मुंबई/नई दिल्ली : हनुमान चालीसा विवाद मामले में बम्बई उच्च न्यायालय ने सांसद नवनीत राणा और उनके विधायक पति रवि राणा के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी रद्द करने से इनकार किया. यह फैसला दंपती के लिए झटका माना जा रहा है. हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि जिनके पास पावर होता है, उनकी जिम्मेदारी अधिक बनती है. दूसरी ओर पूरे मामले पर लोकसभा सचिवालय ने भी रिपोर्ट मांगा है. सांसद राणा ने लोकसभा स्पीकर को चिट्ठी लिखी थी. नवनीत ने गलत तरीके से गिरफ्तारी का आरोप लगाया है.
उच्च न्यायालय ने हनुमान चालीसा विवाद के सिलसिले में गिरफ्तार निर्दलीय सांसद नवनीत राणा और उनके विधायक पति रवि राणा द्वारा दायर उस रिट याचिका को सोमवार को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने अपने खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने का अनुरोध किया था. दंपती ने आज सुबह उच्च न्यायालय का रूख कर, शहर में खार पुलिस द्वारा उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने का अनुरोध किया था. खार पुलिस ने यह प्राथिमिकी, एक पुलिस अधिकारी को उनके कर्तव्यों का निर्वहन करने से रोकने के आरोप में प्राथमिकी दर्ज की थी. हालांकि, न्यायमूर्ति पी. बी. वराले और न्यायमूर्ति एस. एम. मोदक की पीठ ने कहा कि याचिका में कोई दम नहीं है.
विभिन्न धर्मों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देने के आरोप में पुलिस ने 23 अप्रैल को पहली प्राथमिकी दर्ज की थी. बाद में इस प्राथमिकी में राजद्रोह का आरोप भी जोड़ दिया गया था. खार पुलिस ने 24 अप्रैल को एक लोक सेवक को ड्यूटी करने से रोकने के आरोप में राणा दंपति के खिलाफ आईपीसी की धारा 353 के तहत दूसरी प्राथमिकी दर्ज की थी. आपको बता दें कि रवि राणा और नवनीत राणा ने दावा किया है कि उन्हें मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे द्वारा झूठे मामलों में फंसाया जा रहा है.
गत शनिवार को दो दिनों के हाई-वोल्टेज ड्रामा के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था. दरअसल, दंपती ने मुख्यमंत्री के निजी आवास तक मार्च करने और 'हनुमान चालीसा' पढ़ने का ऐलान किया था. इस ऐलान के बाद सैंकड़ों कार्यकर्ता जमा हो गए. कई कार्यकर्ता तो बैरिकेड्स तोड़कर गेट के अंदर भी घुस गए थे. इस मामले को लेकर खूब सियासत हो रही है.