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आठ माह की गर्भवती को नहीं मिल रहा खाना, जंतर-मंतर पर भूखे सो रहे मजदूर

देशभर में लॉकडाउन के बीच जंतर मंतर पर एक ऐसा ही परिवार मिला, जिसमें महिला आठ माह की गर्भवती है, लेकिन उनके पास खाने के लिए अब कुछ नहीं है. महिला ने बताया कि पिछले चार दिनों से वह केवल एक समय का खाना खा रही है.

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आठ माह की गर्भवती को नहीं मिल रहा खाना,
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Published : Mar 27, 2020, 11:41 AM IST

नई दिल्ली : राजधानी में हुए लॉकडाउन के चलते बड़ी संख्या में मजदूर और दिहाड़ी पर काम करने वाले लोग भुखमरी का सामना कर रहे हैं. जंतर मंतर पर एक ऐसा ही परिवार मिला, जिसमें महिला आठ माह की गर्भवती है, लेकिन उनके पास खाने के लिए अब कुछ नहीं बचा है. महिला ने बताया कि पिछले चार दिनों से वह केवल एक समय का खाना खा रही है.

जानकारी के अनुसार दिवाली पर मजदूरी करने वाला संजय अपनी पत्नी के साथ जंतर मंतर पर रहता है. यहां पर पिछले चार दिनों से उसे कोई काम नहीं मिला है, जिसकी वजह से उसके पास खाने के लिए कुछ भी नहीं है. उसने बताया कि पिछले चार दिनों में उसके पास केवल एक किलो चावल बचा हुआ था, जिसे वह एक समय अपनी बीवी को बनाकर दे रहा है. खुद वह पिछले चार दिनों से भूखा है क्योंकि उसकी गर्भवती पत्नी के लिए खाना जरूरी है. उन्हें सरकार की तरफ से भी कोई मदद नहीं मिल रही और उनके पास खाने के लिए कुछ बचा भी नहीं है.

आठ माह की गर्भवती को नहीं मिल रहा खाना

20 से ज्यादा लोग सो रहे भूखे
जंतर मंतर पर मौजूद महेंद्र कुमार ने बताया कि बुजुर्ग होने के बावजूद वह मजदूरी करके अपने खाने का इंतजाम करते थे. यहां पर ऐसे 20 से ज्यादा लोग हैं जो दिहाड़ी मजदूरी कर अपना पेट पालते थे. लेकिन पिछले 4 दिनों से उन्हें न तो कोई काम मिला है और न ही इसकी वजह से कोई खाना मिल रहा है. उन्हें इस बात का भी नहीं पता है कि आगे उन्हें खाना मिलेगा या वह भूखे ही मर जाएंगे.

नई दिल्ली : राजधानी में हुए लॉकडाउन के चलते बड़ी संख्या में मजदूर और दिहाड़ी पर काम करने वाले लोग भुखमरी का सामना कर रहे हैं. जंतर मंतर पर एक ऐसा ही परिवार मिला, जिसमें महिला आठ माह की गर्भवती है, लेकिन उनके पास खाने के लिए अब कुछ नहीं बचा है. महिला ने बताया कि पिछले चार दिनों से वह केवल एक समय का खाना खा रही है.

जानकारी के अनुसार दिवाली पर मजदूरी करने वाला संजय अपनी पत्नी के साथ जंतर मंतर पर रहता है. यहां पर पिछले चार दिनों से उसे कोई काम नहीं मिला है, जिसकी वजह से उसके पास खाने के लिए कुछ भी नहीं है. उसने बताया कि पिछले चार दिनों में उसके पास केवल एक किलो चावल बचा हुआ था, जिसे वह एक समय अपनी बीवी को बनाकर दे रहा है. खुद वह पिछले चार दिनों से भूखा है क्योंकि उसकी गर्भवती पत्नी के लिए खाना जरूरी है. उन्हें सरकार की तरफ से भी कोई मदद नहीं मिल रही और उनके पास खाने के लिए कुछ बचा भी नहीं है.

आठ माह की गर्भवती को नहीं मिल रहा खाना

20 से ज्यादा लोग सो रहे भूखे
जंतर मंतर पर मौजूद महेंद्र कुमार ने बताया कि बुजुर्ग होने के बावजूद वह मजदूरी करके अपने खाने का इंतजाम करते थे. यहां पर ऐसे 20 से ज्यादा लोग हैं जो दिहाड़ी मजदूरी कर अपना पेट पालते थे. लेकिन पिछले 4 दिनों से उन्हें न तो कोई काम मिला है और न ही इसकी वजह से कोई खाना मिल रहा है. उन्हें इस बात का भी नहीं पता है कि आगे उन्हें खाना मिलेगा या वह भूखे ही मर जाएंगे.

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