ETV Bharat / bharat

लॉकडाउन में फीस माफ करने या राहत देने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका - राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन की अवधि

उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर कर केंद्र और राज्यों को राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन की अवधि में स्कूल फीस माफ करने, या इसमें समान रूप से अधिकतम राहत देने के लिये निर्णय लेने का निर्देश जारी करने का अनुरोध किया गया है. पढ़ें विस्तार से...

उच्चतम न्यायालय
उच्चतम न्यायालय
author img

By

Published : Jul 2, 2020, 10:20 PM IST

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर कर केंद्र और राज्यों को राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन की अवधि में स्कूल फीस माफ करने, या इसमें समान रूप से अधिकतम राहत देने के लिये निर्णय लेने का निर्देश जारी करने का अनुरोध किया गया है.

याचिका में आरोप लगाया गया है कि निजी स्कूलों के प्रशासन कोई सेवा प्रदान किये बगैर ही स्कूल फीस और अन्य शुल्क मांग रहे हैं तथा प्राधिकारों ने इन 'अवैध मांगों' के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है, जबकि देश के विभिन्न हिस्सों में छात्रों और उनके अभिभावकों ने प्रदर्शन किये हैं.

देश में कोविड-19 महामारी के प्रसार को रोकने के लिये 25 मार्च से राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन लागू हुआ था.

अधिवक्ता रीपक कंसल के मार्फत दायर याचिका में दावा किया गया है कि फीस वसूली को उचित ठहराने के लिये कुछ स्कूलों ने लॉकडाउन की अवधि के दौरान ऑनलाइन कक्षाएं शुरू कर दी, ताकि 'वे यह बहाना बना सकें कि वे अपने छात्रों को शिक्षा उपलब्ध करा रहे थे.'

याचिका में दावा किया गया है, 'कुछ शैक्षणिक संस्थानों ने ऑनलाइन कक्षाएं शुरू की, जो शैक्षणिक संस्थान संचालित किये जाने के दायरे में नहीं आती हैं. उन छात्रों के अभिभावकों से इन तथाकथित ऑनलाइन कक्षाओं में आने वाले खर्च को वसूला जा सकता है, जिन्होंने इसके लिये सहमति दी थी और जो छात्र ऑनलाइन कक्षाओं में शामिल हुए हैं.'

इसमें आरोप लगाया गया है कि नामांकन फॉर्म में ऐसा कोई नियम नहीं है कि महामारी या राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के दौरान स्कूल ऑनलाइन कक्षाएं संचालित करेगा और समान रूप से फीस और अन्य खर्च लेगा.

पढ़ें- मेडिकल प्रवेश में ओबीसी आरक्षण का मामला, सुप्रीम कोर्ट पहुंची तमिलनाडु सरकार

याचिका में कहा गया है, 'ऑनलाइन कक्षाओं के कई दुष्प्रभाव और खामियां हैं, जो स्कूली शिक्षा की अवधारणा से पूरी तरह से अलग है. छात्रों को ऑनलाइन माध्यमों से सीखने-समझने में काफी समस्याएं पेश आती हैं.'

याचिका में दावा किया गया है कि प्राधिकार छात्रों और उनके अभिभावकों को इसके लिये अवैध रूप से मजबूर कर रहे हैं कि वे अपने-अपने स्कूलों से सेवाएं प्राप्त किये बगैर ही स्कूल फीस का भुगतान करें और यह मूल अधिकारों का हनन करता है.

याचिका में कहा गया है कि महामारी के कारण और नामांकन फॉर्म में इस बात का कोई उल्लेख नहीं होने के कारण प्राधिकारों को फीस माफी के सिलिसले में कोई निर्णय लेना होगा, या लॉकडाउन की अवधि के लिये समान रूप से अधिकतम राहत मुहैया करनी होगी.

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर कर केंद्र और राज्यों को राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन की अवधि में स्कूल फीस माफ करने, या इसमें समान रूप से अधिकतम राहत देने के लिये निर्णय लेने का निर्देश जारी करने का अनुरोध किया गया है.

याचिका में आरोप लगाया गया है कि निजी स्कूलों के प्रशासन कोई सेवा प्रदान किये बगैर ही स्कूल फीस और अन्य शुल्क मांग रहे हैं तथा प्राधिकारों ने इन 'अवैध मांगों' के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है, जबकि देश के विभिन्न हिस्सों में छात्रों और उनके अभिभावकों ने प्रदर्शन किये हैं.

देश में कोविड-19 महामारी के प्रसार को रोकने के लिये 25 मार्च से राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन लागू हुआ था.

अधिवक्ता रीपक कंसल के मार्फत दायर याचिका में दावा किया गया है कि फीस वसूली को उचित ठहराने के लिये कुछ स्कूलों ने लॉकडाउन की अवधि के दौरान ऑनलाइन कक्षाएं शुरू कर दी, ताकि 'वे यह बहाना बना सकें कि वे अपने छात्रों को शिक्षा उपलब्ध करा रहे थे.'

याचिका में दावा किया गया है, 'कुछ शैक्षणिक संस्थानों ने ऑनलाइन कक्षाएं शुरू की, जो शैक्षणिक संस्थान संचालित किये जाने के दायरे में नहीं आती हैं. उन छात्रों के अभिभावकों से इन तथाकथित ऑनलाइन कक्षाओं में आने वाले खर्च को वसूला जा सकता है, जिन्होंने इसके लिये सहमति दी थी और जो छात्र ऑनलाइन कक्षाओं में शामिल हुए हैं.'

इसमें आरोप लगाया गया है कि नामांकन फॉर्म में ऐसा कोई नियम नहीं है कि महामारी या राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के दौरान स्कूल ऑनलाइन कक्षाएं संचालित करेगा और समान रूप से फीस और अन्य खर्च लेगा.

पढ़ें- मेडिकल प्रवेश में ओबीसी आरक्षण का मामला, सुप्रीम कोर्ट पहुंची तमिलनाडु सरकार

याचिका में कहा गया है, 'ऑनलाइन कक्षाओं के कई दुष्प्रभाव और खामियां हैं, जो स्कूली शिक्षा की अवधारणा से पूरी तरह से अलग है. छात्रों को ऑनलाइन माध्यमों से सीखने-समझने में काफी समस्याएं पेश आती हैं.'

याचिका में दावा किया गया है कि प्राधिकार छात्रों और उनके अभिभावकों को इसके लिये अवैध रूप से मजबूर कर रहे हैं कि वे अपने-अपने स्कूलों से सेवाएं प्राप्त किये बगैर ही स्कूल फीस का भुगतान करें और यह मूल अधिकारों का हनन करता है.

याचिका में कहा गया है कि महामारी के कारण और नामांकन फॉर्म में इस बात का कोई उल्लेख नहीं होने के कारण प्राधिकारों को फीस माफी के सिलिसले में कोई निर्णय लेना होगा, या लॉकडाउन की अवधि के लिये समान रूप से अधिकतम राहत मुहैया करनी होगी.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.