कोटा: कोटा राज परिवार के सदस्य बृजराज सिंह का आज 87 साल की उम्र में निधन (Former MP Brijraj Singh dies) हो गया है. उन्होंने कोटा में ही आज अंतिम सांस ली है. इसके चलते कोटा राजघराना समेत पूरा संभाग और रियासत शोक में डूब गया है. ऐसे में शनिवार को राजघराने की परंपरा के अनुसार अंतिम संस्कार नयापुरा स्थित क्षारबाग में दोपहर करीब 3:00 बजे बाद होगा. वह कोटा के अंतिम शासक महाराव भीम सिंह द्वितीय के इकलौते पुत्र थे. महाराजा बृजराज सिंह खुद तीन बार झालावाड़ लोकसभा सीट से सांसद रहे हैं.
जिसमें 1962, 1967 और 1971 में चुनाव जीते है. वे पूर्व सांसद इज्यराज सिंह के पिता और भाजपा विधायक कल्पना देवी के ससुर है. उनकी पत्नी उत्तरा देवी है. बृजराज सिंह का जन्म 21 फरवरी 1934 को हुआ था. इसके साथ ही वे 20 जुलाई 1991 को महाराव बने थे. इसके बाद से वर्तमान में भी वही कोटा के महाराव हैं. इसके साथ ही वह 1959 से 1961 तक कॉपरेटिव बैंक के चेयरमैन बोर्ड ऑफ डायरेक्टर रहे हैं.
महाराव बृजराज सिंह ने किए हुए थे दो विवाह : बृजराज सिंह का दो बार विवाह हुआ था. सबसे पहले प्रतापगढ़ राजपरिवार के सदस्य रामसिंह की बेटी महेश्वरी से उनका विवाह 1956 में हुआ था, लेकिन यह विवाद ज्यादा नहीं चल पाया. 1963 में उनका मुंबई (बॉम्बे) में तलाक हो गया था. इसके बाद उन्होंने बिहार के कूचबिहार राजपरिवार के सदस्य इंद्रजीत नारायण की पुत्री उत्तरा देवी के साथ में 1963 में ही दूसरा विवाह किया. उनकी पहली पत्नी महेश्वरी ने इसके बाद में ही फिल्म अभिनेता कुलभूषण खरबंदा से दूसरा विवाह किया था. बृजराज सिंह की बेटी भवानी कुमारी का विवाह भी पश्चिमी बंगाल के जयचंद मेहताब के साथ हुआ है. उनकी भी दो पुत्रियां हैं.
रामपुर की बेगम नूर बानो बांधती थी बृजराज सिंह को राखी : उत्तर प्रदेश के रामपुर के नवाब परिवार से संबंध रखने वाली बेगम नूर बानो कोटा के महाराव बृजराज सिंह को अपना भाई मानती है. उन्हें करीब 75 वर्षों से वे राखी बांधती हैं. नूर बानो का जन्म हरियाणा के लोहारू के अंतिम शासक नवाब अमीन उद्दीन अहमद खान के परिवार में हुआ. वहीं निकाह रामपुर के आखिरी शासक नवाब रजा अली खान के बेटे सैयद जुल्फिकार अली खान से हुआ है. हरियाणा के लोहारू से रामपुर ब्याह कर आईं बेगम नूरबानो पिछले 75 सालों से अपने हिंदू भाइयों को राखी बांध रही हैं. इसके चलते वे कई बार बृजराज सिंह के राखी बांधने कोटा भी आई हैं. राखी पर जब वे कोटा नहीं आ पाती थी तो राखी को भेज दी थी, साथ ही बृजराज सिंह भी उनके लिए शगुन हर बार भेजते थे.
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दरीखाना की जाजम पर व्यक्त करते थे कोटा की चिंता : बृजराज सिंह दशहरे के अवसर पर गढ़ पैलेस में आयोजित परंपरागत दरीखाना की जाजम पर अक्सर कोटा की चिंता व्यक्त करते नजर आते थे. इस दौरान कोटा के जनप्रतिनिधियों को भी लताड़ लगा देते थे. यहां तक कि उन्हें कोटा शहर की अव्यवस्थाओं के बारे में भी खरी खरी कहते थे. साथ ही कई व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने की भी बात रख देते थे. उन्होंने कोटा के दशहरे मैदान का स्मार्ट सिटी के तहत निर्माण पर भी आपत्ति जताई थी, उनका कहना था कि कोटा के दशहरे का वैभव इससे बिगड़ रहा है.
लोकसभा स्पीकर बिरला समेत कई ने जताया शोक : बृजराज सिंह के निधन पर लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने भी शोक (Speaker Om Birla Expressed Grief) जताया है. स्पीकर ओम बिरला ने शिक्षा चिकित्सा एवं मानव कल्याण के क्षेत्र में उनके योगदान को अप्रतिम बताया है. कोटा के विकास, संस्कृति व परंपराओं के संरक्षण में दिए योगदान की सराहना की, लोकसभा स्पीकर बिरला ने कहा है कि कला और इतिहास लेखन और पर्यटन को भी निरंतर महाराव बृजराज सिंह ने प्रोत्साहित किया. उनके निधन को कोटा सहित राजस्थान के लिए अपूरणीय क्षति बताया. साथ ही कहा कि उनकी स्मृतियां हमेशा जीवंत रहेगी. इसके अलावा कोटा रियासत के प्रतिष्ठित लोग और राजनेताओं ने भी पूर्व महाराव के निधन पर संवेदनाएं व्यक्त की है.