बेंगलुरु: रक्षा मंत्रालय (The Defence Ministry) ने भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (Bharat Electronics Limited) की बेंगलुरु और हैदराबाद इकाई के साथ 3,102 करोड़ रुपए के दो समझौतों (two contracts worth Rs 3,102 crore) पर हस्ताक्षर किए हैं. रक्षा मंत्रालय और बीईएल-बेंगलुरु ने भारतीय वायु सेना के लड़ाकू विमानों के लिए ‘उन्नत इलेक्ट्रॉनिक युद्धक’ (ईडब्ल्यू) सूट (Advanced Electronic Warfare (EW) suite) की आपूर्ति के वास्ते समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं. बीईएल ने बुधवार को जारी एक बयान में कहा कि इस करार की अनुमानित लागत 1,993 करोड़ रुपए है.
बयान में कहा गया कि उन्नत ईडब्ल्यू प्रणाली की आपूर्ति से युद्ध के दौरान भारतीय वायु सेना के विमान की क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी. इस ईडब्ल्यू सूट को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा डिजाइन और विकसित किया गया है. रक्षा मंत्रालय ने भारतीय वायु सेना के लिए बीईएल-हैदराबाद के साथ ‘इंस्ट्रूमेंटेड इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर रेंज’ (आईईडब्ल्यूआर) के वास्ते भी करार पर हस्ताक्षर किए हैं. बयान में कहा गया कि इस समझौते से वायु सेना की भविष्य में युद्ध लड़ने की क्षमता में वृद्धि होगी. इस करार की अनुमानित लागत 1,109 करोड़ रुपए है.
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भारत भविष्य में किसी भी रक्षा सामान का 'संभवतः' आयात नहीं करेगा: इधर नई दिल्ली में रक्षा मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी ने बुधवार को कहा कि भारत विदेशी और घरेलू कंपनियों के बीच अंतर नहीं करता है, लेकिन आगे चलकर वह किसी भी रक्षा वस्तु का 'संभवतः' आयात नहीं करेगा. स्टॉकहोम स्थित रक्षा थिंक-टैंक ‘एसआईपीआरआई’ ने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि भारत 2017-21 में प्रमुख हथियारों का दुनिया का सबसे बड़ा आयातक था और इस अवधि में कुल वैश्विक हथियारों के आयात का 11 प्रतिशत हिस्सा था. रक्षा मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव (रक्षा उत्पादन) संजय जाजू ने उद्योग मंडल ‘पीएचडीसीसीआई’ के एक कार्यक्रम में कहा कि जब तक विदेशी ओईएम (मूल उपकरण निर्माता) भारत में हैं, और वे भारत के भीतर डिजाइन और निर्माण कर रहे हैं, तब तक भारत सरकार पूरी तरह से निष्पक्ष है. उन्होंने कहा कि मेरे पास लॉकहीड मार्टिन जैसे वैश्विक ओईएम के दोस्त हैं, जो यहीं बैठे हैं. यह विदेशी ओईएम पर कोई टिप्पणी नहीं है. उन्होंने कहा कि हमारे लिए, आप सभी समान हैं. हमारी सभी नीतियां इस तरह से तैयार की गई हैं कि आप सभी को समान अवसर मिले. लेकिन एक बात जो अब सामने आ रही है वह यह है कि आगे जाकर संभवत: हम कुछ भी आयात नहीं करेंगे. शुरुआत में ही यह कहा जा सकता है.