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जम्मू-कश्मीर : छात्रों की पढ़ाई में बाधा बन रही पाक सेना की गोलीबारी

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Published : Oct 21, 2020, 9:54 AM IST

Updated : Oct 21, 2020, 11:40 AM IST

जम्मू एवं कश्मीर की घाटियों में एलओसी के पास रहने वाले छात्रों की पढ़ाई में सीमा पार से होने वाली गोलीबारी बड़ी बाधा बन रही है. लोलाब घाटी के चंडीगाम में स्थित आर्मी गुडविल स्कूल में पढ़ने वाले छात्र स्कूल जाना चाहते हैं, पढ़ना चाहते हैं, लेकिन इसके लिए वह अपनी जान की बाजी नहीं लगा सकते. उनकी पढ़ाई के बीच में सीमा पार से होने वाली निरंतर गोलाबारी एकमात्र बाधा है.

Army Goodwill School
आर्मी गुडविल स्कूल

श्रीनगर : जम्मू एवं कश्मीर की लोलाब घाटी के चंडीगाम में आर्मी गुडविल स्कूल में पढ़ने वाले 11वीं कक्षा के छात्र मुबाशिर का कहना है, 'मैं एक डॉक्टर बनना चाहता हूं और मुझे यकीन है कि मैं प्रवेश परीक्षा में सफल हो जाउंगा.' मुबाशिर जहां रहता है, वह जगह नियंत्रण रेखा (एलओसी) से महज कुछ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.

मुबाशिर और उनके सहपाठियों की पढ़ाई के बीच में सीमा पार से होने वाली निरंतर गोलाबारी एकमात्र बाधा है. यह बच्चे पाकिस्तान की ओर से लगातार गोलीबारी के बीच ही रहते हैं, खेलते हैं और अध्ययन करते हैं.

एक साल पहले जब भारत ने जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्या का दर्जा देने वाले अनुच्छेद-370 को निरस्त किया था और कश्मीर एक केंद्र शासित क्षेत्र में बदल दिया गया, तभी से सीमा पार से गोलीबारी दोगुनी हो गई है, जिससे सामान्य जीवन और भी मुश्किल हो गया है.

यह छात्र पढ़ाई में काफी अच्छे हैं और उन्हें विभिन्न पाइथागोरस प्रमेय (थ्योरम) के बारे में बेहतर जानकारी है.

स्कूल के सभी 697 विद्यार्थी, जिनमें 472 छात्र और 225 छात्राएं शामिल हैं, वह अपने जीवन में कुछ बड़ा हासिल करना चाहते हैं. कक्षा नौवीं के छात्र साहिल भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) में जाने के इच्छुक हैं. साहिल ने कहा, 'मैं आईएएस की परीक्षा को पास करना चाहता हूं.'

स्कूल की प्रधानाचार्य जाहिदा मकबूल शाह ने कहा कि स्कूल की स्थापना 2000 में सेना के सद्भावना कार्यक्रम के तहत की गई थी, जिसे बाद में कक्षा 12वीं तक अपग्रेड किया गया और 2015-16 में इसे जम्मू एवं कश्मीर बोर्ड ऑफ एजुकेशन द्वारा मान्यता प्राप्त हुई.

यह अपनी अच्छी तरह से संरचित पाठ्यक्रम, शिक्षण विधियों और बुनियादी ढांचे के लिए बहुत लोकप्रिय है, जिसमें एक कंप्यूटर प्रयोगशाला और एक विज्ञान प्रयोगशाला भी है. इसमें लोलाब घाटी के बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए हिंदी कक्षाएं भी शामिल हैं.

शाह ने कहा, 'हमारे स्कूल में छात्र दूर-दूर के क्षेत्रों से आते हैं. कुछ तो स्कूल आने के लिए हर दिन 20 किलोमीटर तक की यात्रा भी करते हैं.'

उन्होंने कहा कि यहां छात्र सोगम, वौरा, क्रुसन, खुमरियाल और कुपवाड़ा जैसे क्षेत्रों से आते हैं और स्कूल की ओर से दूर के स्थानों से छात्रों को लाने-ले जाने की सुविधा के लिए बसें भी चलाई जा रही हैं.

छात्रों से ली जाने वाली फीस उन्हें प्रदान की जाने वाली शिक्षा की गुणवत्ता के संबंध में नाममात्र ही है. उन्होंने कहा, 'जैसा कि स्कूल चलाने के पीछे मकसद अवाम की तरक्की (लोगों का विकास) है, इसलिए शुल्क उचित है.'

प्रिंसिपल ने यह भी कहा कि उनके स्कूल के छात्र अच्छा कर रहे हैं. उन्होंने कहा, 'हमारे स्कूल के इंद्रेश अहमद बॉलीवुड में काम कर रहे हैं. इसी तरह, साकिब फारूक लोन आईआईटी खड़गपुर से फिलॉसफी की पढ़ाई कर रहे हैं.'

पढ़ें - भारत-चीन सीमा से सटी हवाईपट्टी का निरीक्षण करने पहुंचे वायुसेना अधिकारी

स्कूल घाटी में सेना द्वारा स्थापित 28 आर्मी गुडविल स्कूलों में से एक है.

वर्तमान में, घाटी में सेना के स्कूलों में 6,025 लड़के और 3,501 लड़कियां पढ़ रही हैं और उन्हें इलाके में पिछले तीन दशकों से चले आ रहे आतंकवाद का सामना भी करना पड़ रहा है.

श्रीनगर : जम्मू एवं कश्मीर की लोलाब घाटी के चंडीगाम में आर्मी गुडविल स्कूल में पढ़ने वाले 11वीं कक्षा के छात्र मुबाशिर का कहना है, 'मैं एक डॉक्टर बनना चाहता हूं और मुझे यकीन है कि मैं प्रवेश परीक्षा में सफल हो जाउंगा.' मुबाशिर जहां रहता है, वह जगह नियंत्रण रेखा (एलओसी) से महज कुछ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.

मुबाशिर और उनके सहपाठियों की पढ़ाई के बीच में सीमा पार से होने वाली निरंतर गोलाबारी एकमात्र बाधा है. यह बच्चे पाकिस्तान की ओर से लगातार गोलीबारी के बीच ही रहते हैं, खेलते हैं और अध्ययन करते हैं.

एक साल पहले जब भारत ने जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्या का दर्जा देने वाले अनुच्छेद-370 को निरस्त किया था और कश्मीर एक केंद्र शासित क्षेत्र में बदल दिया गया, तभी से सीमा पार से गोलीबारी दोगुनी हो गई है, जिससे सामान्य जीवन और भी मुश्किल हो गया है.

यह छात्र पढ़ाई में काफी अच्छे हैं और उन्हें विभिन्न पाइथागोरस प्रमेय (थ्योरम) के बारे में बेहतर जानकारी है.

स्कूल के सभी 697 विद्यार्थी, जिनमें 472 छात्र और 225 छात्राएं शामिल हैं, वह अपने जीवन में कुछ बड़ा हासिल करना चाहते हैं. कक्षा नौवीं के छात्र साहिल भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) में जाने के इच्छुक हैं. साहिल ने कहा, 'मैं आईएएस की परीक्षा को पास करना चाहता हूं.'

स्कूल की प्रधानाचार्य जाहिदा मकबूल शाह ने कहा कि स्कूल की स्थापना 2000 में सेना के सद्भावना कार्यक्रम के तहत की गई थी, जिसे बाद में कक्षा 12वीं तक अपग्रेड किया गया और 2015-16 में इसे जम्मू एवं कश्मीर बोर्ड ऑफ एजुकेशन द्वारा मान्यता प्राप्त हुई.

यह अपनी अच्छी तरह से संरचित पाठ्यक्रम, शिक्षण विधियों और बुनियादी ढांचे के लिए बहुत लोकप्रिय है, जिसमें एक कंप्यूटर प्रयोगशाला और एक विज्ञान प्रयोगशाला भी है. इसमें लोलाब घाटी के बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए हिंदी कक्षाएं भी शामिल हैं.

शाह ने कहा, 'हमारे स्कूल में छात्र दूर-दूर के क्षेत्रों से आते हैं. कुछ तो स्कूल आने के लिए हर दिन 20 किलोमीटर तक की यात्रा भी करते हैं.'

उन्होंने कहा कि यहां छात्र सोगम, वौरा, क्रुसन, खुमरियाल और कुपवाड़ा जैसे क्षेत्रों से आते हैं और स्कूल की ओर से दूर के स्थानों से छात्रों को लाने-ले जाने की सुविधा के लिए बसें भी चलाई जा रही हैं.

छात्रों से ली जाने वाली फीस उन्हें प्रदान की जाने वाली शिक्षा की गुणवत्ता के संबंध में नाममात्र ही है. उन्होंने कहा, 'जैसा कि स्कूल चलाने के पीछे मकसद अवाम की तरक्की (लोगों का विकास) है, इसलिए शुल्क उचित है.'

प्रिंसिपल ने यह भी कहा कि उनके स्कूल के छात्र अच्छा कर रहे हैं. उन्होंने कहा, 'हमारे स्कूल के इंद्रेश अहमद बॉलीवुड में काम कर रहे हैं. इसी तरह, साकिब फारूक लोन आईआईटी खड़गपुर से फिलॉसफी की पढ़ाई कर रहे हैं.'

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स्कूल घाटी में सेना द्वारा स्थापित 28 आर्मी गुडविल स्कूलों में से एक है.

वर्तमान में, घाटी में सेना के स्कूलों में 6,025 लड़के और 3,501 लड़कियां पढ़ रही हैं और उन्हें इलाके में पिछले तीन दशकों से चले आ रहे आतंकवाद का सामना भी करना पड़ रहा है.

Last Updated : Oct 21, 2020, 11:40 AM IST
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