जयपुर. राजस्थान की भारतीय जनता पार्टी का अस्तित्व स्वर्गीय भैरों सिंह शेखावत के बिना देखा नहीं जा सकता है. शेखावत ने राजस्थान में गैर कांग्रेसी सरकार को स्थापित करने के साथ ही राजनीति में कई आदर्श स्थापित किए थे. जनसंघ से लेकर भारतीय जनता पार्टी तक अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी और भैरों सिंह शेखावत की तिकड़ी का हर कोई मुरीद था. शेखावत ने हमेशा युवा नेतृत्व को आगे लाने की कोशिश की. राजस्थान में केंद्र से चाहे वसुंधरा राजे को लाकर मुख्यमंत्री बनाना हो या फिर राजेंद्र राठौड़, राजपाल सिंह शेखावत और घनश्याम तिवारी जैसे राजनेता भी शेखावत की पाठशाला में ही आगे बढ़े. भारतीय जनता पार्टी उनके जन्मशती वर्ष पर 15 मई को पुण्य तिथि के दिन से कार्यक्रमों का आगाज कर रही है. शेखावत के पैतृक गांव खाचरियावास से इसकी शुरुआत हो रही है. शेखावत की राजनीतिक जीवन में कई ऐसे प्रसंग हैं, जो इस मौके पर याद किए जाएंगे.
राजनीति की पाठशाला रहे शेखावत : देश के 11वें उपराष्ट्रपति रहे स्वर्गीय भैरों सिंह शेखावत राजस्थान में तीन बार मुख्यमंत्री रहने वाले एकमात्र गैर कांग्रेसी नेता है. उन्होंने 1977, 1990 और 1993 में राजस्थान में मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी. शेखावत ने 1952 से लेकर 2002 तक राजस्थान विधानसभा में निर्वाचन क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व किया. साल 2003 में शेखावत को पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था. 1923 में सीकर जिले के राजपूत किसान परिवार में जन्मे शेखावत ने हाईस्कूल तक की तालीम हासिल की थी. इसके बाद उन्होंने पुलिस की नौकरी की और फिर राजनीति में दाखिल हुए. 1950 में जनसंघ की सदस्यता लेने के बाद शेखावत ने 1952 में रामगढ़ से विधानसभा का चुनाव लड़ा और जीते. उसके बाद शेखावत 1957 में श्रीमाधोपुर से 1962 और 1967 में जयपुर की किशनपोल से विधायक रहे. इसके बाद चुनावी हार हुई और साल 1973 में उन्हें मध्य प्रदेश से राज्यसभा के लिए भेजा गया.
साल 1975 में देश में लागू इमरजेंसी के दौरान शेखावत को गिरफ्तार कर रोहतक जेल में रखा गया. आपातकाल के बाद हुए चुनाव में शेखावत ने हाड़ौती की छबड़ा सीट से अपना भाग्य आजमाया और जीत हासिल की. इस दौरान प्रचंड बहुमत के साथ आई जनता पार्टी की सरकार ने 151 सीटों पर जीत हासिल की थी. इस सरकार का नेतृत्व शेखावत ने किया और राजस्थान में पहली गैर कांग्रेसी गवर्नमेंट स्थापित हुई. जिसे 1980 में इंदिरा गांधी ने बर्खास्त कर दिया. उसके बाद हुई चुनाव में शेखावत ने फिर से छपर से ही जीत हासिल की. 1985 में वे चित्तौड़गढ़ के निंबाहेड़ा से विधायक बने. 1990 में जनता दल के साथ हुए गठबंधन में शेखावत फिर से मुख्यमंत्री बने और धौलपुर से जीत हासिल की.
साल 1993 में इस सरकार को इंदिरा गांधी ने बर्खास्त कर राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया था. इसके बाद 1993 में शेखावत के नेतृत्व में भाजपा ने पहली बार राजस्थान में 96 सीटें हासिल की और सरकार बनाई इस चुनाव में शेखावत ने पाली जिले के बाली और श्रीगंगानगर से चुनाव लड़ा था, लेकिन गंगानगर में उनकी हार हुई. शेखावत ने अपने राजनीतिक कौशल के दम पर 116 विधायकों का समर्थन हासिल कर 5 साल सरकार चलाई. भैरों सिंह शेखावत के तीन बार के मुख्यमंत्री काल की खासियत यह रही कि पूर्व बार उनकी पार्टी को बहुमत नहीं मिला था, फिर भी वह मुख्यमंत्री बनने में कामयाब रहे.
एक और खास बात है, संभवत शेखावत एकमात्र ऐसे मुख्यमंत्री होंगे, जिन्होंने राज्य की आठ अलग-अलग विधानसभा सीटों से अपनी पार्टी का प्रतिनिधित्व किया था. अपने तीसरे कार्यकाल के दौरान शेखावत ने पार्टी के अंदर बगावत भी झेली, पर इसके बावजूद उन्होंने कामयाबी के साथ अपना कार्यकाल पूरा किया और सरकार को गिरने से बचाया. इस घटना का जिक्र हाल ही में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने धौलपुर के भाषण में भी किया था. तब उन्होंने बताया था कि जब वे प्रदेशाध्यक्ष थे, तो कैसे उन्होंने भाजपाइयों की सरकार गिराने की साजिश में साथ नहीं दिया था.
राजनीति के साथ समाज सुधार पर था फोकस : सीकर जिले के दिवराला में जब साल 1987 में 18 वर्षीय बालिका रूप कंवर का सती कांड हुआ, तो भैरों सिंह शेखावत ने अपने ही समाज के खिलाफ आवाज उठाते हुए सती प्रथा का विरोध किया था. बिना समाज के वोट बैंक की परवाह किए शेखावत में तत्काल सती प्रथा पर पूर्णतया प्रतिबंध लगा दिया था. केंद्र में जब इंदिरा गांधी गरीबी हटाओ का नारा दे रही थी, तब राज्य में भैरों सिंह शेखावत अंत्योदय योजना लाकर गरीबी उत्थान का काम कर रहे थे. उनके इस प्रोजेक्ट को वर्ल्ड बैंक के तत्कालीन अध्यक्ष रॉबर्ट मैकनमारा ने उन्हें भारत का रॉकफेलर कहा. भैरों सिंह शेखावत की प्रशासनिक क्षमता का भी हर कोई कायल रहा. उन्होंने राजस्थान में ब्यूरोक्रेसी पर नकेल कसने के साथ-साथ शिक्षा, औद्योगिक विकास के अलावा हेरिटेज संरक्षण पर जो काम किया, वह आज भी याद रखा जाता है.
शेखावत के विभिन्न कार्यकाल
- 22 जून 1977 - 16 फरवरी 1980: राजस्थान के मुख्यमंत्री .
- 1980 - 90 विपक्ष के नेता, राजस्थान विधान सभा .
- 4 मार्च 1990 – 15 दिसम्बर 1992: राजस्थान के मुख्यमंत्री .
- 4 दिसंबर 1993 - 29 नवंबर 1998: राजस्थान के मुख्यमंत्री .
- दिसंबर 1998 - अगस्त 2002: विपक्ष के नेता , राजस्थान विधान सभा .
- 19 अगस्त 2002 – 21 जुलाई 2007: भारत के उपराष्ट्रपति .