आज की प्रेरणा: जय-पराजय का विचार किये बिना मनुष्य को अपने कर्तव्य का पालन करना चाहिए - अधर पणा
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यदि मनुष्य अपने स्वधर्म को संपन्न नहीं करता तो उसे कर्तव्य की उपेक्षा करने का पाप लगता है. वह व्यक्ति अपना यश भी खो देगा. व्यक्ति को सुख दुख, लाभ-हानि, विजय या पराजय का विचार किये बिना अपने कर्तव्य का पालन करना चाहिए. निष्काम भाव से कर्म करने के प्रयास में न तो हानि होती है और न ही ह्रास होता है. अपितु इस पथ पर की गई अल्प प्रगति भी महान भय से रक्षा कर सकती है. विधि विधान से किये हुए परधर्म से गुणरहित किन्तु स्वभाव से नियत अपना धर्म श्रेष्ठ है. जो सभी प्राणियों का उद्गम है और सर्वव्यापी है. उस भगवान की उपासन करके मनुष्य अपना कर्म करते हुए पूर्णता प्राप्त कर सकता है.
Last Updated : Feb 3, 2023, 8:23 PM IST