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चिदंबरम की जमानत पर सुप्रीम कोर्ट ने सुरक्षित रखा फैसला - चिदंबरम पर सुप्रीम कोर्ट

आईएनएक्स मीडिया केस में जमानत की अपील करने वाले पी चिदंबरम को अभी राहत नहीं मिली है. शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने दो घंटों की जिरह के बाद उनकी जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया. जानें पूरा मामला

सुप्रीम कोर्ट और चिदंबरम
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Published : Oct 18, 2019, 5:13 PM IST

Updated : Oct 18, 2019, 7:01 PM IST

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम की जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है. चिदंबरम ने आईएनएक्स मीडिया केस में जमानत की अपील की थी.

न्यायमूर्ति आर भानुमति की अध्यक्षता वाली पीठ ने शुक्रवार को केन्द्रीय जांच ब्यूरो और चिदंबरम की ओर से दलीलें सुनने के बाद कहा कि इस पर फैसला बाद में सुनाया जायेगा. इस बीच सीबीआई ने पीठ को सूचित किया कि इस मामले में पी चिदंबरम, उनके पुत्र कार्ति और कुछ कंपनियों सहित 15 आरोपियों के खिलाफ दिल्ली की अदालत में आरोप पत्र दाखिल कर दिया गया है.

सीबीआई की ओर से सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने चिदंबरम की जमानत याचिका का विरोध करते हुये कहा कि देश को अब भ्रष्टाचार को कतई बर्दाश्त नहीं करने की नीति अपनाने की आवश्यकता है. उन्होने कहा कि इस मामले में जांच में चिदंबरम के खिलाफ जालसाजी का अपराध भी बना है.

सालिसीटर जनरल ने कहा कि इस मामले में आगे जांच चल रही है और सिंगापुर तथा मारीशस को भेजे गये अनुरोध पत्र पर जवाब की प्रतीक्षा है. मेहता ने कहा कि गवाहों को डराने के लिये चिदंबरम की 'सिर्फ उपस्थिति' ही काफी है. इसलिए उन्हें मुख्य गवाहों से पूछताछ पूरी होने तक जमानत नहीं दी जानी चाहिए.

पढ़ें: किसी और पार्टी से जुड़ने का सोचना भी नहीं, जिंदगी दुखी हो जाएगी : हेमा मालिनी

मेहता ने पीठ से कहा, 'हम ऐसा वक्त देख रहे हैं जिसमे आर्थिक अपराधों के आरोपी देश छोड़कर भाग रहे हैं. एक राष्ट्र के रूप में हम इस समस्या का सामना कर रहे हैं.' चिदंबरम की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने मेहता के कथन का प्रतिवाद किया और कहा कि इस पूर्व मंत्री द्वारा साक्ष्यों से छेड़छाड़ करने या गवाहों को प्रभावित करने की जांच एजेन्सी की आशंका गलत और निराधार है.

सीबीआई ने 74 वर्षीय चिदंबरम को 21 अगस्त को गिरफ्तार किया था. वह इस समय भ्रष्टाचार के मामले में न्यायिक हिरासत में तिहाड़ जेल में बंद हैं. वित्त मंत्री के रूप में पी चिदंबरम के कार्यकाल के दौरान 2007 मे विदेशी निवेश संवर्द्धन बोर्ड द्वारा आईएनएक्स मीडिया को 305 करोड़ रूपए के विदेशी निवेश की मंजूरी देने में हुये कथित अनियमित्ताओं के संबंध में सीबीआई ने 15 मई, 2017 को प्राथमिकी दर्ज की थी.

इसके बाद, प्रवर्तन निदेशालय ने भी धन शोधन के आरोप में एक मामला दर्ज किया था. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री चिदंबरम ने दिल्ली उच्च न्यायालय के 30 सितंबर के फैसले को शीर्ष अदालत में चुनौती दी है. उच्च न्यायालय ने चिदंबरम को जमानत देने से इंकार कर दिया था.

(एक्सट्रा इनपुट- पीटीआई)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम की जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है. चिदंबरम ने आईएनएक्स मीडिया केस में जमानत की अपील की थी.

न्यायमूर्ति आर भानुमति की अध्यक्षता वाली पीठ ने शुक्रवार को केन्द्रीय जांच ब्यूरो और चिदंबरम की ओर से दलीलें सुनने के बाद कहा कि इस पर फैसला बाद में सुनाया जायेगा. इस बीच सीबीआई ने पीठ को सूचित किया कि इस मामले में पी चिदंबरम, उनके पुत्र कार्ति और कुछ कंपनियों सहित 15 आरोपियों के खिलाफ दिल्ली की अदालत में आरोप पत्र दाखिल कर दिया गया है.

सीबीआई की ओर से सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने चिदंबरम की जमानत याचिका का विरोध करते हुये कहा कि देश को अब भ्रष्टाचार को कतई बर्दाश्त नहीं करने की नीति अपनाने की आवश्यकता है. उन्होने कहा कि इस मामले में जांच में चिदंबरम के खिलाफ जालसाजी का अपराध भी बना है.

सालिसीटर जनरल ने कहा कि इस मामले में आगे जांच चल रही है और सिंगापुर तथा मारीशस को भेजे गये अनुरोध पत्र पर जवाब की प्रतीक्षा है. मेहता ने कहा कि गवाहों को डराने के लिये चिदंबरम की 'सिर्फ उपस्थिति' ही काफी है. इसलिए उन्हें मुख्य गवाहों से पूछताछ पूरी होने तक जमानत नहीं दी जानी चाहिए.

पढ़ें: किसी और पार्टी से जुड़ने का सोचना भी नहीं, जिंदगी दुखी हो जाएगी : हेमा मालिनी

मेहता ने पीठ से कहा, 'हम ऐसा वक्त देख रहे हैं जिसमे आर्थिक अपराधों के आरोपी देश छोड़कर भाग रहे हैं. एक राष्ट्र के रूप में हम इस समस्या का सामना कर रहे हैं.' चिदंबरम की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने मेहता के कथन का प्रतिवाद किया और कहा कि इस पूर्व मंत्री द्वारा साक्ष्यों से छेड़छाड़ करने या गवाहों को प्रभावित करने की जांच एजेन्सी की आशंका गलत और निराधार है.

सीबीआई ने 74 वर्षीय चिदंबरम को 21 अगस्त को गिरफ्तार किया था. वह इस समय भ्रष्टाचार के मामले में न्यायिक हिरासत में तिहाड़ जेल में बंद हैं. वित्त मंत्री के रूप में पी चिदंबरम के कार्यकाल के दौरान 2007 मे विदेशी निवेश संवर्द्धन बोर्ड द्वारा आईएनएक्स मीडिया को 305 करोड़ रूपए के विदेशी निवेश की मंजूरी देने में हुये कथित अनियमित्ताओं के संबंध में सीबीआई ने 15 मई, 2017 को प्राथमिकी दर्ज की थी.

इसके बाद, प्रवर्तन निदेशालय ने भी धन शोधन के आरोप में एक मामला दर्ज किया था. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री चिदंबरम ने दिल्ली उच्च न्यायालय के 30 सितंबर के फैसले को शीर्ष अदालत में चुनौती दी है. उच्च न्यायालय ने चिदंबरम को जमानत देने से इंकार कर दिया था.

(एक्सट्रा इनपुट- पीटीआई)

Intro:After 2 hours of arguments today, the Supreme Court has reserved its judgement on Chidamabaram's case who was seeking bail in the INX Media case.


Body:Solicitor General Tushar Mehta appearing for CBI submitted before the court that now is the stage where they need to arrest him and interrogate him. They submitted before the court that a chargesheet has been filed today against the 15 accused including Karti Chidambaram, 12 witnessess have been examined and offence of frogery has also come up during the investigation which was not found in the earlier FIRs.

Mehta also said that there is a statement of witness saying that he has been influenced and the HC has it in its finding. Mehta did not disclose the identity of the witness but specified that it was not Indrani Mukherjee.

There are large numbers of email exchanges found between INX media and company controlled by P Chidamabaram, said Mehta. Adding on further he said that beneficiary companies from FIPB approval were giving money to Chidamabaram without receiving any service from him.

"We are witnessing an era where people who are guilty of economic offences are at flight risk, we have people who have fled the country,they were all responsible people, reputed in the society," argued Mehta. He asked what is the test to decide that the accused won't flee.

Senior advicate Kapil Sibal appearing for PC argued that SG made an unique argument that Chidamabaram feels that he will be convicted therefore he is at flight risk.What test will decide that he feels he will be convicted, asked Sibal. He also said that if chargesheet is correct then he should be convicted.


Conclusion:Today SG had argued that nation needs to be served justice by not allowing bail to Chidamabaram to which AM Singhvi appearing for Sibal said that justice has to be served on individual basis not as a nation. How can one thing apply to all the accused?
Last Updated : Oct 18, 2019, 7:01 PM IST
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