नई दिल्ली : दिल्ली कैंट के नांगल इलाके में 9 साल की बच्ची के साथ हुई दरिंदगी को लेकर हर कोई न्याय की मांग कर रहा है. जहां मासूम को न्याय दिलाने के लिए धरना प्रदर्शन दिया जा रहा है, तो वहीं नेताओं और अन्य वीआईपी लोगों का पीड़ित परिवार से मिलने का सिलसिला भी जारी है.
मामले में कड़ी से कड़ी कार्रवाई के साथ पीड़ित परिवार को न्याय दिलाए जाने का आश्वासन भी दिया जा रहा है. ऐसे में सवाल यह है कि जब इस तरीके की घटनाएं हो जाती हैं, तभी प्रशासन और समाज क्यों जागता है.
बच्चों की शिक्षा और उनसे जुड़े अन्य मुद्दों को लेकर काम कर रही गुंजन फाउंडेशन की संस्थापक सुषमा सिंघवी ने इस पूरे मामले को लेकर ईटीवी भारत से खास बातचीत की. उन्होंने कहा कि समाज में बलात्कार जैसी घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं. ऐसे में इन घटनाओं को लेकर विचार किए जाने की जरुरत है. यह समाज के लिए बेहद शर्मनाक है. सरकार को चाहिए कि बलात्कार जैसे मामलों पर त्वरित कार्यवाई करे. सरकार इन अपराधियों को जल्द से जल्द सजा दिलाने के लिए काम करे.
ऐसे मामलों में पूरे समाज को एक साथ आना होगा. बलात्कार जैसे मामलों में कार्रवाई के लिए कानून में कई प्रकार की ढील दी जाती है. अगर रेप का आरोपी कोई नाबालिग है तो उसे जुवेनाइल कहा जाता है जबकि वह इस तरीके के जघन्य अपराध को अंजाम दे रहा है. ऐसे मामलों में पूरे समाज को एक साथ आने की आवश्यकता है. निर्भया गैंगरेप जैसा मामला जब हुआ तो पूरे समाज में एक साथ आवाज उठाई, उस मामले के बाद मानो ऐसा लगा कि ऐसे मामले अब खत्म हो जाएंगे. अपराधियों को फांसी भी दे दी गई. जिसके बाद समाज में एक ऐसा संदेश गया कि अब अपराधी ऐसा कोई भी अपराध करने से डरेंगे. लेकिन अभी भी अपराधियों के मन में कोई डर नहीं है. वे लगातार ऐसी घटनाओं को बेखौफ अंजाम दे रहे हैं.
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सुषमा सिंघवी ने कहा कि बलात्कार जैसी घटनाओं के लिए कई बार महिलाओं को ही जिम्मेदार ठहराया दिया जाता है. उसके पहनावे रहन-सहन पर सवाल खड़े किए जाते हैं. लेकिन छोटी-छोटी मासूम बच्चियों का क्या पहनावा होता है. दरिंदे उन्हें किस कारण से अपना शिकार बना लेते हैं. ऐसे अपराध होते हैं तब सरकार जागती है. पीड़ित परिजनों को मुआवजा भी दे दिया जाता है. लेकिन यह समस्या का समाधान नहीं है और ना ही इससे अपराध कम होंगे. समाधान यह है कि ऐसे मामलों में सरकार कड़ी कार्रवाई का प्रावधान करे. कुछ सालों की सजा ऐसे अपराधियों पर लगाम नहीं लगा सकती.
हमारे बीच ऐसे कई हजारों बच्चे हैं जो शिक्षा और रोजमर्रा की जरूरत की चीजों के लिए तरस रहे हैं. उनके माता-पिता के पास अपने बच्चों के पालन पोषण के लिए उपयुक्त साधन नहीं है. लेकिन समाज या प्रशासन तब नहीं जागता. अपराध हो जाने के बाद समाज के साथ-साथ राजनीतिक गलियारों और प्रशासन द्वारा पीड़ितों की सहायता का आश्वासन दिया जाता है. यह बेहद अफसोसजनक है.