जयपुर. जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के दूसरे दिन जाने-माने पत्रकार और ब्लॉगर रवीश कुमार का सेशन खासा सुर्खियों में रहा. रवीश कुमार ने सेशन के दौरान दिल्ली में जारी महिला पहलवानों के धरने पर अपनी बात रखी. सेशन में रवीश कुमार देश में डर के माहौल को लेकर बात रखत हुए यहां तक कह गए कि जज भी डर रहे हैं.
सेशन में बातचीत के दौरान रवीश कुमार ने कहा कि दिल्ली में जो लड़कियां धरने पर बैठी हैं, वो कितनी ताकतवर हैं. लेकिन वो जिस व्यक्ति के खिलाफ धरने पर बैठी हैं, उसका नाम लेने में भी डर लगता है और डर लगना भी चाहिए. इतना आसान नहीं है, उनके इलाके में जब जाएंगे तो पता चलेगा कि वो डर कितना बड़ा है. आप सरकार का नाम ले लेते हैं, लेकिन उनका नाम लेकर उनके इलाके में जरा बोलकर दिखाइये.
रवीश ने कहा कि स्मृति ईरानी को बेखौफ होकर महिलाओं के मसले पर उनकी आवाज बनने के लिए धरने में शामिल होना चाहिए. उनके शामिल होने पर मैं भी पीछे-पीछे आ जाऊंगा. डर के माहौल को लेकर रवीश कुमार ने कहा कि डर तो मंत्रियों, सांसदों और प्रवक्ताओं को भी है. वरना इतने बड़े मसले पर खामोशी नजर नहीं आती. महिला रेसलर के प्रोटेस्ट पर उन्होंने कहा कि बृजभूषण सिंह के नाम का खौफ बड़ा है, इतना कुछ होने के बाद भी उनका नाम लिखने और पढ़ने में डर महसूस किया जा रहा है. उन्होंने मौजूदा व्यवस्था को स्टेट से जोड़ते हुए कहा कि आज किसी को भी किसी भी फर्जी मुकदमे में फंसा दिया जाता है. उन्होंने कहा कि यह डर उन्हें भी है. क्योकि स्टेट का डर आज ज्यादा हो गया है.
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जब जज डर रहे हैं, तब सब डर रहे हैंः रवीश कुमार ने जेएलएफ में डर पर बात करते हुए साल 2022 नवंबर में सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ के उस बयान का जिक्र किया , जिसमें उन्होंने कहा था कि अब जजों को जमानत देते हुए भी डर लगता है. गौरतलब है कि सीजेआई ने ऊपरी अदालतों में जमानत की अर्जियों की बढ़ती संख्या के मुद्दे पर अपनी बात रखी थी. उन्होंने कहा था कि जज जमानत देने के लिए अनिच्छुक हैं , क्योंकि उन्हें जघन्य मामलों में निशाना बनाए जाने का डर रहता है. रवीश कुमार ने कहा कि जब जज डरते हैं, सीजेआई इसको स्वीकार करते हैं , तो भी देश के मुस्तकबिल के लिए आपको भी डरना चाहिए. हालांकि उन्होंने कहा कि चीफ जस्टिस से सीख लेनी चाहिए कि वे इस डर के बावजूद अपनी बात कह रहे हैं , उन्होंने कहा कि इसके मायने यह भी हैं कि वे आपसे समर्थन मांग रहे हैं, आप हैं कहां ?.
सेशन के दौरान रवीश कुमार ने केंद्रीय एजेंसियों के दबाव में होने की बात कही. उन्होंने प्रवर्तन निदेशालय ( ईडी ) को लेकर एक सवाल के जवाब में कहा कि कर्नाटक में प्रधानमंत्री को एक मामले में खत लिखे जाने के बावजूद कार्रवाई नहीं हुई , डर सभी को लगता है. डर ईडी वालों को भी लगता है. उन्हें जहां जाने के लिए कहा जाता है , वहीं जाते हैं.
विपक्ष होना आसान नहीं है आजः इस बीच विपक्ष को लेकर भी एक सवाल के जवाब में रवीश कुमार ने जवाब दिया. उन्होंने कहा कि विपक्ष के नेताओं के लिए भी हालात अच्छे नहीं हैं. उन पर भी दबाव है , कार्रवाई का डर है, समर्थकों पर भी कार्रवाई हो रही है. ऐसे में मौजूदा दौर में विपक्ष का होना आसान नहीं कहा जा सकता है. यहां तक कि जनता ने भी अपोजिशन का साथ छोड़ दिया है , उन्हें भी साथ चलने में डर लग रहा है. रवीश कुमार ने कहा कि यह समझना होगा कि लोकतंत्र में विपक्ष जनता होती है पर जनता ने विपक्ष बनना छोड़ दिया है. देश की जनता ने नई पार्टियां और नए नेता खड़े कर दिए हैं. इस दौरान पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट भी रवीश कुमार को सुनने के लिये लिट् फेस्ट में पहुंचे. सेशन के बाद दोनों की मुलाकात भी हुई.