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INX Media Case: CBI रिमांड के खिलाफ चिदंबरम की अर्जी खारिज

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Published : Aug 26, 2019, 7:49 AM IST

Updated : Sep 28, 2019, 7:07 AM IST

सुप्रीम कोर्ट में सीबीआई रिमांड के खिलाफ चिंदबरम की अर्जी खारिज कर दी गई है. कोर्ट ने कहा है कि इस मामले में चिदंबरम को जमानत अर्जी देनी होगी. कुल मिलाकर फिलहाल पी चिदंबरम को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलती नहीं दिख रही है.

पी. चिदंबरम (फाइल फोटो)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में सीबीआई रिमांड के खिलाफ पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम की अर्जी खारिज हो गई है. उच्चतम न्यायालय का कहना है कि इस मामले में चिदंबरम को जमानत अर्जी देनी होगी. खबर के मुताबिक चिदंबरम फिलहाल सीबीआई की हिरासत में ही रहेंगे. अब सीबीआई के खिलाफ इस चरण में सुनवाई नहीं होगी.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अग्रिम जमानत याचिका खारिज किए जाने के दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ चिदंबरम की याचिका का कोई मतलब नहीं है क्योंकि वह पहले से ही सीबीआई की हिरासत में हैं.

इसके बाद उच्चतम न्यायालय ने सीबीआई द्वारा दर्ज भ्रष्टाचार के मामले में पी. चिदंबरम की याचिका पर सुनवाई से किया इनकार कर दिया.

बता दें कि आज चिदंबरम केस को कोर्ट में सूचिबद्ध नहीं किया गया था. इस पर पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि उन्हें केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की हिरासत में रखने के खिलाफ दायर याचिका को सोमवार को सूचीबद्ध नहीं किया गया है.

ईडी की गिरफ्तारी से एक दिन की राहत
उच्चतम न्यायालय ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) के धन शोधन मामले में आरोपी पूर्व केन्द्रीय मंत्री पी चिदंबरम को राहत दी है और गिरफ्तारी अवधि मंगलवार तक के लिये बढ़ा दी है.

न्यायमूर्ति आर भानुमति और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना की पीठ ने कहा कि धन शोधन के मामले में अग्रिम जमानत रद्द करने के दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ चिदंबरम की अपील पर मंगलवार को भी सुनवाई जारी रहेगी. यह मामला आईएनएक्स मीडिया को विदेशी निवेश के लिये दी गयी मंजूरी से संबंधित है.

चिदंबरम की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्ब्ल ने सोमवार को अपनी बहस पूरी की और कहा कि वह प्रवर्तन निदेशालय के हलफनामे के जवाब में अपना हलफमाना दाखिल करेंगे. प्रवर्तन निदेशालय की ओर से सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि वह मंगलवार को बहस शुरू करेंगे. इस पर पीठ ने ईडी मामले की आगे सुनवाई कल के लिये सूचीबद्ध कर दी.

पढ़ें-चिदंबरम की CBI रिमांड चार दिन के लिए बढ़ाई गई

इससे पहले, दिन में धन शोधन के प्रवर्तन निदेशालय के मामले में चिदंबरम की ओर से बहस करते हुये सिब्बल ने कहा कि निष्पक्ष सुनवाई और निष्पक्ष जांच संविधान के अनुच्छेद 21 में प्रदत्त अधिकार का हिस्सा है और न्यायालय को चिदंबरम के स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार की रक्षा करनी चाहिए.

सिब्बल ने सालिसीटर जनरल तुषार मेहता द्वारा पीठ के अवलोकन हेतु सीलबंद लिफाफे में चुनिन्दा दस्तावेज पेश करने के लिये दी गयी दलीलों का प्रतिवाद किया.

उन्होंने कहा कि निदेशालय ने 19 दिसंबर, 2018, एक जनवरी, 2019 और 21 जनवरी, 2019 को चिदंबरम से तीन बार पूछताछ की लेकिन प्रवर्तन निदेशालय द्वारा उन पर लगाये गये आरोपों से संबंधित सवाल नहीं पूछे गये.

कोर्ट में जिरह के दौरान सिब्बल ने क्या कहा
दूसरी तरफ सुप्रीम कोर्ट में अब ईडी मामले की सुनवाई हो रही है. इस मामले में पी. चिदंबरम की तरफ से अग्रिम जमानत के लिए याचिका दायर की गई है.

ईडी वाले मामले में सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल ने कहा कि दो साल से अगर जांच चल रही है तो तथ्य क्यों सामने नहीं आया. विदेश में संपत्ति थी तो उसे जब्त क्यों नहीं किया गया. पूछताछ में ये दस्तावेज क्यों सामने क्यों नहीं रखे गए.

वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कांग्रेस नेता चिदंबरम की ओर से न्यायालय में इस मामले का जिक्र न्यायमूर्ति आर भानुमति की एक पीठ के समक्ष किया। उन्होंने कहा कि पिछले शुक्रवार को सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा था कि हिरासत संबंधी आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर आज सुनवाई होगी लेकिन इसे जिरह के लिए आज सूचीबद्ध नहीं किया गया है.

पीठ ने सिब्बल से कहा कि प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई से रजिस्ट्री को आवश्यक आदेश मिलने के बाद उनकी याचिका सुनवाई के लिए सूचीबद्ध की जाएगी.

सिब्बल से पीठ ने कहा, 'रजिस्ट्री को कुछ दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है और हमें प्रधान न्यायाधीश से आदेश लेना होगा.'

दिल्ली उच्च न्यायालय ने 28 अगस्त को आईएनएक्स मीडिया भ्रष्टाचार मामले, सीबीआई द्वारा दर्ज धन शोधन मामले और ईडी द्वारा दर्ज मामले में चिदंबरम की अग्रिम जमानत याचिका अस्वीकार कर दी थी. उच्च न्यायालय के फैसले को चिदंबरम ने चुनौती दी थी और उनकी याचिका पर आज उच्चतम न्यायालय में सुनवाई होनी है.

उच्चतम न्यायालय ने आईएनएक्स मीडिया प्रकरण में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दर्ज धन शोधन मामले में शुक्रवार को कांग्रेस नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम को 26 अगस्त तक गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण प्रदान कर दिया था. शीर्ष अदालत इस मामले में सीबीआई और ईडी के मामलों पर 26 अगस्त को सुनवाई के लिये राजी हो गयी.

तब तक चिदंबरम हिरासत में ही रहेंगे क्योंकि न्यायालय ने सीबीआई के मामले में हस्तक्षेप नहीं किया है. इसी मामले में चिदंबरम को 26 अगस्त तक पूछताछ के लिए केंद्रीय जांच एजेंसी की हिरासत में भेजा गया था.

न्यायमूर्ति आर भानुमति और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना की पीठ ने दोनों ही मामलों को सोमवार, 26 अगस्त को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया.

पीठ ने अपने आदेश क्या कहा
पीठ ने अपने आदेश में कहा, 'याचिकाकर्ता के वकीलों और सालिसीटर जनरल तुषार मेहता को सुनने के बाद हमारा मानना है कि सह आरोपियों को प्रवर्तन निदेशालय के मामले में जमानत दी गयी थी. याचिकाकर्ता इस मामले में अगली सुनवाई तक गिरफ्तार नहीं किया जायेगा.
याचिका सोमवार (26 अगस्त) को सूचीबद्ध की जाये. प्रतिवादी (ईडी) सोमवार तक अपना जवाब और दलीलें दाखिल करेगा.'

आदेश लिखाये जाने के बाद मेहता ने न्यायालय को सीलबंद लिफाफे मे कुछ दस्तावेज सौंपने का प्रयास करते हुये कहा कि चिदंबरम को गिरफ्तारी से संरक्षण प्रदान करने का आदेश देने से पहले पीठ को अपने विवेक को संतुष्ट कर लेना चाहिए.

हालांकि, पीठ ने दस्तावेज को स्वीकार करने से इंकार कर दिया और मेहता से कहा कि इन्हें सोमवार को ही दीजिये क्योंकि ये गोपनीय हैं और इन्हें इस तरह से नहीं रखा जा सकता.

सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष के वकील एवं सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और वरिष्ठ अधिवक्ता एवं चिदंबरम के पार्टी सहयोगी कपिल सिब्बत और अभिषेक मनु सिंघवी के बीच तीखी बहस हुई.

मेहता ने आईएनएक्स मीडिया प्रकरण में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दर्ज धन शोधन के मामले में चिदंबरम को गिरफ्तारी से अंतरिम राहत दिए जाने का पुरजोर विरोध किया. उन्होंने कहा कि मुखौटा कंपनियों के माध्यम से मोटी रकम इधर से उधर हुयी थी और इसलिए इन लेनदेन की तह तक पहुंचने के लिये चिदंबरम को हिरासत मे लेकर उनसे पूछताछ की जरूरत है.

मेहता ने कहा, 'मैं पूरी जिम्मेदारी से कह रहा हूं कि धन शोधन का यह मामला बहुत बड़े पैमाने का है.'

सिब्बल और सिंघवी ने कहा कि उन्होंने चिदंबरम को हिरासत में देने के विशेष अदालत के आदेश को चुनौती देते हुये अलग याचिका दायर की हैं.

उन्होने कहा कि उच्च न्यायालय ने अंतरिम संरक्षण रद्द करने और अग्रिम जमानत की याचिका अस्वीकार करते समय प्रवर्तन निदेशालय के उस नोट को रिकार्ड पर लिया है जिस पर बहस ही नहीं हुयी थी.

सिब्बल ने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय के नोट का जवाब देने का उन्हें अवसर ही नहीं दिया गया और सात महीने बाद फैसला सुनाने वाले न्यायाधीश ने इस नोट को कापी पेस्ट कर दिया. उन्होंने कहा कि यह शब्दश: वही है और इसमें पैराग्राफ भी एक समान है.

सिंघवी ने दलील दी कि अग्रिम जमानत रद्द करते समय उच्च न्यायालय को इस तरह की टिप्पणियां नहीं करनी चाहिए थीं कि अब समय आ गया है कि संसद कानून में संशोधन करे जिससे सफेदपोश अपराधियों को अग्रिम जमानत नहीं मिले.

सीबीआई ने 21 अगस्त को किया था गिरफ्तार
चिदंबरम को सीबीआई ने मामले में बुधवार, 21 अगस्त को गिरफ्तार किया था. पूर्व केंद्रीय मंत्री चिदंबरम ने आईएनएक्स मीडिया मामले में अग्रिम जमानत की याचिका खारिज करने के दिल्ली उच्च न्यायालय के 20 अगस्त के फैसले को बुधवार को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी.

उच्चतम न्यायालय से किसी प्रकार की राहत पाने में विफल कांग्रेस के इस नेता को सीबीआई ने बुधवार की रात गिरफ्तार कर लिया था. शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाने की मांग करने वाली उनकी याचिका सुनवाई के लिये शुक्रवार को सूचीबद्ध की थी.

दिल्ली की एक अदालत ने बृहस्पतिवार को आईएनएक्स मीडिया भ्रष्टाचार मामले में चिदंबरम को चार दिन के लिए सीबीआई की हिरासत में सौंप दिया था. अदालत ने अपने आदेश में कहा था कि चिदंबरम से हिरासत में पूछताछ न्यायोचित है.

सुनवाई के दौरान मेहता ने कहा कि वैसे भी चिदंबरम को सोमवार तक गिरफ्तार नहीं किया जा सकता क्योंकि वह पहले से ही सीबीआई की हिरासत में हैं और एक साथ दो एजेंसियां एक व्यक्ति को गिरफ्तार नहीं कर सकतीं.

चिदंबरम 2004-14 के दौरान संप्रग सरकार में गृह और वित्त मंत्री रहे थे. उन्होंने दिल्ली उच्च न्यायालय के 20 अगस्त के फैसले पर रोक लगाने की मांग की थी, जिसमें उनकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी गई थी. इसके बाद आईएनएक्स मीडिया मामले में उनकी गिरफ्तारी का रास्ता साफ हो गया था.

15 मई 2017 को एफआईआर दर्ज
चिदंबरम के वित्त मंत्री रहने के दौरान 2007 में आईएनएक्स मीडिया समूह को विदेशी निवेश संवर्द्धन बोर्ड (एफआईपीबी) की मंजूरी दिलाने में बरती गई कथित अनियमितताओं को लेकर सीबीआई ने 15 मई 2017 को एक प्राथमिकी दर्ज की थी. यह मंजूरी 305 करोड़ रूपये का विदेशी धन प्राप्त करने के लिए दी गई थी.

इसके बाद, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भी 2018 में इस सिलसिले में धनशोधन का एक मामला दर्ज किया था.

आईएनएक्स मीडिया भ्रष्टाचार और धन शोधन मामलों में घटनाक्रम इस प्रकार है:
15 मई 2017: केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने 2007 में 305 करोड़ रुपये की विदेशी निधि हासिल करने के लिए विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) की मंजूरी पाने में कथित अनियमितताओं के लिए आईएनएक्स मीडिया मामले में प्राथमिकी दर्ज की. इसके बाद प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने इस संबंध में धन शोधन मामला दर्ज किया.

16 फरवरी 2018 : सीबीआई ने पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम को चेन्नई हवाईअड्डे से गिरफ्तार किया.

23 मार्च 2018 : कार्ति को दिल्ली उच्च न्यायालय से जमानत मिली.

30 मई 2018 : पी. चिदंबरम ने दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख कर सीबीआई द्वारा दर्ज भ्रष्टाचार मामले में अग्रिम जमानत मांगी.

23 जुलाई 2018 : वह ईडी द्वारा दर्ज धन शोधन मामले में अग्रिम जमानत के लिए उच्च न्यायालय पहुंचे.

25 जुलाई 2018 : अदालत ने उन्हें दोनों मामलों में गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण दे दिया.

25 जनवरी 2019 :अदालत ने दोनों मामलों में उनकी अग्रिम जमानत पर अपना फैसला सुरक्षित रखा.

11 जुलाई 2019 : शीना बोरा हत्या मामले में आरोपी और आईएनएक्स मीडिया की कर्ताधर्ता इंद्राणी मुखर्जी मामले में सरकारी गवाह बनी.

20 अगस्त 2019 : उच्च न्यायालय ने पी. चिदंबरम की अग्रिम जमानत याचिकाओं को खारिज किया. अदालत ने उन्हें उच्चतम न्यायालय में अपील दायर करने देने के लिए तीन दिनों तक आदेश पर रोक लगाने के उनके अनुरोध को भी ठुकरा दिया.

21 अगस्त 2019 : पी. चिदंबरम ने उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में अपील दायर की. उनके वकीलों ने उसी दिन मामले को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कराने की कोशिश की. हालांकि उच्चतम न्यायालय ने तत्काल सुनवाई से इनकार किया और मामले को 23 अगस्त को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया. सीबीआई ने रात में कांग्रेस नेता को गिरफ्तार कर लिया.

22 अगस्त 2019 : पी. चिदंबरम को दिल्ली की एक अदालत के समक्ष पेश किया गया जिसने उन्हें चार दिन की सीबीआई हिरासत में भेज दिया.

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में सीबीआई रिमांड के खिलाफ पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम की अर्जी खारिज हो गई है. उच्चतम न्यायालय का कहना है कि इस मामले में चिदंबरम को जमानत अर्जी देनी होगी. खबर के मुताबिक चिदंबरम फिलहाल सीबीआई की हिरासत में ही रहेंगे. अब सीबीआई के खिलाफ इस चरण में सुनवाई नहीं होगी.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अग्रिम जमानत याचिका खारिज किए जाने के दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ चिदंबरम की याचिका का कोई मतलब नहीं है क्योंकि वह पहले से ही सीबीआई की हिरासत में हैं.

इसके बाद उच्चतम न्यायालय ने सीबीआई द्वारा दर्ज भ्रष्टाचार के मामले में पी. चिदंबरम की याचिका पर सुनवाई से किया इनकार कर दिया.

बता दें कि आज चिदंबरम केस को कोर्ट में सूचिबद्ध नहीं किया गया था. इस पर पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि उन्हें केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की हिरासत में रखने के खिलाफ दायर याचिका को सोमवार को सूचीबद्ध नहीं किया गया है.

ईडी की गिरफ्तारी से एक दिन की राहत
उच्चतम न्यायालय ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) के धन शोधन मामले में आरोपी पूर्व केन्द्रीय मंत्री पी चिदंबरम को राहत दी है और गिरफ्तारी अवधि मंगलवार तक के लिये बढ़ा दी है.

न्यायमूर्ति आर भानुमति और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना की पीठ ने कहा कि धन शोधन के मामले में अग्रिम जमानत रद्द करने के दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ चिदंबरम की अपील पर मंगलवार को भी सुनवाई जारी रहेगी. यह मामला आईएनएक्स मीडिया को विदेशी निवेश के लिये दी गयी मंजूरी से संबंधित है.

चिदंबरम की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्ब्ल ने सोमवार को अपनी बहस पूरी की और कहा कि वह प्रवर्तन निदेशालय के हलफनामे के जवाब में अपना हलफमाना दाखिल करेंगे. प्रवर्तन निदेशालय की ओर से सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि वह मंगलवार को बहस शुरू करेंगे. इस पर पीठ ने ईडी मामले की आगे सुनवाई कल के लिये सूचीबद्ध कर दी.

पढ़ें-चिदंबरम की CBI रिमांड चार दिन के लिए बढ़ाई गई

इससे पहले, दिन में धन शोधन के प्रवर्तन निदेशालय के मामले में चिदंबरम की ओर से बहस करते हुये सिब्बल ने कहा कि निष्पक्ष सुनवाई और निष्पक्ष जांच संविधान के अनुच्छेद 21 में प्रदत्त अधिकार का हिस्सा है और न्यायालय को चिदंबरम के स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार की रक्षा करनी चाहिए.

सिब्बल ने सालिसीटर जनरल तुषार मेहता द्वारा पीठ के अवलोकन हेतु सीलबंद लिफाफे में चुनिन्दा दस्तावेज पेश करने के लिये दी गयी दलीलों का प्रतिवाद किया.

उन्होंने कहा कि निदेशालय ने 19 दिसंबर, 2018, एक जनवरी, 2019 और 21 जनवरी, 2019 को चिदंबरम से तीन बार पूछताछ की लेकिन प्रवर्तन निदेशालय द्वारा उन पर लगाये गये आरोपों से संबंधित सवाल नहीं पूछे गये.

कोर्ट में जिरह के दौरान सिब्बल ने क्या कहा
दूसरी तरफ सुप्रीम कोर्ट में अब ईडी मामले की सुनवाई हो रही है. इस मामले में पी. चिदंबरम की तरफ से अग्रिम जमानत के लिए याचिका दायर की गई है.

ईडी वाले मामले में सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल ने कहा कि दो साल से अगर जांच चल रही है तो तथ्य क्यों सामने नहीं आया. विदेश में संपत्ति थी तो उसे जब्त क्यों नहीं किया गया. पूछताछ में ये दस्तावेज क्यों सामने क्यों नहीं रखे गए.

वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कांग्रेस नेता चिदंबरम की ओर से न्यायालय में इस मामले का जिक्र न्यायमूर्ति आर भानुमति की एक पीठ के समक्ष किया। उन्होंने कहा कि पिछले शुक्रवार को सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा था कि हिरासत संबंधी आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर आज सुनवाई होगी लेकिन इसे जिरह के लिए आज सूचीबद्ध नहीं किया गया है.

पीठ ने सिब्बल से कहा कि प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई से रजिस्ट्री को आवश्यक आदेश मिलने के बाद उनकी याचिका सुनवाई के लिए सूचीबद्ध की जाएगी.

सिब्बल से पीठ ने कहा, 'रजिस्ट्री को कुछ दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है और हमें प्रधान न्यायाधीश से आदेश लेना होगा.'

दिल्ली उच्च न्यायालय ने 28 अगस्त को आईएनएक्स मीडिया भ्रष्टाचार मामले, सीबीआई द्वारा दर्ज धन शोधन मामले और ईडी द्वारा दर्ज मामले में चिदंबरम की अग्रिम जमानत याचिका अस्वीकार कर दी थी. उच्च न्यायालय के फैसले को चिदंबरम ने चुनौती दी थी और उनकी याचिका पर आज उच्चतम न्यायालय में सुनवाई होनी है.

उच्चतम न्यायालय ने आईएनएक्स मीडिया प्रकरण में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दर्ज धन शोधन मामले में शुक्रवार को कांग्रेस नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम को 26 अगस्त तक गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण प्रदान कर दिया था. शीर्ष अदालत इस मामले में सीबीआई और ईडी के मामलों पर 26 अगस्त को सुनवाई के लिये राजी हो गयी.

तब तक चिदंबरम हिरासत में ही रहेंगे क्योंकि न्यायालय ने सीबीआई के मामले में हस्तक्षेप नहीं किया है. इसी मामले में चिदंबरम को 26 अगस्त तक पूछताछ के लिए केंद्रीय जांच एजेंसी की हिरासत में भेजा गया था.

न्यायमूर्ति आर भानुमति और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना की पीठ ने दोनों ही मामलों को सोमवार, 26 अगस्त को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया.

पीठ ने अपने आदेश क्या कहा
पीठ ने अपने आदेश में कहा, 'याचिकाकर्ता के वकीलों और सालिसीटर जनरल तुषार मेहता को सुनने के बाद हमारा मानना है कि सह आरोपियों को प्रवर्तन निदेशालय के मामले में जमानत दी गयी थी. याचिकाकर्ता इस मामले में अगली सुनवाई तक गिरफ्तार नहीं किया जायेगा.
याचिका सोमवार (26 अगस्त) को सूचीबद्ध की जाये. प्रतिवादी (ईडी) सोमवार तक अपना जवाब और दलीलें दाखिल करेगा.'

आदेश लिखाये जाने के बाद मेहता ने न्यायालय को सीलबंद लिफाफे मे कुछ दस्तावेज सौंपने का प्रयास करते हुये कहा कि चिदंबरम को गिरफ्तारी से संरक्षण प्रदान करने का आदेश देने से पहले पीठ को अपने विवेक को संतुष्ट कर लेना चाहिए.

हालांकि, पीठ ने दस्तावेज को स्वीकार करने से इंकार कर दिया और मेहता से कहा कि इन्हें सोमवार को ही दीजिये क्योंकि ये गोपनीय हैं और इन्हें इस तरह से नहीं रखा जा सकता.

सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष के वकील एवं सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और वरिष्ठ अधिवक्ता एवं चिदंबरम के पार्टी सहयोगी कपिल सिब्बत और अभिषेक मनु सिंघवी के बीच तीखी बहस हुई.

मेहता ने आईएनएक्स मीडिया प्रकरण में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दर्ज धन शोधन के मामले में चिदंबरम को गिरफ्तारी से अंतरिम राहत दिए जाने का पुरजोर विरोध किया. उन्होंने कहा कि मुखौटा कंपनियों के माध्यम से मोटी रकम इधर से उधर हुयी थी और इसलिए इन लेनदेन की तह तक पहुंचने के लिये चिदंबरम को हिरासत मे लेकर उनसे पूछताछ की जरूरत है.

मेहता ने कहा, 'मैं पूरी जिम्मेदारी से कह रहा हूं कि धन शोधन का यह मामला बहुत बड़े पैमाने का है.'

सिब्बल और सिंघवी ने कहा कि उन्होंने चिदंबरम को हिरासत में देने के विशेष अदालत के आदेश को चुनौती देते हुये अलग याचिका दायर की हैं.

उन्होने कहा कि उच्च न्यायालय ने अंतरिम संरक्षण रद्द करने और अग्रिम जमानत की याचिका अस्वीकार करते समय प्रवर्तन निदेशालय के उस नोट को रिकार्ड पर लिया है जिस पर बहस ही नहीं हुयी थी.

सिब्बल ने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय के नोट का जवाब देने का उन्हें अवसर ही नहीं दिया गया और सात महीने बाद फैसला सुनाने वाले न्यायाधीश ने इस नोट को कापी पेस्ट कर दिया. उन्होंने कहा कि यह शब्दश: वही है और इसमें पैराग्राफ भी एक समान है.

सिंघवी ने दलील दी कि अग्रिम जमानत रद्द करते समय उच्च न्यायालय को इस तरह की टिप्पणियां नहीं करनी चाहिए थीं कि अब समय आ गया है कि संसद कानून में संशोधन करे जिससे सफेदपोश अपराधियों को अग्रिम जमानत नहीं मिले.

सीबीआई ने 21 अगस्त को किया था गिरफ्तार
चिदंबरम को सीबीआई ने मामले में बुधवार, 21 अगस्त को गिरफ्तार किया था. पूर्व केंद्रीय मंत्री चिदंबरम ने आईएनएक्स मीडिया मामले में अग्रिम जमानत की याचिका खारिज करने के दिल्ली उच्च न्यायालय के 20 अगस्त के फैसले को बुधवार को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी.

उच्चतम न्यायालय से किसी प्रकार की राहत पाने में विफल कांग्रेस के इस नेता को सीबीआई ने बुधवार की रात गिरफ्तार कर लिया था. शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाने की मांग करने वाली उनकी याचिका सुनवाई के लिये शुक्रवार को सूचीबद्ध की थी.

दिल्ली की एक अदालत ने बृहस्पतिवार को आईएनएक्स मीडिया भ्रष्टाचार मामले में चिदंबरम को चार दिन के लिए सीबीआई की हिरासत में सौंप दिया था. अदालत ने अपने आदेश में कहा था कि चिदंबरम से हिरासत में पूछताछ न्यायोचित है.

सुनवाई के दौरान मेहता ने कहा कि वैसे भी चिदंबरम को सोमवार तक गिरफ्तार नहीं किया जा सकता क्योंकि वह पहले से ही सीबीआई की हिरासत में हैं और एक साथ दो एजेंसियां एक व्यक्ति को गिरफ्तार नहीं कर सकतीं.

चिदंबरम 2004-14 के दौरान संप्रग सरकार में गृह और वित्त मंत्री रहे थे. उन्होंने दिल्ली उच्च न्यायालय के 20 अगस्त के फैसले पर रोक लगाने की मांग की थी, जिसमें उनकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी गई थी. इसके बाद आईएनएक्स मीडिया मामले में उनकी गिरफ्तारी का रास्ता साफ हो गया था.

15 मई 2017 को एफआईआर दर्ज
चिदंबरम के वित्त मंत्री रहने के दौरान 2007 में आईएनएक्स मीडिया समूह को विदेशी निवेश संवर्द्धन बोर्ड (एफआईपीबी) की मंजूरी दिलाने में बरती गई कथित अनियमितताओं को लेकर सीबीआई ने 15 मई 2017 को एक प्राथमिकी दर्ज की थी. यह मंजूरी 305 करोड़ रूपये का विदेशी धन प्राप्त करने के लिए दी गई थी.

इसके बाद, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भी 2018 में इस सिलसिले में धनशोधन का एक मामला दर्ज किया था.

आईएनएक्स मीडिया भ्रष्टाचार और धन शोधन मामलों में घटनाक्रम इस प्रकार है:
15 मई 2017: केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने 2007 में 305 करोड़ रुपये की विदेशी निधि हासिल करने के लिए विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) की मंजूरी पाने में कथित अनियमितताओं के लिए आईएनएक्स मीडिया मामले में प्राथमिकी दर्ज की. इसके बाद प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने इस संबंध में धन शोधन मामला दर्ज किया.

16 फरवरी 2018 : सीबीआई ने पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम को चेन्नई हवाईअड्डे से गिरफ्तार किया.

23 मार्च 2018 : कार्ति को दिल्ली उच्च न्यायालय से जमानत मिली.

30 मई 2018 : पी. चिदंबरम ने दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख कर सीबीआई द्वारा दर्ज भ्रष्टाचार मामले में अग्रिम जमानत मांगी.

23 जुलाई 2018 : वह ईडी द्वारा दर्ज धन शोधन मामले में अग्रिम जमानत के लिए उच्च न्यायालय पहुंचे.

25 जुलाई 2018 : अदालत ने उन्हें दोनों मामलों में गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण दे दिया.

25 जनवरी 2019 :अदालत ने दोनों मामलों में उनकी अग्रिम जमानत पर अपना फैसला सुरक्षित रखा.

11 जुलाई 2019 : शीना बोरा हत्या मामले में आरोपी और आईएनएक्स मीडिया की कर्ताधर्ता इंद्राणी मुखर्जी मामले में सरकारी गवाह बनी.

20 अगस्त 2019 : उच्च न्यायालय ने पी. चिदंबरम की अग्रिम जमानत याचिकाओं को खारिज किया. अदालत ने उन्हें उच्चतम न्यायालय में अपील दायर करने देने के लिए तीन दिनों तक आदेश पर रोक लगाने के उनके अनुरोध को भी ठुकरा दिया.

21 अगस्त 2019 : पी. चिदंबरम ने उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में अपील दायर की. उनके वकीलों ने उसी दिन मामले को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कराने की कोशिश की. हालांकि उच्चतम न्यायालय ने तत्काल सुनवाई से इनकार किया और मामले को 23 अगस्त को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया. सीबीआई ने रात में कांग्रेस नेता को गिरफ्तार कर लिया.

22 अगस्त 2019 : पी. चिदंबरम को दिल्ली की एक अदालत के समक्ष पेश किया गया जिसने उन्हें चार दिन की सीबीआई हिरासत में भेज दिया.

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Last Updated : Sep 28, 2019, 7:07 AM IST
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