नई दिल्ली : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने बुधवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Congress leader Rahul Gandhi) को राष्ट्रीय मुद्रीकरण योजना (National Monetisation Plan) को लेकर दिए बयान पर कहा है कि मैं चाहती हूं कि विपक्ष कुछ होमवर्क के साथ सवाल करे.
बता दें कि राहुल गांधी ने राष्ट्रीय मुद्रीकरण योजना को लेकर कहा था कि राष्ट्रीय मुद्रीकरण योजना का उद्देश्य उपलब्ध अधिशेष भूमि और अन्य संपत्तियों को बेच कर केंद्र सरकार के लिए 6 लाख करोड़ रुपये उत्पन्न करना है. इतना ही नहीं कांग्रेस नेता ने इस योजना को सरकारी संपत्तियों की 'सेल' करार दिया था.
सीतारमण ने मुंबई में पत्रकारों से राहुल गांधी के आरोपों (Rahul Gandhi’s accusation ) के बारे में पूछे गए सवाल के जवाब में कहा, 'मैं चाहती हूं कि विपक्ष कुछ होमवर्क के साथ सवाल करे.'
सीतारमण ने मुंबई-पुणे राजमार्ग ( Mumbai-Pune Highway ) के मुद्रीकरण का विरोध नहीं करने और यूपीए सरकार के दौरान नई दिल्ली रेलवे स्टेशन (ew Delhi Railway station) के लिए प्रस्ताव (Request for Proposal ) जारी करने के लिए कांग्रेस नेता की आलोचना की.
सीतारमण ने कहा कि मुंबई-पुणे गलियारे (Mumbai-Pune corridor) का वास्तव में मुद्रीकरण किसने किया? क्या यह कांग्रेस पार्टी नहीं थी? जिसका नेतृत्व उस समय सोनिया गांधी ने किया था और अब भी जिसका वह नेतृत्व कर रही हैं. इससे यूपीए से 8,000 करोड़ रुपये जुटाए थे.
सितंबर 2013 में जब प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह (Prime Minister Manmohan Singh) विदेश में थे, तब राहुल गांधी द्वारा एक अध्यादेश को फाड़ने की घटना को याद करते हुए, निर्मला सीतारमण ने उनसे सवाल किया कि उन्होंने नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के मुद्रीकरण के लिए आरएफपी को क्यों नहीं फाड़ा, जो अक्टूबर 2008 में प्रधान मंत्री के दौरान जारी किया गया था.
सीतारमण ने कहा, 'नई दिल्ली रेलवे स्टेशन (New Delhi Railway Station) पर आरएफपी किसने बुलाया? क्या यह कांग्रेस पार्टी नहीं थी? 17 अक्टूबर 2008 को नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के लिए आरएफपी जारी किया था. तब प्रधानमंत्री कौन थे, तब वित्तमंत्री कौन थे? मैं राहुल गांधी से निश्चित रूप से पूछूंगी, जब प्रधानमंत्री विदेश में थे, तब भी उन्होंने सोचा था कि एक अध्यादेश इतना अपमानजनक था कि उन्होंने इसे मीडिया के सामने फाड़ दिया.'
वित्त मंत्री ने पूछा कि अगर वह वास्तव में मुद्रीकरण के खिलाफ हैं, तो राहुल गांधी ने नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के आधुनिकीकरण के लिए आरएफपी को क्यों नहीं फाड़ा?
वित्त मंत्री ने कहा कि अगर यह सरकारी संपत्तियों की बिक्री है, तो वह कांग्रेस के दौरान हुई कमाई के और उदाहरण साझा करने को तैयार हैं.
यूपीए के मुद्रीकरण के दौरान भुगतान की गई रिश्वत
सीतारमण, जिन्होंने अक्सर कांग्रेस नेता राहुल गांधी के आरोपों के खिलाफ सरकार के आरोपों का नेतृत्व किया है, ने आरोप लगाया कि पिछली यूपीए सरकारों (UPA governments) के दौरान सरकारी संपत्तियों के मुद्रीकरण के दौरान रिश्वत का भुगतान किया गया था.
वित्त मंत्री ने आरोप लगाया कि कांग्रेस पार्टी बार-बार कह रही है, 'ओह, वे देश को बेच रहे हैं. यह कुछ ऐसा है जिसमें वे बहुत अच्छे हैं. उन्होंने हवा बेची, उन्होंने पानी बेचा, उन्होंने जमीनें बेचीं, उन्होंने खदानें बेचीं और इससे बहुत कमाया.'
राहुल गांधी के एनडीए सरकार द्वारा राष्ट्रीय संपत्ति बेचने के आरोपों के जवाब में, सीतारमण ने कहा कि कांग्रेस सरकारें 2010 के राष्ट्रमंडल खेलों (Commonwealth Games) के आयोजन में गलत काम कर रही थीं, जब मनमोहन सिंह प्रधान मंत्री थे और शीला दीक्षित (Sheila Dixit ) दिल्ली की मुख्यमंत्री (Chief Minister of Delhi) थीं.
वे (कांग्रेस पार्टी) सरकार पर आरोप लगाते हैं, ओह, आप ने 70 वर्षों में जो कुछ भी बनाया है, उसे बेच रहे हैं. कॉमनवेल्थ गेम्स के दौरान क्या हुआ?
वित्त मंत्री ने कहा कि राष्ट्रमंडल खेलों के दौरान उन्होंने वह सब खत्म कर दिया और अपने साथियों के अकाउंट भरे, यह उनका व्यवसाय है, प्रधानमंत्री मोदी की सरकार का नहीं.
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मुद्रीकरण से स्वामित्व नहीं बदलेगा
सीतारमण ने मुद्रीकरण योजना के तहत सरकारी संपत्तियों की बिक्री की आशंकाओं को खारिज करते हुए कहा कि इसका मतलब स्वामित्व का परिवर्तन नहीं है, जो केंद्र सरकार के पास है.
मंत्री ने समझाया कि मुद्रीकरण पाइपलाइन के तहत स्वामित्व में कोई बदलाव नहीं हुआ है. स्वामित्व अभी भी भारत सरकार के पास रहेगा.
बता दें कि वित्त मंत्री ने सोमवार को राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन का अनावरण किया था, जिसका उद्देश्य केंद्र सरकार के पास उपलब्ध संपत्ति और भूमि का व्यावसायिक रूप से दोहन करके अगले तीन वर्षों में 6 लाख करोड़ रुपये उत्पन्न करना है.
एक बयान में सरकार ने 6 लाख करोड़ रुपये की राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन की तीन विशिष्ट विशेषताओं पर प्रकाश (highlighted three distinct features) डाला था.
सरकार ने कहा कि पहला यह कि मुद्रीकरण के अधिकार (monetisation of rights ) स्वामित्व और संपत्ति लेनदेन की अवधि के अंत में सरकार को वापस सौंप दी जाएगी.
दूसरा यह ब्राउन-फील्ड डी-रिस्क वाली संपत्तियां (brown-field de-risked assets) थीं, जो स्थिर राजस्व उत्पन्न करती थीं.
तीसरा, निजी संस्थाओं के साथ एक संरचित साझेदारी सख्त KPI और प्रदर्शन मानकों के साथ एक अच्छी तरह से परिभाषित संविदात्मक ढांचे (defined contractual framework) के तहत होगी.
ब्राउन-फील्ड डी-रिस्क संपत्ति हैं, वे या तो खत्म हो चुकी हैं या उनका उपयोग कम है. यदि सरकार को उनका बेहतर उपयोग करना है, तो इसे मुद्रीकरण प्रक्रिया से गुजरना होगा, जहां इसे अधिक प्रभावी उपयोग में लाया जाएगा.