नई दिल्ली : राहुल गांधी के दो हिंदुस्तान बयान (rahul gandhi two india remark) पर केंद्र सरकार आक्रामक है. लोक सभा में राहुल के टू इंडिया बयान पर नकवी ने कहा कि 'इंदिरा इज इंडिया; इंडिया इज इंदिरा' और 'कांग्रेस इज कंट्री और कंट्री इज कांग्रेस' के सुरुर में रहने वाले लोग हिंदुस्तान की संस्कृति नहीं समझ सकते.
उन्होंने कहा कि एक समय था जब देश दंगा, आतंकवाद और हिंसा से बेचैन रहता था. नकवी ने कहा कि दंगों का महीना और हफ्ता खत्म हो गया है. उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद इस संदर्भ में बड़ा बदलाव हुआ. उन्होंने कहा कि सुरक्षा पर जो आ जाए तो टकराना जरूरी है, जो जिंदा हो तो जिंदा नजर आना जरूरी है.
बकौल नकवी, मोदी सरकार के दौर में पूरी दुनिया को संदेश मिला है कि हिंदुस्तान खुद की सुरक्षा के संकल्प से लबरेज है. उन्होंने सर्जिकल स्ट्राइक का जिक्र किया और कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे मुद्दे पर भी सबूत मांगा गया, जो दुर्भाग्यपूर्ण था.
बिंदुवार पढ़ें नकवी की बातें-
- परिवारों की पॉलिटिकल परिक्रमा के आधार पर देश कि सियासत नहीं चल रही.
- परिश्रम और पराक्रम के आधार पर लोगों को मिल रहा सम्मान.
- लाल बत्ती की संस्कृति, उसकी धौंस-धमक के कारण आम आदमी को लगता था कि हम पर धौंस जमाया जा रहा है. मोदी सरकार के कार्यकाल में इस पर विराम लगा.
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इससे पहले राज्य सभा की कार्यवाही शुरू होने के बाद सभापति वेंकैया नायडू ने पूर्व राज्य सभा सदस्य श्रीमती जमना देवी के निधन पर शोक संदेश पढ़ा. दिवंगत को श्रद्धांजलि देने के लिए राज्य सभा सांसदों ने कुछ पलों का मौन रखा. बता दें कि जमना देवी का निधन 87 वर्ष की आयु में गत 20 जनवरी को हुआ.
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बता दें कि मंगलवार को गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय (Minister of State for Home Nityanand Rai) ने उच्च सदन को एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि देश में 2018-2020 के दौरान दंगे के 1807 मामले (1807 riot cases registered ) दर्ज हुए. उन्होंने यह भी कहा कि सांप्रदायिक दंगों के सर्वाधिक मामले बिहार में दर्ज किये गए. इसके बाद महाराष्ट्र और हरियाणा का स्थान रहा. उन्होंने बताया कि देश में वर्ष 2018 में सांप्रदायिक दंगों के 512 मामले, 2019 में 438 मामले और 2020 में 857 मामले दर्ज किए गए.