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संवैधानिक सुरक्षा कवच को मजबूती दे सकता है KYC: पीएम

संविधान दिवस के अवसर पर 80वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन के समापन सत्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि KYC यानि Know Your Constitution हमारे संवैधानिक सुरक्षा कवच को भी मजबूत कर सकता है.

पीठासीन अधिकारी सम्मेलन के समापन सत्र को संबोधित कर रहे हैं पीएम मोदी
पीठासीन अधिकारी सम्मेलन के समापन सत्र को संबोधित कर रहे हैं पीएम मोदी
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Published : Nov 26, 2020, 1:22 PM IST

Updated : Nov 26, 2020, 2:24 PM IST

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 80वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन के समापन सत्र को संबोधित किया. इस दौरान पीएम ने संविधान दिवस पर भी संबोधित किया. उन्होंने कहा कि KYC यानी नो यॉर कॉन्सटीट्यूशन (Know Your Constitution) हमारे संवैधानिक सुरक्षा कवच को भी मजबूत कर सकता है.

पीएम का संबोधन

26/11 हमले पर बात करते हुए पीएम ने कहा कि आज की तारीख देश पर सबसे बड़े आतंकी हमले के साथ जुड़ी हुई है. 2008 में पाकिस्तान से आए आतंकियों ने मुंबई पर धावा बोल दिया था. इस हमले में अनेक लोगों की मृत्यु हुई थी. अनेक देशों के लोग मारे गए थे.

पीएम के संबोधन के कुछ प्रमुख अंश:

  • समय के साथ जो कानून अपना महत्व खो चुके हैं, उनको हटाने की प्रक्रिया भी आसान होनी चाहिए. बीते सालों में ऐसे सैकड़ों कानून हटाए जा चुके हैं. क्या हम ऐसी व्यवस्था नहीं बना सकते, जिससे पुराने कानूनों में संशोधन की तरह, पुराने कानूनों को रिपील करने की प्रक्रिया स्वत: चलती रहे?
  • हमारे यहां बड़ी समस्या ये भी रही है कि संवैधानिक और कानूनी भाषा, उस व्यक्ति को समझने में मुश्किल होती है जिसके लिए वो कानून बना है. मुश्किल शब्द, लंबी-लंबी लाइनें, बड़े-बड़े पैराग्राफ, क्लॉज-सब क्लॉज, यानि जाने-अनजाने एक मुश्किल जाल बन जाता है.
  • हमारे कानूनों की भाषा इतनी आसान होनी चाहिए कि सामान्य से सामान्य व्यक्ति भी उसको समझ सके. हम भारत के लोगों ने ये संविधान खुद को दिया है. इसलिए इसके तहत लिए गए हर फैसले, हर कानून से सामान्य नागरिक सीधा कनेक्ट महसूस करे, ये सुनिश्चित करना होगा.
  • हर नागरिक का आत्मसम्मान और आत्मविश्वास बढ़े, ये संविधान की भी अपेक्षा है और हमारा भी ये निरंतर प्रयास है. ये तभी संभव है जब हम सभी अपने कर्तव्यों को, अपने अधिकारों का स्रोत मानेंगे, अपने कर्तव्यों को सर्वोच्च प्राथमिकता देंगे.
  • कोरोना के इसी समय में हमारी चुनाव प्रणाली की मजबूती भी दुनिया ने देखी है. इतने बड़े स्तर पर चुनाव होना, समय पर परिणाम आना, सुचारु रूप से नई सरकार का बनना, ये इतना भी आसान नहीं है.
  • हमें हमारे संविधान से जो ताकत मिली है, वो ऐसे हर मुश्किल कार्यों को आसान बनाती है.
  • इस दौरान संसद के दोनों सदनों में तय समय से ज्यादा काम हुआ है. सांसदों ने अपने वेतन में भी कटौती करके अपनी प्रतिबद्धता जताई है. अनेक राज्यों के विधायकों ने भी अपने वेतन का कुछ अंश देकर कोरोना के खिलाफ लड़ाई में अपना सहयोग दिया है.
  • भारत की 130 करोड़ से ज्यादा जनता ने जिस परिपक्वता का परिचय दिया है. उसकी एक बड़ी वजह, सभी भारतीयों का संविधान के तीनों अंगों पर पूर्ण विश्वास है. इस विश्वास को बढ़ाने के लिए निरंतर काम भी हुआ है.
  • इमरजेंसी के उस दौर के बाद Checks and Balances का सिस्टम मज़बूत से मज़बूत होता गया.
  • विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका तीनों ही उस कालखंड से बहुत कुछ सीखकर आगे बढ़े. संविधान के तीनों अंगों की भूमिका से लेकर मर्यादा तक सबकुछ संविधान में ही वर्णित है.
  • 70 के दशक में हमने देखा था कि कैसे separation of power की मर्यादा को भंग करने की कोशिश हुई थी, लेकिन इसका जवाब भी देश को संविधान से ही मिला.
  • इस हमले में अनेक भारतीयों की मृत्यु हुई थी. कई और देशों के लोग मारे गए थे. मैं मुंबई हमले में मारे गए सभी को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं.
  • आज का दिन पूज्य बापू की प्रेरणा को, सरदार वल्लभभाई पटेल की प्रतिबद्धता को प्रणाम करने का है.
  • ऐसे अनेक प्रतिनिधियों ने भारत के नवनिर्माण का मार्ग तय किया था.
  • देश उन प्रयासों को याद रखे, इसी उद्देश्य से 5 साल पहले 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया गया था.

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 80वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन के समापन सत्र को संबोधित किया. इस दौरान पीएम ने संविधान दिवस पर भी संबोधित किया. उन्होंने कहा कि KYC यानी नो यॉर कॉन्सटीट्यूशन (Know Your Constitution) हमारे संवैधानिक सुरक्षा कवच को भी मजबूत कर सकता है.

पीएम का संबोधन

26/11 हमले पर बात करते हुए पीएम ने कहा कि आज की तारीख देश पर सबसे बड़े आतंकी हमले के साथ जुड़ी हुई है. 2008 में पाकिस्तान से आए आतंकियों ने मुंबई पर धावा बोल दिया था. इस हमले में अनेक लोगों की मृत्यु हुई थी. अनेक देशों के लोग मारे गए थे.

पीएम के संबोधन के कुछ प्रमुख अंश:

  • समय के साथ जो कानून अपना महत्व खो चुके हैं, उनको हटाने की प्रक्रिया भी आसान होनी चाहिए. बीते सालों में ऐसे सैकड़ों कानून हटाए जा चुके हैं. क्या हम ऐसी व्यवस्था नहीं बना सकते, जिससे पुराने कानूनों में संशोधन की तरह, पुराने कानूनों को रिपील करने की प्रक्रिया स्वत: चलती रहे?
  • हमारे यहां बड़ी समस्या ये भी रही है कि संवैधानिक और कानूनी भाषा, उस व्यक्ति को समझने में मुश्किल होती है जिसके लिए वो कानून बना है. मुश्किल शब्द, लंबी-लंबी लाइनें, बड़े-बड़े पैराग्राफ, क्लॉज-सब क्लॉज, यानि जाने-अनजाने एक मुश्किल जाल बन जाता है.
  • हमारे कानूनों की भाषा इतनी आसान होनी चाहिए कि सामान्य से सामान्य व्यक्ति भी उसको समझ सके. हम भारत के लोगों ने ये संविधान खुद को दिया है. इसलिए इसके तहत लिए गए हर फैसले, हर कानून से सामान्य नागरिक सीधा कनेक्ट महसूस करे, ये सुनिश्चित करना होगा.
  • हर नागरिक का आत्मसम्मान और आत्मविश्वास बढ़े, ये संविधान की भी अपेक्षा है और हमारा भी ये निरंतर प्रयास है. ये तभी संभव है जब हम सभी अपने कर्तव्यों को, अपने अधिकारों का स्रोत मानेंगे, अपने कर्तव्यों को सर्वोच्च प्राथमिकता देंगे.
  • कोरोना के इसी समय में हमारी चुनाव प्रणाली की मजबूती भी दुनिया ने देखी है. इतने बड़े स्तर पर चुनाव होना, समय पर परिणाम आना, सुचारु रूप से नई सरकार का बनना, ये इतना भी आसान नहीं है.
  • हमें हमारे संविधान से जो ताकत मिली है, वो ऐसे हर मुश्किल कार्यों को आसान बनाती है.
  • इस दौरान संसद के दोनों सदनों में तय समय से ज्यादा काम हुआ है. सांसदों ने अपने वेतन में भी कटौती करके अपनी प्रतिबद्धता जताई है. अनेक राज्यों के विधायकों ने भी अपने वेतन का कुछ अंश देकर कोरोना के खिलाफ लड़ाई में अपना सहयोग दिया है.
  • भारत की 130 करोड़ से ज्यादा जनता ने जिस परिपक्वता का परिचय दिया है. उसकी एक बड़ी वजह, सभी भारतीयों का संविधान के तीनों अंगों पर पूर्ण विश्वास है. इस विश्वास को बढ़ाने के लिए निरंतर काम भी हुआ है.
  • इमरजेंसी के उस दौर के बाद Checks and Balances का सिस्टम मज़बूत से मज़बूत होता गया.
  • विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका तीनों ही उस कालखंड से बहुत कुछ सीखकर आगे बढ़े. संविधान के तीनों अंगों की भूमिका से लेकर मर्यादा तक सबकुछ संविधान में ही वर्णित है.
  • 70 के दशक में हमने देखा था कि कैसे separation of power की मर्यादा को भंग करने की कोशिश हुई थी, लेकिन इसका जवाब भी देश को संविधान से ही मिला.
  • इस हमले में अनेक भारतीयों की मृत्यु हुई थी. कई और देशों के लोग मारे गए थे. मैं मुंबई हमले में मारे गए सभी को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं.
  • आज का दिन पूज्य बापू की प्रेरणा को, सरदार वल्लभभाई पटेल की प्रतिबद्धता को प्रणाम करने का है.
  • ऐसे अनेक प्रतिनिधियों ने भारत के नवनिर्माण का मार्ग तय किया था.
  • देश उन प्रयासों को याद रखे, इसी उद्देश्य से 5 साल पहले 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया गया था.
Last Updated : Nov 26, 2020, 2:24 PM IST
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