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गलवान हिंसा : घटनास्थल पर 40 दिनों से पड़े हैं बड़ी संख्या में सैन्य वाहन - गलवान घाटी

पूर्वी लद्दाख में गलवान घाटी में हिंसक झड़प के बाद से घटनास्थल पर बड़ी संख्या में दोनों पक्षों के सैन्य वाहन पड़े हैं. जिनमें कम से कम 20 भारतीय सेना से संबंधित हैं. इन्हें शनिवार को वापस लाया जा सकता है. पढ़िए, गलवान घाटी की मौजूदा स्थिति पर हमारे वरिष्ठ संवाददाता संजीब कुमार बरुआ की विशेष रिपोर्ट...

गलवान हिंसा
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Published : Jul 24, 2020, 9:46 PM IST

नई दिल्ली : पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर 15 जून की रात हुई हिंसक झड़प के बाद से बड़ी संख्या में सैन्य वाहन लगभग 40 दिनों से घटनास्थल पर पड़े हुए हैं, जिनमें कम से कम 20 भारतीय सेना से संबंधित हैं, और बाकी चीनी सेना से संबंधित हैं. ये सैन्य वाहन गलवान नदी के किनारे खड़े हैं, जो पेट्रोलिंग प्वाइंट (पीपी) 14 से करीब है.

भारतीय सेना के फंसे हुए वाहनों में रेगुलर वन-टन मॉडिफाइड ट्रक और BMP II इन्फैंट्री कॉम्बैट व्हीकल्स (आईसीवी) शामिल हैं, जबकि चीनी सेना के वाहनों में डोंगफेंग मेंगशी (अमेरिकी हुम्वी का चीनी संस्करण) शामिल है.

सूत्रों ने ईटीवी भारत को बताया कि इन वाहनों का उपयोग 15 जून को पीपी 14 के दोनों तरफ सैनिकों को लाने के लिए किया जा रहा था और नदी का जल स्तर अचानक बढ़ने कारण इन्हें नदी के पास से छोड़ना पड़ा, क्योंकि चलाना मुश्किल हो गया था.

भारतीय सैनिकों को पीपी 14 की ओर बढ़ने के लिए कई बिंदुओं पर नदी को पार करना पड़ता है, जो वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर अंतिम बिंदु है, जहां तक भारतीय सेना की टीमें नियमित रूप से 15 जून से पहले तक गश्त करती थीं.

लंबे तनाव के बाद 15 जून की रात हुई हिंसक झड़प में कम से कम 20 भारतीय सैनिकों की जान चली गई थी, जबकि चीनी सेना ने मरने वालों का आंकड़ा साझा नहीं किया है.

विभिन्न स्तरों पर बातचीत में बनी समहित के बाद दोनों देशों ने एलएसी से सैनिकों को हटाने और तनाव कम करने की दिशा में काम शुरू कर दिया है. दोनों पक्षों के सैनिक अग्रिम मोर्च से पीछे हट गए हैं. साथ ही दोनों पक्षों के सैनिकों के बीच एक 'बफर जोन' की स्थापना की गई है ताकि प्रतिकूल स्थितियों से बचा जा सके क्योंकि गुस्सा अभी तक बरकरार था. इसी 'बफर जोन' के भीतर अधिकांश सैन्य वाहन पड़े हुए हैं.

सूत्र के अनुसार, सैन्य वार्ता में सीमा विवाद पर सहमति बनने के परिणामस्वरूप, वाहनों को अब दोनों पक्षों द्वारा बहुत जल्द निकाला जा सकता है. यह काम शनिवार को भी हो सकता है.

चार फ्लैशप्वाइंट, गलवान घाटी (पीपी 14), पैंगोंग झील (फिंगर 4), हॉट स्प्रिंग्स (पीपी 15) और गोग्रा (पीपी 17) में से चीनी सेना गालवान घाटी और पैंगोंग झील को लेकर अड़ंगा डाल रही है.

5 मई को, पैंगोंग त्सो झील के उत्तरी तट पर फिंगर 4 के पास दोनों पक्षों के बीच हाथापाई हुई थी. चीनी सेना ने फिंगर 4 के पास भारतीय सेना के गश्ती दल को रोक दिया था और उसी समय फिंगर 4 रिज-लाइन (कटक रेखा) पर अस्थाई संरचना बनाकर खुद को भी तैनात किया था. यह जगह फिंगर 4 पर भारतीय पोस्ट सहित एक अच्छे निरीक्षण क्षेत्र को कमांड करता है.

हालांकि, दोनों पक्षों के बीच वार्ता के परिणामस्वरूप चीनी सेना ने पैंगोंग झील के तट के किनारे पहले चरण के विघटना और तनाव खत्म करने की प्रक्रिया के तहत फिंगर 4 से फिंगर 5 तक पीछे हटी है. हालांकि, इसने फिंगर 4 कटक रेखा या फिर फिंगर 5 से पीछे हटने से साफ इनकार कर दिया है.

फिंगर 4 से फिंगर 8 पश्चिम से पूर्व की ओर फैला है और यह मुख्य सड़क है जो दक्षिणी पहाड़ों से पैंगोंग झील से उत्तर-दक्षिण दिशा में निकलती है. जबकि भारत फिंगर 8 के पास वास्तविक नियंत्रण रेखा पर दावा करता है और चीन फिंगर 3 तक क्षेत्र का दावा करता है. पूर्व में, चीनी सेना फिंगर 8 से 4 पर गश्त करती थी, जबकि भारतीय सेना फिंगर 4 से 8 तक गश्त करती थी.

सैन्य सूत्रों ने माना था कि वार्ता एक अनिश्चित स्थिति में प्रवेश कर चुकी है. भारतीय सेना के एक सूत्र ने हाल ही में कहा था कि 15 जून (गलवान घाटी) की घटना के बाद आपसी विश्वास बहाल होने में समय लगने के कारण सीमा पर शीघ्र विघटन मुश्किल हो सकता है. पूर्ण विघटन के लिए सैन्य स्तर पर अधिक वार्ता की आवश्यकता होगी.

अब तक, भारत और चीन के बीच कोर कमांडर स्तर पर चार बैठकें (6 जून, 22 जून, 30 जून और 14 जुलाई) हुई हैं. दुनिया की दो सबसे बड़ी सेनाओं के बीच निचले स्तर पर भी वार्ता हुई है. इसके साथ ही क्षेत्रीय विवाद से उत्पन्न होने वाले तनाव को समाप्त करने के लिए प्रतिनिधि स्तर और राजनयिक स्तर भी वार्ता हुई है.

इस समय, एलओसी के समीप भारी तोपखाने और वायुसेना के लड़ाकू विमानों की तैनाती के अलावा भारतीय सेना और चीनी सेना के 100,000 से अधिक सैनिकों की भारी भीड़ जमा हुई है. हालांकि, अप्रैल से पहले की स्थिति को बहाल करने के लिए वार्ता जारी है.

नई दिल्ली : पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर 15 जून की रात हुई हिंसक झड़प के बाद से बड़ी संख्या में सैन्य वाहन लगभग 40 दिनों से घटनास्थल पर पड़े हुए हैं, जिनमें कम से कम 20 भारतीय सेना से संबंधित हैं, और बाकी चीनी सेना से संबंधित हैं. ये सैन्य वाहन गलवान नदी के किनारे खड़े हैं, जो पेट्रोलिंग प्वाइंट (पीपी) 14 से करीब है.

भारतीय सेना के फंसे हुए वाहनों में रेगुलर वन-टन मॉडिफाइड ट्रक और BMP II इन्फैंट्री कॉम्बैट व्हीकल्स (आईसीवी) शामिल हैं, जबकि चीनी सेना के वाहनों में डोंगफेंग मेंगशी (अमेरिकी हुम्वी का चीनी संस्करण) शामिल है.

सूत्रों ने ईटीवी भारत को बताया कि इन वाहनों का उपयोग 15 जून को पीपी 14 के दोनों तरफ सैनिकों को लाने के लिए किया जा रहा था और नदी का जल स्तर अचानक बढ़ने कारण इन्हें नदी के पास से छोड़ना पड़ा, क्योंकि चलाना मुश्किल हो गया था.

भारतीय सैनिकों को पीपी 14 की ओर बढ़ने के लिए कई बिंदुओं पर नदी को पार करना पड़ता है, जो वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर अंतिम बिंदु है, जहां तक भारतीय सेना की टीमें नियमित रूप से 15 जून से पहले तक गश्त करती थीं.

लंबे तनाव के बाद 15 जून की रात हुई हिंसक झड़प में कम से कम 20 भारतीय सैनिकों की जान चली गई थी, जबकि चीनी सेना ने मरने वालों का आंकड़ा साझा नहीं किया है.

विभिन्न स्तरों पर बातचीत में बनी समहित के बाद दोनों देशों ने एलएसी से सैनिकों को हटाने और तनाव कम करने की दिशा में काम शुरू कर दिया है. दोनों पक्षों के सैनिक अग्रिम मोर्च से पीछे हट गए हैं. साथ ही दोनों पक्षों के सैनिकों के बीच एक 'बफर जोन' की स्थापना की गई है ताकि प्रतिकूल स्थितियों से बचा जा सके क्योंकि गुस्सा अभी तक बरकरार था. इसी 'बफर जोन' के भीतर अधिकांश सैन्य वाहन पड़े हुए हैं.

सूत्र के अनुसार, सैन्य वार्ता में सीमा विवाद पर सहमति बनने के परिणामस्वरूप, वाहनों को अब दोनों पक्षों द्वारा बहुत जल्द निकाला जा सकता है. यह काम शनिवार को भी हो सकता है.

चार फ्लैशप्वाइंट, गलवान घाटी (पीपी 14), पैंगोंग झील (फिंगर 4), हॉट स्प्रिंग्स (पीपी 15) और गोग्रा (पीपी 17) में से चीनी सेना गालवान घाटी और पैंगोंग झील को लेकर अड़ंगा डाल रही है.

5 मई को, पैंगोंग त्सो झील के उत्तरी तट पर फिंगर 4 के पास दोनों पक्षों के बीच हाथापाई हुई थी. चीनी सेना ने फिंगर 4 के पास भारतीय सेना के गश्ती दल को रोक दिया था और उसी समय फिंगर 4 रिज-लाइन (कटक रेखा) पर अस्थाई संरचना बनाकर खुद को भी तैनात किया था. यह जगह फिंगर 4 पर भारतीय पोस्ट सहित एक अच्छे निरीक्षण क्षेत्र को कमांड करता है.

हालांकि, दोनों पक्षों के बीच वार्ता के परिणामस्वरूप चीनी सेना ने पैंगोंग झील के तट के किनारे पहले चरण के विघटना और तनाव खत्म करने की प्रक्रिया के तहत फिंगर 4 से फिंगर 5 तक पीछे हटी है. हालांकि, इसने फिंगर 4 कटक रेखा या फिर फिंगर 5 से पीछे हटने से साफ इनकार कर दिया है.

फिंगर 4 से फिंगर 8 पश्चिम से पूर्व की ओर फैला है और यह मुख्य सड़क है जो दक्षिणी पहाड़ों से पैंगोंग झील से उत्तर-दक्षिण दिशा में निकलती है. जबकि भारत फिंगर 8 के पास वास्तविक नियंत्रण रेखा पर दावा करता है और चीन फिंगर 3 तक क्षेत्र का दावा करता है. पूर्व में, चीनी सेना फिंगर 8 से 4 पर गश्त करती थी, जबकि भारतीय सेना फिंगर 4 से 8 तक गश्त करती थी.

सैन्य सूत्रों ने माना था कि वार्ता एक अनिश्चित स्थिति में प्रवेश कर चुकी है. भारतीय सेना के एक सूत्र ने हाल ही में कहा था कि 15 जून (गलवान घाटी) की घटना के बाद आपसी विश्वास बहाल होने में समय लगने के कारण सीमा पर शीघ्र विघटन मुश्किल हो सकता है. पूर्ण विघटन के लिए सैन्य स्तर पर अधिक वार्ता की आवश्यकता होगी.

अब तक, भारत और चीन के बीच कोर कमांडर स्तर पर चार बैठकें (6 जून, 22 जून, 30 जून और 14 जुलाई) हुई हैं. दुनिया की दो सबसे बड़ी सेनाओं के बीच निचले स्तर पर भी वार्ता हुई है. इसके साथ ही क्षेत्रीय विवाद से उत्पन्न होने वाले तनाव को समाप्त करने के लिए प्रतिनिधि स्तर और राजनयिक स्तर भी वार्ता हुई है.

इस समय, एलओसी के समीप भारी तोपखाने और वायुसेना के लड़ाकू विमानों की तैनाती के अलावा भारतीय सेना और चीनी सेना के 100,000 से अधिक सैनिकों की भारी भीड़ जमा हुई है. हालांकि, अप्रैल से पहले की स्थिति को बहाल करने के लिए वार्ता जारी है.

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