मुंबई : भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कोरोना महामारी को लेकर उपजे आर्थिक संकट से जुड़े मुद्दों पर प्रेस कॉन्फ्रेंस की. इस दौरान उन्होंने ब्याज दरें कम करने का एलान किया.
बिन्दुवार जानें आरबीआई गवर्नर ने क्या कहा-
- आरबीआई ने ब्याज दरें घटाने का फैसला लिया है
- कम ब्याज पर मिलेगा लोन
- रेपो रेट 4.4 प्रतिशत से घटाकर 4.0 किया
- कोरोना वायरस के कारण अर्थ व्यवस्था को नुकसान
- रिवर्स रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं
- लॉकडाउन से मांग और उत्पादन की मांग घटी
- सर्विस सेक्टर में काफी नुकसान हुआ है.
- अच्छे मानसून से काफी उम्मीदें हैं.
- खाद्यान उत्पादन में बढ़ोतरी हुई है.
- दाल की बढ़ती कीमत चिंता का विषय
- आरबीआई ने महंगाई घटने की उम्मीद जताई
- 2020-21 तक GDP ग्रोथ निगेटिव रहेगा
- महंगाई दर उम्मीद से कम
- अप्रैल में 60.3 प्रतिशत निर्याम कम हुआ
- महंगाई के कम करना चुनौती
- विदेशी मुद्रा भंडार 487 मिलियन अमेरिकी डॉलर रहा
- बाजारों की कार्यप्रणाली में सुधार करना
- निर्यात और आयात का समर्थन करना
- ऋण सर्विसिंग पर राहत देने के लिए वित्तीय तनाव को कम किया जाएगा
- कार्यशील पूंजी की बेहतर पहुंच और राज्य के खतरों से निपटने के लिए वित्तीय बाधाओं को कम किया जाएगा
- औद्योगिक उत्पादन कम हुआ है
भारतीय वाणिज्य और उद्योग महासंघ (FICCI) के महासचिव दिलीप चेनॉय ने कहा है कि आरबीआई का फैसला स्वागत योग्य है.
इससे पहले भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की एक शोध रिपोर्ट के मुताबिक सरकार के देशव्यापी लॉकडाउन को 31 मई तक बढ़ाने के चलते भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) कर्ज अदायगी पर जारी ऋण स्थगन को और तीन महीनों के लिए बढ़ा सकता है.
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) ने रविवार को कोरोना वायरस महामारी के प्रकोप को रोकने के लिए जारी लॉकडाउन को 31 मई तक बढ़ाने की घोषणा की थी.
कोविड-19 महामारी का मुकाबला करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 मार्च को 21 दिनों के लिए लॉकडाउन की घोषणा की थी. इसे पहले तीन मई तक और फिर 17 मई तक बढ़ाया गया था.
आरबीआई ने मार्च में ही एक मार्च, 2020 से 31 मई, 2020 के बीच सभी सावधि ऋणों के भुगतान पर तीन महीने की मोहलत दी थी.
एसबीआई की शोध रिपोर्ट इकोरैप में कहा गया, लॉकडाउन के 31 मई तक बढ़ने के साथ ही हमें उम्मीद है कि आरबीआई ऋण स्थगन को तीन महीने के लिए और बढ़ाएगा.
रिपोर्ट में कहा गया कि तीन और महीनों के लिए ऋण स्थगन से कंपनियों को 31 अगस्त, 2020 तक भुगतान करने की जरूरत नहीं होगी और इसका मतलब है कि कंपनियों के सितंबर में ब्याज देनदारियों को चुकाने की संभावना बेहद कम है.
आरबीआई के नियमों के मुताबिक ब्याज देनदारियों को चुकाने में विफल रहने का अर्थ है कि इन ऋणों को गैर-निष्पादित ऋण माना जा सकता है.
रिपोर्ट में आरबीआई से अधिक लचीला रुख अपनाने की बात कही गई है.