जोधपुर. लंपी स्किन डिजीज से गायों की मौतों का सिलसिला लगातार जारी है (Lumpy Disease Deaths in Jodhpur). सरकार का दावा है कि मौतों में अब कमी आ रही है. दावे की वजह वो आंकड़े हैं, जिसे सरकार प्रस्तुत कर रही है. इन आंकड़ों की मानें तो जोधपुर संभाग के 6 जिलों में अब तक करीब 13,000 गायों की मौत हुई है. जबकि धरातल पर हालात बहुत विकट है.
बदहाली का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जोधपुर शहर के बाहरी इलाके की सड़कों के आसपास के क्षेत्र में गायों के शव से दुर्गंध आ रही है (lumpy in Cows). बायोवेस्ट निस्तारण प्लांट के पास तो इतने बुरे हालात हैं कि वहां गायों के शव का ढेर लगा हुआ है. पोकलेन मशीन से शवों को हटाया जा रहा है. इसके अलावा शहर के पहाड़ी क्षेत्रों में भी शवों की बेकद्री हो रही है. आसपास के लोग दुर्गंध से परेशान हैं.
टीकाकरण ने रोकी राह: परेशानी इस बात की भी है कि लंपी से सर्वाधिक प्रभावित जोधपुर संभाग में अभी टीकाकरण शुरू नहीं हो पाया है. इसकी वजह यह है कि फिलहाल उन जिलों में टीकाकरण किया जा रहा है जहां यह बीमारी नहीं है. पशु चिकित्सकों का मानना है कि स्वस्थ पशु में टीका ज्यादा कारगर है.
अब तक 4 लाख प्रभावित: जोधपुर पशुपालन विभाग के एडिशनल डायरेक्टर डॉ. मनमोहन नागोरी का कहना है कि संभाग में अब तक 3 लाख 94 हजार से ज्यादा मवेशी इस बीमारी से प्रभावित हुए हैं. इनमें से 3 लाख 11 हजार ठीक हो चुके हैं जबकि 12800 की मौत हुई है. प्रभावित और ठीक होने के बीच की संख्या के अंतर का कोई जवाब नहीं है. बताया जा रहा है कि उनका उपचार चल रहा है. दावा यहां तक किया जा रहा है की 7 सितम्बर को तो पूरे संभाग में सिर्फ 132 मौतें हुई हैं.
हालात विकट आंकड़ों में गोल माल: पशुपालन विभाग जो आंकड़े जारी कर रहा है, उसके अनुरूप जोधपुर जिले में अब तक 1 लाख 13 हजार गाय प्रभावित हुई हैं. इसके अलावा 3,800 से ज्यादा मौतें हुई हैं जबकि धरातल पर हालात कुछ और ही है. शहर के बाहरी इलाकों में शवों के ढेर हैं. ग्रामीण क्षेत्र में खासकर ओसिया मथानिया इलाके में हजारों गाय जान गंवा चुकी हैं. इनकी मौतें सरकारी कागजों में दर्ज भी नहीं हुई हैं.