कोटा. राजस्थान की शिक्षा नगरी कहा जाने वाले कोटा में युवाओं के सपनों को धार मिलती है. मेडिकल, इंजीनियरिंग समेत अलग-अलग फील्ड में नाम रोशन करने के लिए देश के कोने-कोने से स्टूडेंट यहां आते हैं. वे सपनों को पंख देने के लिए जमकर मेहनत करते हैं और सफलता के शिखर को छूते हैं. कोचिंग के लिए देश में खास पहचान रखने वाले कोटा में इसकी शुरुआत घरेलू ट्यूशन से हुई थी (kota coaching history).
घरेलू ट्यूशन से शुरू हुई कोचिंग से अब मेडिकल और इंजीनियरिंग एंट्रेंस में कोटा से देश में सबसे ज्यादा चयन हर साल होते हैं. कोटा में 1983 के बाद जब कोचिंग इंडस्ट्री की शुरुआत हुई थी, तब तक कोटा की रीढ़ मानी जाने वाली जेके और अराफात सहित अन्य कई फैक्ट्री बंद हुई थी. जिससे शहर की अर्थव्यवस्था बिगड़ी. लेकिन जब से कोटा की कोचिंग इंडस्ट्री खड़ी हुई तब से यहां आर्थिक रीढ़ बनकर कमान संभाले हुए है. इससे करीब 4000 करोड़ का टर्नओवर हर साल कोटा को मिलता है.
हर साल बच्चों की संख्या बढ़ रही है. ऐसे में इस साल (Kota Economy in 2022 ) यह इकोनॉमी बूस्ट होकर 6000 करोड़ के आसपास पहुंच सकती है (kota coaching turnover). शहर की लाइफ लाइन कोचिंग इंडस्ट्री ही बनी हुई है. देश भर से यहां आने वाले लाखों बच्चे यहां की अर्थव्यवस्था को मजबूती दे रहे हैं. लाखों लोगों को रोजगार भी कोचिंग इंडस्ट्री दे रही है और शहर का विकास भी अलग-अलग इलाकों में हुआ है. कोचिंग के चलते सभी ट्रेड का व्यापार यहां संचालित हो रहा है. करीब 50,000 से ज्यादा को आईआईटियन कोटा की कोचिंग बना चुकी है.
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वीके बंसल ने की थी शुरुआत- आज इंडस्ट्री बन गयाः कोटा के उद्योगपति गोविंद राम मित्तल का मानना है कि कोटा का कोचिंग आज दुनिया में एक अपना अलग से स्थान रखता है. इसकी शुरुआत करने वाले विनोद कुमार बंसल यानी वीके बंसल जेके फैक्ट्री के सहायक अभियंता थे. जब वे जेके से हट गए, तो जीवन यापन करने के लिए घर के छोटे कमरे में 1985 में पांच बच्चे को पढ़ाया. सभी अच्छे नंबरों से पास हुए और आईआईटी में प्रवेश मिल गया. बाद में संख्या बढ़ गई. फिर 90 के दशक तक उन्होंने ऐसा रूप धारण कर लिया कि जेके के रिटायर कार्मिक वीके बंसल से ट्रेनिंग लेने लगे और अपना कोचिंग शुरू कर दिया. एलन, रेजोनेंस, वाइब्रेंट, मोशन और दूसरे कोचिंग खुले हैं. छोटे-बड़े मिलाकर 30 से 32 कोचिंग खुल गए. इसके बाद वर्ष 2000 तक एक ऐसा माहौल बन गया कि देशभर में कहा जाने लगा कि आईआईटी जाने का एकमात्र रास्ता कोटा स्टेशन है. वीके बंसल का देहांत 75 साल की उम्र में तीन मई 2021 में हुआ है. बंसल का जन्म झांसी में हुआ था. वे बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से इंजीनियरिंग पासआउट थे.
बदनाम करने की हुई कोशिशः उद्योगपति गोविंद राम मित्तल का कहना है कि कोटा के कोचिंग इंडस्ट्री को पनपता देख बाहर के भी कई संस्थान यहां पर आए. उन्होंने अपने कोचिंग खोले, लेकिन वह सफल नहीं हो पाए. बाहर के कोचिंग संस्थानों ने यहां का कल्चर देखा. वह ऐसा काम नहीं कर पाए. उन्होंने यहां पर देखा कि जिस तरह की सुविधाएं उपलब्ध है और टीचर से लेकर हर व्यक्ति मेहनत करता है. जिस तरह का यहां पर इंफ्रास्ट्रक्चर है, वैसा सब जगह नहीं हो सकता है. कोटा का एक अच्छा इतिहास रहा है. यहां पर सफल स्टूडेंट्स का प्रतिशत भी काफी ज्यादा है. ऐसा दक्षिण और दिल्ली की तरफ से कोचिंग संस्थान नहीं कर पाएं. उन्होंने कहा कि वे ईर्ष्या करते थे और कोटा को बदनाम कर कोचिंग इंडस्ट्री को कमजोर करने की कोशिश भी की गई. इसमें भी वे असफल रहे और कोटा की कोचिंग इंडस्ट्री का अपना अलग ही नाम विदेश में भी हो गया है.
जहां कोचिंग खुला वहां हॉस्टल और मार्केट हुआ विकसितः कोटा हॉस्टल एसोसिएशन के अध्यक्ष नवीन मित्तल का कहना है कि कोटा शहर में जैसे कोचिंग संस्थानों का विकास हुआ और जिस एरिया में कोचिंग खुले, वहां रोजगार से लेकर व्यापार और जमीनों के दाम भी बढ़ गए. इन इलाकों में विकास भी तेजी से होता गया. सभी सुविधाएं उस एरिया में मिलने लगी है. पहले जहां पर दादाबाड़ी, तलवंडी व जवाहर नगर इलाके में ही कोचिंग हुआ करती थी, अब यहां से कई किलोमीटर दूर भी कोचिंग संस्थान खुल गए. पहले जिन भी इलाकों में कोचिंग खुले, वहां के मकान मल्टीस्टोरी में तब्दील हो गए.
नवीन मित्तल का कहना है कि छोटे बाजार भी एक बड़े मार्केट में बदल गए. कोटा में बात की जाए तो राजीव गांधी नगर, कोरल पार्क, लैंडमार्क सिटी, जवाहर नगर, इंडस्ट्रियल एरिया, दादाबाड़ी, इलेक्ट्रॉनिक कॉम्प्लेक्स, तलवंडी, इंद्रविहार, महावीर नगर व विज्ञान नगर भी कोचिंग के अलावा हॉस्टल का हब बन गया है. साथ ही लगातार देशभर के कोचिंग छात्र यहां पर आ रहे थे. जिसके बाद शहर में रियल स्टेट में भी काफी इन्वेस्टमेंट हुआ और बड़ी-बड़ी मल्टीस्टोरी, बिल्डिंगों के अलावा शॉपिंग मॉल कल्चर भी यहां पर आ गया है. जिसके बाद बड़े-बड़े ब्रांडेड शोरूम भी कोटा में खुले हैं. इनका व्यापार शहर के लोग और कोचिंग छात्रों के जरिए ही बढ़ा है.
हजारों करोड़ का हो रहा है इन्वेस्टमेंटः कोटा की इकोनॉमी (Economy of Kota) कोचिंग से ही बूस्ट होती है. कोचिंग संस्थान की फीस और बच्चे का कोटा में रहने का खर्चा होता है. जिसमें हॉस्टल या पीजी किराया, खाने-पीने का खर्चा शामिल है. इससे आय के संसाधन बढ़ते हैं. लोगों की इनकम बढ़ती है, तब इन्वेस्टमेंट भी होता है. कोटा में जितने भी हॉस्टल हैं. वह करीब 10 हजार करोड़ का इन्वेस्टमेंट के बाद बने हैं. यह क्रम लगातार जारी है. इस इन्वेस्टमेंट को देखा जाए तो मार्केट से बिल्डिंग मटेरियल, सेनेटरी, इलेक्ट्रिकल, लेबर को काफी पैसा मिलता है. यही कारण है कि कोटा में आसानी से लेबर नहीं मिल पाती है. यहां पर लोग इन्वेस्ट कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें रिटर्न मिल रहा है. कुछ दिनों पहले यहां पर दो बड़े कोचिंग अनअकैडमी और फिजिक्स वाला भी आए हैं. इससे भी कोटा का काफी नाम देश भर में बढ़ रहा है. ट्रेड की बात की जाए तो रियल स्टेट के अलावा प्रॉपर्टी, बिल्डिंग मटेरियल, बुक स्टेशनरी, परिवहन, रेस्टोरेंट, हॉस्टल, होटल, रेडीमेड व डेली नीड का व्यापार भी काफी बढ़ रहा है.
किराए से भी करोड़ों रुपए की होती है इनकमः हॉस्टल संचालक सुनील कटारिया का मानना है कि कोटा कोचिंग के क्षेत्र में करीब 1 लाख लोग प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार ले रहे हैं. इनमें कोचिंग, मैस, हॉस्टल और पीजी में काम करने वाले लोग शामिल हैं. एंटरटेनमेंट के लिए भी काफी सुविधाएं बच्चों को कोटा में उपलब्ध हैं. जिसमें बड़ी राशि इन बच्चों की खर्च होती है.
इसके अलावा सब्जी, दूध, रेडीमेड, किराना, जनरल आइटम, स्टेशनरी की दुकान, फुटकर खाने-पीने की दुकानों से लेकर बड़े रेस्टोरेंट और मॉल तक भी शामिल हैं. इसके अलावा पीजी व हॉस्टल रेंटल की आमदनी भी बड़ी मात्रा में कोटा को मिलती है. यहां तक कि कोटा में करीब 10,000 ऑटो और टैक्सी परिवहन के साधनों में मौजूद हैं. कोटा मैस एसोसिएशन के अध्यक्ष जसमेर सिंह का कहना है कि 1994 में मैस आ गई थी और करीब 700 के आसपास में चालू है. जिनमें एक लाख बच्चे खाना खाते हैं. जैसे जैसे जरूरत बढ़ती रही, वैसे ही मैस बढ़ते रहे. इससे काफी बिजनेस मिलता है.
2019 का तोड़ेगा कोटा रिकॉर्ड, करियर के साथ केयर सिटी भीः कोटा की बात की जाए तो वर्तमान में सर्वाधिक बच्चे इस साल यहां पर पढ़ने के लिए आए हैं. कोटा में करीब 2 लाख से ज्यादा बच्चे इस साल पहुंच गए हैं. इससे पहले कोटा में 2019 में सर्वाधिक बच्चे पहुंचे थे. जिसके बाद कोविड-19 का दौर शुरू हो गया. ऐसे में बच्चे घरों पर चले गए 2 साल कोटा में बच्चों की संख्या कम ही थी. वर्तमान में कोचिंग संस्थानों में एडमिशन का माहौल काफी अच्छा रहा है. कोटा के एलेन कोचिंग संस्थान के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट नितेश शर्मा का मानना है कि कोरोना में कोटा ने करियर सिटी के साथ केयर सिटी की इमेज बनाई थी. इसी के चलते पेरेंट्स और स्टूडेंट का विश्वास ज्यादा बढ़ गया है.
हर साल ज्यादा सलेक्शन और बेहतर सुविधाएं है चुनौतीः नितेश शर्मा का मानना है कि कोटा की कोचिंग को आने वाले समय में चुनौती तो किसी भी तरह की नहीं है. लेकिन हम कह सकते हैं कि एकेडमिक पार्ट हो या ऑनलाइन हमें बच्चों के करियर पर अच्छे से काम करना होगा. हर साल बच्चों का करियर बनाने के लिए अच्छा माहौल दे रहे हैं. बच्चों की परीक्षाओं और उनका रिजल्ट हमेशा से ही चुनौती रहा है. इसको हर साल आशा अनुरूप बढ़ा भी रहे हैं.
मेडिकल में 30 प्रतिशत आईआईटी में हर तीसरी सीटः मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट यूजी की बात की जाए तो करीब एक लाख से ज्यादा विद्यार्थियों को हर साल क्वालीफाई कोटा करवाता है. देश की करीब 30 फीसदी मेडिकल सीट पर यहां के विद्यार्थी कब्जा जमाते हैं. इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा के जरिए भी करीब 5000 से ज्यादा विद्यार्थियों को आईआईटी में कोटा पहुंचा रहा है. ऐसे में हर तीसरा बच्चा आईआईटी में कोटा से होता है. कोटा सिलेक्शन में ही नहीं टॉप रैंकिंग में भी आगे रहता है. हर साल टॉप-100 में सैकड़ों की संख्या में बच्चे शामिल होते हैं. जेईई एडवांस 2021 की बात की जाए तो कोटा से टॉप 100 में 49 बच्चे शामिल हुए थे. इन सभी बच्चों को देश के टॉप आईआईटी संस्थानों में प्रवेश मिला है. कोटा के परीक्षार्थी जेईई मेन और नीट परीक्षाओं में परफेक्ट स्कोर भी लेकर आए हैं. यहां तक कि NEET UG में सबसे पहले पूरे में से पूरे अंक लाने का रिकॉर्ड भी कोटा के नाम है. यह 2020 में शोएब आफताब ने कर दिखाया था और एआईआर 1 रैंक भी लेकर आया था.
देशभर के टॉपर्स का अड्डा भी कोटाः कोटा की पढ़ाई का एक अनूठा तरीका भी है. यहां पर लाखों के संख्या में प्रश्न बैंक है. जहां वीकली एग्जाम का पैटर्न भी संचालित होता है. जिसके चलते विद्यार्थियों को अपनी परफॉर्मेंस का पता हर सप्ताह चलता है. साथ ही परफॉर्मेंस सुधारने का भी मौका मिलता है. जिन सवालों में वह अटक जाता है, उनको डाउट काउंटर के जरिए भी क्लियर किया जा सकता है. वहीं लाखों सवालों के क्वेश्चन बैंक से ही नीट और जेईई जैसे राष्ट्रीय परीक्षाओं में प्रश्न भी पूछे जाते हैं. यहां पर फैकल्टी में भी आपस में कंपटीशन होता है. जिसके चलते बच्चों को बेहतर शिक्षा मिल पाती है. दूसरी तरफ अधिकांश टॉपर स्टूडेंट देशभर से यहां पर पढ़ने के लिए आते हैं. ऐसे में उनमें भी कंपटीशन होता है.
अब आगे लक्ष्य क्लैट, सिविल सर्विसेज व भर्ती परीक्षाएंः कोटा के भविष्य की बात की जाए तो यहां पर हाल ही में एक कोचिंग संस्थान ने कॉमर्स डिवीजन भी शुरू किया है. इसके अलावा कोटा में कक्षा 6 से ही बच्चे करियर बनाने के लिए आ जाते हैं. जिन्हें मेडिकल और इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षाओं की बारीकी कक्षा 6 से ही सिखा दी जाती है. इन बच्चों के लिए अलग से क्लासेज लगती है, यह स्कूल की तरह ही होती है. वहीं दूसरी तरफ कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस एग्जाम और अग्निवीर भर्ती सहित अन्य परीक्षाओं की तैयारी भी कोटा में शुरू हुई है. एक बड़ा कोचिंग संस्थान यह घोषणा कर चुका हैं कि आने वाले समय में लाखों बच्चों को कोटा में भी पढ़ाने वाले हैं. जिसमें लॉ एंट्रेंस परीक्षा क्लैट, सिविल सर्विसेज सहित सभी भर्तियों की तैयारी यहां पर करवाई जाएगी. यहा ऑनलाइन एजुकेशन देने के लिए भी एक बड़ी राशि खर्च की जा रही है.