सूरत: गुजरात के सूरत के पांच युवाओं के द्वारा प्रतिदिन समुद्र के 1500 गैलन पानी को पीने योग्य पानी बनाने की पहल के बाद अब राजस्थान के बाड़मेर इलाके में 700 गांवों को पीने का साफ पानी मिल सकेगा. सूरत के इंजीनियरिंग के छात्र यश तारवाड़ी, भूषण परवते, जाह्नवी राणा, नीलेश शाह और चिंतन शाह ने शोध किया है जिसकी बदौलत तटीय इलाकों में पानी की कमी को दूर करने के साथ ही खारे पानी को शुद्ध करके उसे पीने योग्य बनाया जा सकता है. इन युवाओं ने अपने पांच साल के शोध से एक डिवाइस बनाई है जिससे खारे पानी को शुद्ध करने में सफलता अर्जित की है.
डिवाइस से राजस्थान सरकार प्रभावित - इंजीनियरों के इस समूह ने सौर ऊर्जा से चलने वाला उपकरण बनाया है. इसके जरिए समुद्र के पानी के अलावा खनिज युक्त खारे पानी को पीने योग्य पानी बनाया जा सकता है. इससे जल जनित संक्रमणों की रोकथाम में भी सहायता मिलेगी. छात्रों के इस अध्ययन ने राजस्थान सरकार का भी ध्यान खींचा है. इसी दृष्टिकोण के चलते जल्द ही राजस्थान के बाड़मेर जिले में 700 गांवों को पीने योग्य पानी उपलब्ध कराने का लक्ष्य है.
रोजाना 1,500 लीटर खारे पानी को पीने योग्य बनाया जाता है : सूरत के इंजीनियरों द्वारा बनाए गए इस उपकरण से समुद्री जल को ताजे पानी में परिवर्तित किया जाता है और यह पूर्ण रूप से सौर ऊर्जा से संचालित होता है. इसी तकनीक की बदौलत ओलपाड तालुका में प्रतिदिन 1500 लीटर खारे पानी को पीने योग्य बनाया जा रहा है जिसका उपयोग आसपास के गांवों के निवासियों द्वारा किया जा रहा है.
अपशिष्ट जल का उपचार : सौर ऊर्जा से संचालित इस प्रोजेक्ट की वजह से बिजली की बचत होती है. वहीं आरओ सिस्टम के पानी में कई पोषक तत्वों की जहां कमी हो जाती है वहीं लंबे समय तक उसका उपयोग स्वास्थ्य के लिए भा नुकसानदायक होता है. दूसरी ओर, इस सोलर प्लांट से एकत्र किया गया कोई भी पानी खनिज युक्त होगा. साथ ही स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होने के अलावा जलजनित संक्रमणों से बचाव में मदद करेगा.
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राजस्थान सरकार ने युवाओं से किया संवाद : इस संबंध में चिंतन शाह ने बताया कि बाड़मेर क्षेत्र में पानी को आरओ सिस्टम से ट्रीट किया जाता है. हालांकि, 50% गैर-शुद्ध पानी को फेंक दिया जाता है, जो पर्यावरण के लिए हानिकारक है. शाह के मुताबिक वहां के अधिकारियों ने उनसे संपर्क किया है और हम जल्द ही अपनी तकनीक का इस्तेमाल करके वहां के पानी को शुद्ध करेंगे, परिणामस्वरूप, 700 गांवों के लोगों को इसका लाभ मिल सकेगा.
गुजरात प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड भी बहुत प्रभावित : उन्होंने यह भी कहा कि गुजरात प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड उनके प्रोजेक्ट से बहुत प्रभावित है. उन्होंने कहा कि आज भी सूरत और दक्षिण गुजरात में जल जेट उद्योग हैं, जो अधिकांश पानी की खपत करते हैं. यहां भी वे इस तकनीक से अपना उद्योग चला सकेंगे. इसके अलावा इससे बिजली की बचत तो होगी ही अपशिष्ट जल को शुद्ध करेगा ताकि उनका पुन: उपयोग किया जा सके.
गुजरात प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड भी प्रभावित : चिंतन शाह के अनुसार, गुजरात प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड भी उनकी पहल से संतुष्ट है. उन्होंने बताया कि अब भी, सूरत और दक्षिण गुजरात में वॉटर जेट कंपनियां हैं जो अधिकांश पानी का उपयोग करती हैं और लेकिन इस तकनीक का उपयोग करके वह अपना खुद का व्यवसाय चलाने में ज्यादा सक्षम होंगी. साथ ही इससे ऊर्जा का संरक्षण भी होगा.