नई दिल्ली : मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सीताराम येचुरी (Sitaram Yechury National General Secretary of CPIM) ने बयान जारी कर कहा कि इस बजट से आम लोगों को बहुत अपेक्षाएं थी. दो साल के दौरान महामारी और आर्थिक मंदी से पीड़ित, बेरोजगारी की बढ़ती दर और इसके साथ गरीबी, कुपोषण और भुखमरी के हालात में लोग राहत चाहते थे लेकिन इसका उल्टा हुआ है.
सीताराम येचुरी ने आगे कहा कि सुविधाएं बढ़ाने की बजाय उसमें और कमी कर दी गई है. जैसे कि बढ़ती बेरोजगारी के दौर में मनरेगा जैसी योजना के लिये बजटीय आवंटन बढ़ाना चाहिये था लेकिन ऐसा नहीं किया गया. शहरी क्षेत्र में बेरोजगारी को नियंत्रित करने के लिये कोई रोजगार गारंटी योजना लानी थी जो सरकार ने नहीं किया है. उसी तरह से पेट्रोल, खाद्य पदार्थ, खाद बीज पर सब्सिडी बढ़ाने की बजाय घटा दी गई है.
उन्होंने कहा कि देश में गरीब लोग और गरीब होते जा रहे हैं जबकि देश के 10 प्रतिशत सबसे अमीर लोगों की आमदनी बढ़ी है. वह और अमीर होते जा रहे हैं. बतौर येचुरी यदि सरकार चाहती तो उन दस प्रतिशत अमीर वर्ग जिनके पास देश की संपत्ति का 65 प्रतिशत हिस्सा है उन पर अतिरिक्त टैक्स लगा कर आम लोगों को राहत देने का कार्य किया जा सकता था लेकिन ऐसा नहीं किया गया. माकपा महासचिव ने बजट को जनविरोधी और कॉर्पोरेट को फायदा पहुंचाने वाला करार दिया है.
राज्यों को मिलने वाले बजट में भी कटौती की गई है. ऐसे समय में जब खर्चे बढ़ाने चाहिये थे तब खर्चे में कटौती की जा रही है. सरकार आंकड़े पेश कर अपनी पीठ थपथपा रही है लेकिन वास्तविकता कुछ और ही है. वहीं भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) के वरिष्ठ नेता और ऑल इंडिया किसान सभा के महासचिव अतुल अंजान ने कहा है कि केंद्रीय बजट जनता के लिए दुखदाई साबित होगा.
भारत सरकार के केंद्रीय बजट 2022- 23 में किसी भी प्रकार की राहत ग्रामीण भारत एवं साधारण नागरिकों को नहीं दिया गया है. वहीं दूसरी ओर कॉरपोरेट टैक्स में कमी करके देश में साधन संपन्न लोगों को काफी सहूलियत दी गई. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राष्ट्रीय सचिव अतुल कुमार अंजान ने कहा कि इस बजट से युवाओं के रोजगार के रास्ते नहीं खुलेंगे. साधारण लोग प्रतीक्षा कर रहे थे की टैक्स में विशेषकर इनकम टैक्स मैं लोगों को रियायत मिलेगी.
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किसान इस बात की आशा कर रहे थे कृषि लागत दर में कमी की जाएगी और न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी गारंटी दी जाएगी लेकिन इन सब का जिक्र तक नहीं किया गया. यह बजट कोरोना काल की विपदा को और भी आगे बढ़ाएगा. केंद्र की मोदी सरकार आर्थिक विकास की गाड़ी को पटरी पर लाने में पूर्णता असफल रही है.