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स्थापना दिवस पर BSF के जांबाज जवानों को सलाम - सीमा सुरक्षा बल के जवानों को स्थापना दिवस पर सलाम

सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) आज अपना 57वां स्थापना दिवस (BSF 57th Raising Day) मना रहा है. शरीर को गला देने वाली ठंड हो या तपता रेगिस्तान, सरहद पर निर्भीक होकर हमारे जवान डटे हुए हैं. भारत मां की रक्षा करने के लिए अपनी जान तक न्यौछावर करने वाले सीमा सुरक्षा बल के जवानों को स्थापना दिवस पर सलाम...

Border Security Force  (file photo)
सीमा सुरक्षा बल (फोटो-ईटीवी भारत)
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Published : Dec 1, 2021, 5:05 AM IST

हैदराबाद : दुनिया के सबसे बड़े केंद्रीय बल के रूप में लोकप्रिय सीमा सुरक्षा बल (Border Security Force) जिसका ध्येय है 'जीवन पर्यन्त कर्तव्य' आज अपना 57वां स्थापना दिवस मना रहा है. बीएसएफ पहली बार राजस्थान के सीमावर्ती क्षेत्र जैसलमेर में अपना स्थापना दिवस मना रहा है.

बीएसएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पुष्टि की कि गृह मंत्रालय (एमएचए) से अनुमति मिलने के बाद पहली बार सीमा क्षेत्र में स्थापना दिवस समारोह आयोजित किया जा रहा है. केंद्र सरकार ने पिछले महीने सीमा सुरक्षा बल को पंजाब, पश्चिम बंगाल और असम में अंतर्राष्ट्रीय सीमा से मौजूदा 15 किलोमीटर से 50 किलोमीटर के दायरे में तलाशी, जब्ती और गिरफ्तारी करने के लिए अधिकृत करने के लिए बीएसएफ अधिनियम में संशोधन किया था.

1965 को हुआ गठन
भारत की सीमाओं की सुरक्षा के लिए एक दिसंबर, 1965 को एक विशेष बल सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) का गठन किया गया. दरअसल, 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान कई दिक्कतें आई थीं. जिसके बाद इसका गठन किया गया. बीएसएफ के निर्माण से पहले, भारत-पाक सीमा पर 1947 से 1965 तक सुरक्षा और पहरे की जिम्मेदारी राज्य पुलिस के जवानों पर थी. इस दौरान कई समस्याएं आईं. सबसे बड़ी दिक्कत कई राज्यों की पुलिस में तालमेल को लेकर रही.

पुलिस बलों ने संघीय सरकार से स्वतंत्र कार्य किया और अन्य राज्यों के साथ कम संचार बनाए रखा. पुलिस के ये जवान विषम हालात में काम करने के लिए पूरी तरह ट्रेंड भी नहीं थे. हथियार, उपकरण और संसाधन भी पर्याप्त नहीं थे. सेना या किसी केंद्रीय पुलिस बल के साथ बहुत कम या कोई समन्वय नहीं था. उनके पास मजबूत खुफिया आधारभूत संरचना की भी कमी थी. इसी वजह से देश की सरहदों की रक्षा के लिए अलग बल का गठन किया गया. वर्तमान में बीएसएफ के पास 192 बटालियन (03 एनडीआरएफ सहित) हैं.

हर मुश्किल से निपटने को तैयार हमारे जवान
बीएसएफ के सीमा सुरक्षा कर्तव्यों को दो क्षेत्रों में विभाजित किया गया है. पश्चिमी क्षेत्र भारत-पाकिस्तान सीमा, जम्मू-कश्मीर, पंजाब, राजस्थान और गुजरात के राज्यों के साथ 2,290 किलोमीटर की अंतरराष्ट्रीय सीमा और जम्मू-कश्मीर में 237 किलोमीटर लंबी नियंत्रण रेखा है. पूर्वी क्षेत्र भी कम चुनौतीभरा नहीं है. आपराधिक गतिविधियों पर रोक लगाना, तस्करी से अवैध आव्रजन, घुसपैठ जैसी समस्याओं से भी इन्हें निपटना होता है. इसके साथ ही बीएसएफ भारत के सामने आने वाले विभिन्न आतंकवादी और अलगाववादी खतरों को कम करने में सक्रिय रूप से शामिल है. उग्रवादियों के खिलाफ लड़ने, पंजाब पुलिस बलों को प्रशिक्षित करने और सीमा बाड़ के निर्माण में भी इनकी भूमिका रहती है. गृह मंत्रालय के तहत एक सशस्त्र पुलिस बल के रूप में, बीएसएफ की भूमिका सीमाओं से दूर क्षेत्रों में घरेलू सुरक्षा और कानून व्यवस्था के रख-रखाव की भी होती है. कहीं भी आपात स्थिति से निपटने के लिए इनकी सेवा ली जाती है.

  • कम खतरे वाले क्षेत्रों में तब तक टिके रहें जब तक कि दुश्मन को मुंहतोड़ जवाब देने के पुख्ता प्रबंध न हो जाएं.
  • दुश्मन कमांडो/पैरा फोर्स के खिलाफ महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों की सुरक्षा.
  • सशस्त्र बलों की समग्र योजना के भीतर अर्धसैनिक या दुश्मन के अनियमित बलों के खिलाफ सीमित आक्रामक कार्रवाई.
  • सेना के नियंत्रण क्षेत्र में कानून-व्यवस्था बनाए रखना. युद्ध के बंदियों की रखवाली. घुसपैठ रोकना.
  • कारगिल युद्ध 1999 के दौरान बीएसएफ पहाड़ों की ऊंचाइयों पर बना रहा और सेना के साथ एकजुट होकर अपनी पूरी ताकत से देश की अखंडता की रक्षा की.
  • बीएसएफ के जवान पिछले 10 वर्षों से मणिपुर में आंतरिक सुरक्षा ड्यूटी कर रहे हैं और उन क्षेत्रों में सफलतापूर्वक उग्रवाद से लड़ रहे हैं.
  • 26 जनवरी 2001 को गुजरात में आए भूकंप के दौरान सबसे पहले बीएसएफ ने संकटग्रस्त लोगों की मदद की.
  • बीएसएफ करतारपुर कॉरिडोर पर सुरक्षा संभाल रहा है.
  • बीएसएफ को पाकिस्तान और बांग्लादेश की सीमाओं पर विभिन्न आईसीपी और एलसीएस पर तैनात किया गया है.
  • बीएसएफ ने कोविड महामारी के दौरान सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को संवेदनशील बनाया है और उन्हें नागरिक कार्रवाई कार्यक्रम के तहत आवश्यक सहायता/सहायता प्रदान की है.
  • प्राकृतिक आपदा के समय बीएसएफ तैनाती क्षेत्रों में सहायता प्रदान करता है. जैसे 2013 में केदारनाथ त्रासदी के दौरान लोगों की जान बचाई थी. 2014 में कश्मीर में बाढ़ के दौरान लोगों को सुरक्षित निकाला. 2018 में केरल में बाढ़ के दौरान लोगों की मदद की.

संयुक्त राष्ट्र शांति रक्षा मिशन
संयुक्त राष्ट्र के एक सदस्य के रूप में भारत नियमित रूप से संयुक्त राष्ट्र-प्रायोजित शांति अभियानों के लिए अपने सैनिकों को विदेश भेजता है. बीएसएफ बटालियन को नियमित रूप से भारतीय दल के हिस्से के रूप में तैनात किया जाता है. बीएसएफ की भूमिका की बात की जाए तो ये नामीबिया, कंबोडिया, मोजाम्बिक, अंगोला, बोस्निया और हर्जेगोविना और हैती में संयुक्त राष्ट्र के मिशन में शामिल रहा है.

सीमा सुरक्षा बल का प्रशिक्षण
बीएसएफ के जवान दुनिया के सबसे कठिन प्रशिक्षणों से गुजरते हैं.अपने प्रशिक्षण के पूरा होने पर वे दुनिया के बेहतरीन लड़ाकू सैनिक बनते हैं. वे थार रेगिस्तान में भारत-पाकिस्तान सीमा की रक्षा करते हैं जहां तापमान 50 सेंटीग्रेड तक पहुंच जाता है. यही नहीं वह जम्मू-कश्मीर में शून्य से कम तापमान पर भी डटे रहते हैं. कच्छ के रण में उन्हें दलदली भूमि और खारे पानी से निपटना पड़ता है जबकि भारत-बांग्लादेश सीमा पर उन्हें घने जंगल और दलदली भूमि से निपटना पड़ता है. ये इलाके जहरीले जीवों और बंगाल टाइगर जैसे खूंखार जानवरों के लिए जाने जाते हैं. यही वजह है कि उन्हें हर मुश्किल हालात से निपटने का प्रशिक्षण दिया जाता है.

पढ़ें- BSF नियंत्रण रेखा पर अपने अग्रिम सुरक्षा स्थलों पर स्टील के ढांचे स्थापित करेगा

पढ़ें- PoK से घुसपैठ की कोशिशों में बढ़ोतरी, BSF ने IB पर कड़ी की सुरक्षा

पढ़ें- राज्य के अधिकार क्षेत्र में हस्तक्षेप की आशंका निराधार : बीएसएफ अधिकारी

हैदराबाद : दुनिया के सबसे बड़े केंद्रीय बल के रूप में लोकप्रिय सीमा सुरक्षा बल (Border Security Force) जिसका ध्येय है 'जीवन पर्यन्त कर्तव्य' आज अपना 57वां स्थापना दिवस मना रहा है. बीएसएफ पहली बार राजस्थान के सीमावर्ती क्षेत्र जैसलमेर में अपना स्थापना दिवस मना रहा है.

बीएसएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पुष्टि की कि गृह मंत्रालय (एमएचए) से अनुमति मिलने के बाद पहली बार सीमा क्षेत्र में स्थापना दिवस समारोह आयोजित किया जा रहा है. केंद्र सरकार ने पिछले महीने सीमा सुरक्षा बल को पंजाब, पश्चिम बंगाल और असम में अंतर्राष्ट्रीय सीमा से मौजूदा 15 किलोमीटर से 50 किलोमीटर के दायरे में तलाशी, जब्ती और गिरफ्तारी करने के लिए अधिकृत करने के लिए बीएसएफ अधिनियम में संशोधन किया था.

1965 को हुआ गठन
भारत की सीमाओं की सुरक्षा के लिए एक दिसंबर, 1965 को एक विशेष बल सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) का गठन किया गया. दरअसल, 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान कई दिक्कतें आई थीं. जिसके बाद इसका गठन किया गया. बीएसएफ के निर्माण से पहले, भारत-पाक सीमा पर 1947 से 1965 तक सुरक्षा और पहरे की जिम्मेदारी राज्य पुलिस के जवानों पर थी. इस दौरान कई समस्याएं आईं. सबसे बड़ी दिक्कत कई राज्यों की पुलिस में तालमेल को लेकर रही.

पुलिस बलों ने संघीय सरकार से स्वतंत्र कार्य किया और अन्य राज्यों के साथ कम संचार बनाए रखा. पुलिस के ये जवान विषम हालात में काम करने के लिए पूरी तरह ट्रेंड भी नहीं थे. हथियार, उपकरण और संसाधन भी पर्याप्त नहीं थे. सेना या किसी केंद्रीय पुलिस बल के साथ बहुत कम या कोई समन्वय नहीं था. उनके पास मजबूत खुफिया आधारभूत संरचना की भी कमी थी. इसी वजह से देश की सरहदों की रक्षा के लिए अलग बल का गठन किया गया. वर्तमान में बीएसएफ के पास 192 बटालियन (03 एनडीआरएफ सहित) हैं.

हर मुश्किल से निपटने को तैयार हमारे जवान
बीएसएफ के सीमा सुरक्षा कर्तव्यों को दो क्षेत्रों में विभाजित किया गया है. पश्चिमी क्षेत्र भारत-पाकिस्तान सीमा, जम्मू-कश्मीर, पंजाब, राजस्थान और गुजरात के राज्यों के साथ 2,290 किलोमीटर की अंतरराष्ट्रीय सीमा और जम्मू-कश्मीर में 237 किलोमीटर लंबी नियंत्रण रेखा है. पूर्वी क्षेत्र भी कम चुनौतीभरा नहीं है. आपराधिक गतिविधियों पर रोक लगाना, तस्करी से अवैध आव्रजन, घुसपैठ जैसी समस्याओं से भी इन्हें निपटना होता है. इसके साथ ही बीएसएफ भारत के सामने आने वाले विभिन्न आतंकवादी और अलगाववादी खतरों को कम करने में सक्रिय रूप से शामिल है. उग्रवादियों के खिलाफ लड़ने, पंजाब पुलिस बलों को प्रशिक्षित करने और सीमा बाड़ के निर्माण में भी इनकी भूमिका रहती है. गृह मंत्रालय के तहत एक सशस्त्र पुलिस बल के रूप में, बीएसएफ की भूमिका सीमाओं से दूर क्षेत्रों में घरेलू सुरक्षा और कानून व्यवस्था के रख-रखाव की भी होती है. कहीं भी आपात स्थिति से निपटने के लिए इनकी सेवा ली जाती है.

  • कम खतरे वाले क्षेत्रों में तब तक टिके रहें जब तक कि दुश्मन को मुंहतोड़ जवाब देने के पुख्ता प्रबंध न हो जाएं.
  • दुश्मन कमांडो/पैरा फोर्स के खिलाफ महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों की सुरक्षा.
  • सशस्त्र बलों की समग्र योजना के भीतर अर्धसैनिक या दुश्मन के अनियमित बलों के खिलाफ सीमित आक्रामक कार्रवाई.
  • सेना के नियंत्रण क्षेत्र में कानून-व्यवस्था बनाए रखना. युद्ध के बंदियों की रखवाली. घुसपैठ रोकना.
  • कारगिल युद्ध 1999 के दौरान बीएसएफ पहाड़ों की ऊंचाइयों पर बना रहा और सेना के साथ एकजुट होकर अपनी पूरी ताकत से देश की अखंडता की रक्षा की.
  • बीएसएफ के जवान पिछले 10 वर्षों से मणिपुर में आंतरिक सुरक्षा ड्यूटी कर रहे हैं और उन क्षेत्रों में सफलतापूर्वक उग्रवाद से लड़ रहे हैं.
  • 26 जनवरी 2001 को गुजरात में आए भूकंप के दौरान सबसे पहले बीएसएफ ने संकटग्रस्त लोगों की मदद की.
  • बीएसएफ करतारपुर कॉरिडोर पर सुरक्षा संभाल रहा है.
  • बीएसएफ को पाकिस्तान और बांग्लादेश की सीमाओं पर विभिन्न आईसीपी और एलसीएस पर तैनात किया गया है.
  • बीएसएफ ने कोविड महामारी के दौरान सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को संवेदनशील बनाया है और उन्हें नागरिक कार्रवाई कार्यक्रम के तहत आवश्यक सहायता/सहायता प्रदान की है.
  • प्राकृतिक आपदा के समय बीएसएफ तैनाती क्षेत्रों में सहायता प्रदान करता है. जैसे 2013 में केदारनाथ त्रासदी के दौरान लोगों की जान बचाई थी. 2014 में कश्मीर में बाढ़ के दौरान लोगों को सुरक्षित निकाला. 2018 में केरल में बाढ़ के दौरान लोगों की मदद की.

संयुक्त राष्ट्र शांति रक्षा मिशन
संयुक्त राष्ट्र के एक सदस्य के रूप में भारत नियमित रूप से संयुक्त राष्ट्र-प्रायोजित शांति अभियानों के लिए अपने सैनिकों को विदेश भेजता है. बीएसएफ बटालियन को नियमित रूप से भारतीय दल के हिस्से के रूप में तैनात किया जाता है. बीएसएफ की भूमिका की बात की जाए तो ये नामीबिया, कंबोडिया, मोजाम्बिक, अंगोला, बोस्निया और हर्जेगोविना और हैती में संयुक्त राष्ट्र के मिशन में शामिल रहा है.

सीमा सुरक्षा बल का प्रशिक्षण
बीएसएफ के जवान दुनिया के सबसे कठिन प्रशिक्षणों से गुजरते हैं.अपने प्रशिक्षण के पूरा होने पर वे दुनिया के बेहतरीन लड़ाकू सैनिक बनते हैं. वे थार रेगिस्तान में भारत-पाकिस्तान सीमा की रक्षा करते हैं जहां तापमान 50 सेंटीग्रेड तक पहुंच जाता है. यही नहीं वह जम्मू-कश्मीर में शून्य से कम तापमान पर भी डटे रहते हैं. कच्छ के रण में उन्हें दलदली भूमि और खारे पानी से निपटना पड़ता है जबकि भारत-बांग्लादेश सीमा पर उन्हें घने जंगल और दलदली भूमि से निपटना पड़ता है. ये इलाके जहरीले जीवों और बंगाल टाइगर जैसे खूंखार जानवरों के लिए जाने जाते हैं. यही वजह है कि उन्हें हर मुश्किल हालात से निपटने का प्रशिक्षण दिया जाता है.

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