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कालापानी और लिपुलेख पर नेपाल का दावा झूठा, सरकारी दस्तावेज दे रहे गवाही

भारत की ओर से लिपुलेख तक सड़क बनाने के बाद नेपाल ने सीमा विवाद के बीच नया नक्शा जारी किया है. इसमें नेपाल ने भारत के कालापानी और लिपुलेख को अपना हिस्सा बताया है. चीन और नेपाल से सटे भारतीय क्षेत्र कालापानी और लिपुलेख पर नेपाल पूर्व में भी अपना दावा जताता रहा है. चीन सीमा को जोड़ने वाली लिपुलेख सड़क बनने के बाद मित्र राष्ट्र नेपाल के तेवर उग्र हो गए हैं. कालापानी और लिपुलेख पर दावा जताते हुए नेपाल में प्रदर्शनों का दौर शुरू हो गया है.

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Published : May 20, 2020, 6:19 PM IST

पिथौरागढ़ : चीन सीमा को जोड़ने वाली लिपुलेख सड़क बनने के बाद मित्र राष्ट्र नेपाल के सुर बदलते नजर आ रहे हैं. नेपाल सरकार ने हाल ही में एक नया नक्शा जारी कर कालापानी और लिपुलेख को अपना क्षेत्र बताया है. लेकिन, असल में यह दोनों ही इलाके पूरी तरह से भारत का हिस्सा हैं.

धारचूला तहसील के भीतर आने वाले यह दोनों इलाके 1962 के बंदोबस्त में भी भूमि अभिलेखों में दर्ज हैं. खतौनी के मुताबिक, कालापानी से नाभीढांग तक नौ किलोमीटर का इलाका गर्बयांग गांव का तोक है. करीब पांच हजार नाली के इस भू-भाग में 704 नाप खेत मौजूद हैं. वहीं नाभीढांग से लिपुलेख तक का इलाका गुंजी ग्राम सभा का हिस्सा है. यह इलाका गुंजी गांव की वन पंचायत की जमीन में भी दर्ज है.

देखें ईटीवी भारत की रिपोर्ट

मौजूद दस्तावेज इस बात की तस्दीक करते हैं कि 1962 में हुए भूमि बंदोबस्त से पहले ही यह इलाके भारत का अभिन्न हिस्सा रहे हैं. धारचूला के एसडीएम अनिल कुमार शुक्ला का कहना है कि कालापानी और लिपुलेख की जमीन भारत की है. स्थानीय लोगों के नाम यह जमीन दर्ज है. इसके साक्ष्य भी उपलब्ध हैं.

नेपाल के दावे से सीमांत के लोगों में नाराजगी

लिपुलेख और कालापानी को अपना हिस्सा बताने के नेपाल सरकार के दावे को लेकर सीमांत के लोगों में नाराजगी है. रं कल्याण संस्था के पूर्व अध्यक्ष और गर्बयांग गांव निवासी कृष्णा गर्ब्याल का कहना है कि नेपाल स्थित माउंट अपि, तिपिल छ्यक्त, छिरे, शिमाकल इत्यादि स्थल भी गर्ब्यालों की नाप भूमि है. सीमा के बंटवारे के बाद काली नदी पार की भूमि गर्ब्यालों ने छोड़ दी थी.

क्या है भारत नेपाल सीमा विवाद?

चीन और नेपाल से सटे भारतीय क्षेत्र कालापानी और लिपुलेख पर नेपाल पूर्व में भी अपना दावा जताता रहा है. चीन सीमा को जोड़ने वाली लिपुलेख सड़क बनने के बाद मित्र राष्ट्र नेपाल के तेवर उग्र हो गए हैं. कालापानी और लिपुलेख पर दावा जताते हुए नेपाल में प्रदर्शनों का दौर शुरू हो गया है.

इसके साथ ही कालापानी में भारतीय गतिविधियों पर नजर रखने के लिए नेपाल ने भारत को बिना जानकारी दिए छांगरु में बीओपी बना दी है. इसके साथ ही नेपाल अपने बॉर्डर इलाके में एक और बीओपी बनाने जा रहा है.

जानकारी मिली है कि नेपाल इस इलाके को जल्द ही सैनिक छावनी में तब्दील करने जा रहा है. इस छावनी में 160 सैनिकों की तैनाती स्थाई तौर पर होनी है.

यह छावनी इंटरनेशनल बॉर्डर से 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थापित होगी. वहीं, नेपाल ने हाल ही में नया नक्शा जारी कर भारतीय क्षेत्र कालापानी और छियालेख को अपना हिस्सा बताया है.

भारत-नेपाल सीमा विवाद पर किस देश ने क्या कहा?

भारतीय क्षेत्र में नेपाल के दावे के बाद भारतीय सेना प्रमुख ने कहा था कि ऐसा लगता है कि नेपाल किसी तीसरे पक्ष के इशारे पर लिपुलेख और कालापानी का मुद्दा उठा रहा है.

वहीं, नेपाली प्रधानमंत्री ने भारत पर 'सिंहमेव जयते' का तंज कसा है. नेपाली पीएम केपी शर्मा ओली ने कहा कि भारत के राजचिन्‍ह में 'सत्‍यमेव जयते' लिखा हुआ है या 'सिंहमेव जयते'.

साथ ही नेपाली पीएम ने कहा कि उन्‍होंने किसी के दबाव में यह मुद्दा नहीं उठाया है. वहीं, चीनी विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा कि यह मुद्दा भारत और नेपाल का आंतरिक विषय है. इसे दोनों देशों को शांतिपूर्वक तरीके से निपटाना चाहिए.

पिथौरागढ़ : चीन सीमा को जोड़ने वाली लिपुलेख सड़क बनने के बाद मित्र राष्ट्र नेपाल के सुर बदलते नजर आ रहे हैं. नेपाल सरकार ने हाल ही में एक नया नक्शा जारी कर कालापानी और लिपुलेख को अपना क्षेत्र बताया है. लेकिन, असल में यह दोनों ही इलाके पूरी तरह से भारत का हिस्सा हैं.

धारचूला तहसील के भीतर आने वाले यह दोनों इलाके 1962 के बंदोबस्त में भी भूमि अभिलेखों में दर्ज हैं. खतौनी के मुताबिक, कालापानी से नाभीढांग तक नौ किलोमीटर का इलाका गर्बयांग गांव का तोक है. करीब पांच हजार नाली के इस भू-भाग में 704 नाप खेत मौजूद हैं. वहीं नाभीढांग से लिपुलेख तक का इलाका गुंजी ग्राम सभा का हिस्सा है. यह इलाका गुंजी गांव की वन पंचायत की जमीन में भी दर्ज है.

देखें ईटीवी भारत की रिपोर्ट

मौजूद दस्तावेज इस बात की तस्दीक करते हैं कि 1962 में हुए भूमि बंदोबस्त से पहले ही यह इलाके भारत का अभिन्न हिस्सा रहे हैं. धारचूला के एसडीएम अनिल कुमार शुक्ला का कहना है कि कालापानी और लिपुलेख की जमीन भारत की है. स्थानीय लोगों के नाम यह जमीन दर्ज है. इसके साक्ष्य भी उपलब्ध हैं.

नेपाल के दावे से सीमांत के लोगों में नाराजगी

लिपुलेख और कालापानी को अपना हिस्सा बताने के नेपाल सरकार के दावे को लेकर सीमांत के लोगों में नाराजगी है. रं कल्याण संस्था के पूर्व अध्यक्ष और गर्बयांग गांव निवासी कृष्णा गर्ब्याल का कहना है कि नेपाल स्थित माउंट अपि, तिपिल छ्यक्त, छिरे, शिमाकल इत्यादि स्थल भी गर्ब्यालों की नाप भूमि है. सीमा के बंटवारे के बाद काली नदी पार की भूमि गर्ब्यालों ने छोड़ दी थी.

क्या है भारत नेपाल सीमा विवाद?

चीन और नेपाल से सटे भारतीय क्षेत्र कालापानी और लिपुलेख पर नेपाल पूर्व में भी अपना दावा जताता रहा है. चीन सीमा को जोड़ने वाली लिपुलेख सड़क बनने के बाद मित्र राष्ट्र नेपाल के तेवर उग्र हो गए हैं. कालापानी और लिपुलेख पर दावा जताते हुए नेपाल में प्रदर्शनों का दौर शुरू हो गया है.

इसके साथ ही कालापानी में भारतीय गतिविधियों पर नजर रखने के लिए नेपाल ने भारत को बिना जानकारी दिए छांगरु में बीओपी बना दी है. इसके साथ ही नेपाल अपने बॉर्डर इलाके में एक और बीओपी बनाने जा रहा है.

जानकारी मिली है कि नेपाल इस इलाके को जल्द ही सैनिक छावनी में तब्दील करने जा रहा है. इस छावनी में 160 सैनिकों की तैनाती स्थाई तौर पर होनी है.

यह छावनी इंटरनेशनल बॉर्डर से 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थापित होगी. वहीं, नेपाल ने हाल ही में नया नक्शा जारी कर भारतीय क्षेत्र कालापानी और छियालेख को अपना हिस्सा बताया है.

भारत-नेपाल सीमा विवाद पर किस देश ने क्या कहा?

भारतीय क्षेत्र में नेपाल के दावे के बाद भारतीय सेना प्रमुख ने कहा था कि ऐसा लगता है कि नेपाल किसी तीसरे पक्ष के इशारे पर लिपुलेख और कालापानी का मुद्दा उठा रहा है.

वहीं, नेपाली प्रधानमंत्री ने भारत पर 'सिंहमेव जयते' का तंज कसा है. नेपाली पीएम केपी शर्मा ओली ने कहा कि भारत के राजचिन्‍ह में 'सत्‍यमेव जयते' लिखा हुआ है या 'सिंहमेव जयते'.

साथ ही नेपाली पीएम ने कहा कि उन्‍होंने किसी के दबाव में यह मुद्दा नहीं उठाया है. वहीं, चीनी विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा कि यह मुद्दा भारत और नेपाल का आंतरिक विषय है. इसे दोनों देशों को शांतिपूर्वक तरीके से निपटाना चाहिए.

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