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Opposition Party Meeting : विपक्षी दलों की एक और बैठक, सूत्रधार डीएमके

विपक्षी दलों की एक और बैठक और इसके सूत्रधार हैं डीएमके प्रमुख एमके स्टालिन. इससे पहले स्टालिन के जन्मदिन पर भी विपक्षी दलों ने एकता दिखाने की कोशिश की थी. सोमवार को होने वाली बैठक नई दिल्ली में हो रही है.

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Published : Apr 2, 2023, 6:10 PM IST

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स्टालिन, येचुरी, गहलोत, तेजस्वी, अखिलेश

नई दिल्ली : डीएमके प्रमुख और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने सोमवार को विपक्षी नेताओं की एक बैठक बुलाई है. इसमें कांग्रेस समेत 20 विपक्षी दलों के नेताओं को आमंत्रित किया गया है. कुछ नेता बैठक में ऑनलाइन के माध्यम से हिस्सा लेंगे. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने शामिल होने की बात कंफर्म कर दी है. कुछ राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने अपने-अपने प्रतिनिधियों को भेजने का फैसला किया है. इनमें प.बंगाल की सीएम ममता बनर्जी, तेलंगाना के सीएम केसीआर और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल शामिल हैं.

आम आदमी पार्टी की ओर से संजय सिंह, बीआरएस की ओर से केशव राव और टीएमसी की ओर से डेरेक ओ ब्रायन शामिल होंगे. आपको बता दें कि कुछ दिनों पहले ही डीएमके प्रमुख स्टालिन के 70वें जन्मदिवस पर भी सभी विपक्षी दलों के नेता एकत्रित हुए थे. कल की बैठक के एजेंडे को पूरी तरह से साफ नहीं किया गया है. यहां तक कि डीएमके ने मीडिया को बयान दिया है कि बैठक की कोई भी राजनीतिक मंशा नहीं है. उनके अनुसार सामाजिक न्याय को लेकर बैठक बुलाई गई है.

राजद के तेजस्वी यादव, सपा के अखिलेश यादव, एनसी के फारूख अब्दुल्ला, सीपीएम के सीताराम येचुरी और सीपीआई के डी राजा बैठक में भाग ले रहे हैं. बीजद के सस्मित पात्रा और वाईएसआर के ए सुरेश भी बैठक में हिस्सा ले सकते हैं. एनसीपी और शिवसेना भी इस बैठक में हिस्सा ले सकती है. वैसे, बीजद और वाईएसआर की ओर से बताया गया है कि बैठक में राजनीतिक नहीं, सामाजिक न्याय के मुद्दे उठेंगे. उनके प्रतिनिधि बैठक में हिस्सा लेंगे, इस पर भी अंतिम फैसला नहीं हुआ है.

कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बीजद और वाईएसआर ने अभी तक अपना राजनीतिक रूख क्लियर नहीं किया है. इन दोनों पार्टी के नेताओं के भाजपा, खासकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अच्छे संबंध हैं और कई मौकों पर इन दोनों दलों ने सरकार का साथ भी दिया है, लिहाजा इन दलों के इस बैठक में हिस्सा लेने के कई राजनीतिक मायने हो सकते हैं.

विश्लेषक ये भी मानते हैं कि 2024 लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी दलों की कोशिश है कि वे सभी एक मंच पर आएं और वे मिलकर भाजपा का सामना करें.

ये भी पढ़ें : Tamil Nadu CM MK Stalin's 70th Birthday: विपक्ष की ओर से प्रधानमंत्री का चेहरा हो सकते हैं एमके स्टालिन - फारुख अब्दुला

नई दिल्ली : डीएमके प्रमुख और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने सोमवार को विपक्षी नेताओं की एक बैठक बुलाई है. इसमें कांग्रेस समेत 20 विपक्षी दलों के नेताओं को आमंत्रित किया गया है. कुछ नेता बैठक में ऑनलाइन के माध्यम से हिस्सा लेंगे. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने शामिल होने की बात कंफर्म कर दी है. कुछ राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने अपने-अपने प्रतिनिधियों को भेजने का फैसला किया है. इनमें प.बंगाल की सीएम ममता बनर्जी, तेलंगाना के सीएम केसीआर और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल शामिल हैं.

आम आदमी पार्टी की ओर से संजय सिंह, बीआरएस की ओर से केशव राव और टीएमसी की ओर से डेरेक ओ ब्रायन शामिल होंगे. आपको बता दें कि कुछ दिनों पहले ही डीएमके प्रमुख स्टालिन के 70वें जन्मदिवस पर भी सभी विपक्षी दलों के नेता एकत्रित हुए थे. कल की बैठक के एजेंडे को पूरी तरह से साफ नहीं किया गया है. यहां तक कि डीएमके ने मीडिया को बयान दिया है कि बैठक की कोई भी राजनीतिक मंशा नहीं है. उनके अनुसार सामाजिक न्याय को लेकर बैठक बुलाई गई है.

राजद के तेजस्वी यादव, सपा के अखिलेश यादव, एनसी के फारूख अब्दुल्ला, सीपीएम के सीताराम येचुरी और सीपीआई के डी राजा बैठक में भाग ले रहे हैं. बीजद के सस्मित पात्रा और वाईएसआर के ए सुरेश भी बैठक में हिस्सा ले सकते हैं. एनसीपी और शिवसेना भी इस बैठक में हिस्सा ले सकती है. वैसे, बीजद और वाईएसआर की ओर से बताया गया है कि बैठक में राजनीतिक नहीं, सामाजिक न्याय के मुद्दे उठेंगे. उनके प्रतिनिधि बैठक में हिस्सा लेंगे, इस पर भी अंतिम फैसला नहीं हुआ है.

कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बीजद और वाईएसआर ने अभी तक अपना राजनीतिक रूख क्लियर नहीं किया है. इन दोनों पार्टी के नेताओं के भाजपा, खासकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अच्छे संबंध हैं और कई मौकों पर इन दोनों दलों ने सरकार का साथ भी दिया है, लिहाजा इन दलों के इस बैठक में हिस्सा लेने के कई राजनीतिक मायने हो सकते हैं.

विश्लेषक ये भी मानते हैं कि 2024 लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी दलों की कोशिश है कि वे सभी एक मंच पर आएं और वे मिलकर भाजपा का सामना करें.

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