय जयकार होती है?
शैलेश लोढ़ा: क्षणिक जय जयकार का क्या करोगे? जीवन में खुश रहना ही जीत है. तारीफ केवल प्रशंसा का बायो प्रोडक्ट है, जबकि खुशी या फिर काफी असफलताओं के बाद जीतना ही असली जीत है. प्रयास में कोई कमी मत रखो, परिणाम आपके हाथ में नहीं है.
रेहान मोहम्मद: मैंने गलती कर दी, अब परेशान करती है.
शैलेश लोढ़ा: हम सब इंसान हैं, गलती हमसे हो जाती है. गलतियां करनी चाहिए, लेकिन एक बार जो गलती कर दी, उसे सुधार लेना चाहिए. अगली बार वही गलती नहीं होनी चाहिए. जो पुरानी गलती है, उसे दिमाग से बाहर निकाल दो, क्योंकि जिस चीज को 'अनडू' नहीं कर सकते उसे भूल जाना ही सही है.
हिमांशु गुप्ता: आप इतना पॉजिटिव कैसे रहते हो? हम मोटिवेट होने पर कुछ समय पॉजिटिव रहते हैं, फिर नेगेटिव हो जाते हैं.
शैलेश लोढ़ा: हमें यह देखना होगा कि हमें खुशी और सुख किसमें मिलता है. जिस चीज से मोहब्बत है, वही कम करो, या फिर जो काम कर रहे हो उससे मोहब्बत कर लो.
सक्षम: रिजेक्शन का डर बना रहता है?
शैलेश लोढ़ा: यह डर जीवन में कभी खत्म नहीं होगा, क्योंकि कोई न कोई व्यक्ति किसी बात से डरता है. आप लोग सोचते हो कितने मार्क्स आ जाएं, तो काम हो जाएगा, जबकि मेहनत करनी चाहिए, रिजेक्शन हर जगह पर होता है. हमारे हाथ में प्रयास करना है, हमें भविष्य और अतीत की बात नहीं करके वर्तमान में जीना चाहिए. लगातार चलते रहना चाहिए, क्योंकि सड़क पर एक्सीडेंट हो जाने पर वहां परमानेंट ट्रैफिक नहीं रोका जाता है.
जसमीत कौर: पेरेंट्स की एक्सपेक्टेशन का क्या करें?
शैलेश लोढ़ा: उन्हें मेरा वीडियो दिखा देना, कहना कि जो वे नहीं कर पाए, अब बच्चों से क्यों करवाना चाह रहे हैं? आप लोग बहुत कुछ बनने के काबिल हो, सपनों के गुलाम नहीं बनना चाहिए. हम स्मार्टेस्ट ब्रीड ऑफ द वर्ल्ड हैं. सिर्फ डॉक्टर और इंजीनियर ही करियर नहीं है, अन्य प्रोफेशन भी काफी अच्छे हैं.
निदा: पेरेंट्स कम्पेरिजन करते हैं.
शैलेश लोढ़ा: पेरेंट्स को कम्पेरिजन नहीं करने के लिए स्टूडेंट्स खुद भी समझ सकते हैं. अपने आप को कम्पेरिजन का शिकार नहीं बनने दीजिए. यह कम्पेरिजन फ्रस्ट्रेशन लाता है.
सनी कुमार: कई बार ट्राई करने के बाद भी काम नहीं होता है?
शैलेश लोढ़ा: ऐसे काम को छोड़ने का मन बना दीजिए. बिल्कुल साधारण बात है कि जिस काम के लिए आप बने ही नहीं हैं, उसमें टाइम व्यर्थ नहीं गंवाना चाहिए.
दीपक सिंह : डिसएप्वाइंटमेंट से डील करने का क्या सीक्रेट?
शैलेश लोढ़ा: डिसएप्वाइंटमेंट लाइफ के हर एरिया में होगा, आशावादी अमर रहता है, इसीलिए हमें अपनी आशाएं नहीं छोड़नी चाहिए.
अद्वय यादव: दोस्त का फायर ब्रिगेड कैसे बन सकते हैं?
शैलेश लोढ़ा: सबसे ज्यादा आपके बारे में जो व्यक्ति सोच रहा है, वही आपका दोस्त हो सकता है. हम दिन में कई बार सॉरी और थैंक्स बोलते हैं, लेकिन इनको फील नहीं करते हैं. जो व्यक्ति तुम्हारी चिंता कर रहा है और तुम्हारे साथ खड़ा है, इससे अच्छा अचीवमेंट तुम्हारे लिए कुछ नहीं है.
मयंक कुमार : मैं बचपन से ही रैपर बनना चाहता था? पेरेंट्स ने यहां मेडिकल एंट्रेंस के लिए भेज दिया.
शैलेश लोढ़ा: तुम्हें बचपन से ही शौक है, तो तुम अच्छे रैपर बन सकते हो. डॉक्टर इंजीनियर तो हर साल लाखों आते हैं, लेकिन रैपर तीन या चार ही आते हैं. यही लाइफ का फलसफा है, जो मन करे वही करना चाहिए.