जोधपुर. संजीवनी क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी घोटाले के मामले में घिरे केन्द्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को दी गई राहत को निरस्त करवाने के लिए राज्य सरकार की ओर से राजस्थान हाईकोर्ट में पेश प्रार्थना पत्र पर बहस हुई. हालांकि, इसमें सीबीआई की ओर से जवाब पेश नहीं हो पाया. सीबीआई की ओर से डिप्टी सॉलिसीटर जनरल मुकेश राजपुरोहित की ओर से तीन सप्ताह का समय मांगा गया, जिस पर कोर्ट ने सीबीआई को एक मौका दिया.
जस्टिस कुलदीप माथुर की एकलपीठ के समक्ष सीबीआई को मौका दिए जाने पर अधिवक्ताओं ने बहस शुरू कर दी. राज्य सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने बहस करते हुए गिरफ्तारी पर लगी रोक हटाने के लिए पक्ष रखा. वहीं, केन्द्रीय मंत्री की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता वीआर बाजवा ने बहस की. दोनों ओर से आरोप-प्रत्यारोप को देखते हुए एक बारगी तो कोर्ट ने भी असंतोष जताया कि समय बर्बाद ना करें और मुख्य मामले पर पक्ष रखें. कोर्ट में मामले पर गहमागहमी बढ़ने लगी, तो कोर्ट ने संयुक्त अनुरोध पर 11 सितम्बर को अगली सुनवाई मुकरर्र करते हुए अंतरिम आदेश को भी आगे बढ़ा दिया.
राज्य सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा, एएजी अनिल जोशी, सीबीआई की ओर से डिप्टी सॉलिसीटर जनरल मुकेश राजपुरोहित, केन्द्र सरकार की ओर से एडीशनल सॉलिसीटर जनरल राजदीपक रस्तोगी और उनके साथ बीपी बोहरा, एसओजी के एडीशनल एसपी मनोज चौधरी मौजूद रहे. वहीं, केन्द्रीय मंत्री शेखावत व अन्य की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता वीआर बाजवा, सुनील जोशी, वरिष्ठ अधिवक्ता सुल्तान के सिंह, वरिष्ठ अधिवक्ता धीरेन्द्रसिंह दासपा, रमित मेहता सहित अन्य अधिवक्ताओं ने पैरवी की.
सरकार की ओर से कोर्ट से केन्द्रीय मंत्री शेखावत सहित अन्य आरोपियों को जो राहत मिली है, उसको रद्द करने के लिए प्रार्थना पत्र पेश किया गया था. जिस पर बहस होनी है, लेकिन अभी तक सीबीआई की ओर से जवाब पेश नहीं किया गया है. ऐसे में कोर्ट ने जवाब के लिए 11 सितम्बर तक का समय दिया है. गौरतलब है कि संजीवनी मामले में गत 13 अप्रैल को राजस्थान हाईकोर्ट ने केन्द्रीय मंत्री शेखावत को राहत देते हुए अग्रिम आदेश तक नो कोरसिव के आदेश देते हुए गिरफ्तारी पर रोक लगाई थी.