जयपुर. राजस्थान कांग्रेस में एक बार फिर सियासी खींचतान शुरू हो गई है. सचिन पायलट के अपनी ही सरकार के खिलाफ अनशन पर बैठने से पार्टी आलाकमान सख्ती दिखाने के मूड में नजर आ रहा है. वहीं, पायलट भी पीछे हटने को तैयार नहीं दिखाई दे रहे हैं. सचिन पायलट के अनशन से 12 घंटे पहले प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा पायलट को एक तरह से चेतावनी देते हुए कहा था कि अगर यह अनशन हुआ तो उसे पार्टी विरोधी गतिविधि माना जाएगा. लेकिन पायलट ने पूर्ववर्ती वसुंधरा राजे सरकार के समय हुए भ्रष्टाचार के खिलाफ न केवल अनशन किया, बल्कि अनशन के बाद जिस तरह से पायलट अपने कार्यकर्ताओं से मिले और शक्ति प्रदर्शन किया, उससे लगता है कि अब वह अब पीछे हटने को तैयार नहीं है. राजनीति के दंगल में अपनों से ही दो-दो हाथ करने की भी तैयारी में जुट गए हैं.
इन सबके बीच राजस्थान कांग्रेस प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा गुरुवार को सचिन पायलट को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ बैठक करेंगे. जयपुर के सियासी हलकों में चर्चा है कि सचिन पायलट को भी बुलावा आ सकता है. वहीं, सचिन पायलट समर्थक झुंझुनू के खेतड़ी ओर जयपुर के शाहपुरा में शक्ति प्रदर्शन की तैयारी में जुटे हैं.
सचिन पायलट की ओर से अपनी ही सरकार पर सवाल खड़े किए गए, लेकिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस पूरे मामले में चुप्पी साध ली. यहां तक कि कैबिनेट की बैठक में भी उन्होंने मंत्रियों से इस मामले में कोई बयानबाजी नहीं करने की हिदायत दी. उन्होंने कहा कि इस मामले को आलाकमान देख रहा है और निर्णय आलाकमान ही करेगा, कोई भी मंत्री अनावश्यक रूप से बयानबाजी न करें. वहीं, गुरुवार का दिन राजस्थान कांग्रेस और सचिन पायलट की राजनीति के लिए काफी अहम माना जा रहा है, क्योंकि पायलट के अनशन को लेकर कांग्रेस प्रभारी रंधावा कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मलिकार्जुन खड़गे के साथ अहम बैठक करने जा रहे हैं. इस बैठक में पायलट को बुलाकर उनका भी पक्ष जाना जा सकता है.
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बहरहाल, इस मीटिंग में सचिन पायलट पर कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई होती है या नहीं यह तो समय बताएगा, लेकिन अब पायलट ने भी यह साफ कर दिया है कि वह अब पीछे हटने को तैयार नहीं है और वह अब लगभग हर सप्ताह राजस्थान के किसी हिस्से में कोई कार्यक्रम या जनसभा जरूर करेंगे. इसी कड़ी में अब पायलट 17 अप्रैल को झुंझुनू के खेतड़ी में शहीद की मूर्ति अनावरण कार्यक्रम में पहुंचेंगे. इसकी तैयारियों में पायलट समर्थक जुट गए हैं. 17 अप्रैल को ही पायलट खेतड़ी से लौटते हुए जयपुर के शाहपुरा में आयोजित हो रहे एक धार्मिक अनुष्ठान में भी हिस्सा लेंगे. मतलब साफ है कि अब पायलट के दौरे शुरू हो चुके हैं और वह सरकार पर भी सवाल खड़े करने से पीछे नहीं हटेंगे.
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इधर, कांग्रेस आलाकमान पर इस बात का दबाव है कि अगर वह सचिन पायलट को लेकर कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हैं या पायलट को कोई नोटिस देते हैं, तो फिर 25 सितंबर को जिन तीन नेताओं मंत्री महेश जोशी, मंत्री शांति धारीवाल और आरटीडीसी चेयरमैन धर्मेंद्र राठौड़ को समानांतर बैठक बुलाने के लिए नोटिस मिले थे उन पर भी कार्रवाई करनी होगी. सुखजिंदर सिंह रंधावा भी साफ कर चुके हैं कि राजस्थान में पहले भी कई बार कांग्रेस में अनुशासनहीनता करने वाले नेताओं पर कार्रवाई होनी चाहिए थी, लेकिन नहीं हुई और वह पहले के मामलों को भी वर्तमान मामले के साथ देख रहे हैं.