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मप्र में अब 'स्क्रब टाइफस' की दस्तक, पन्ना में 4 मरीज मिले - 200 साल पुरानी बीमारी

कोरोना संक्रमण के बीच 'स्क्रब टाइफस' ने दस्तक दी है. मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों में इसके मरीज मिले हैं. यह बीमारी चूहे से फैलने वाला संक्रमण है, जो जानलेवा साबित हो सकता हैं.

Scrub typhus outbreak
स्क्रब टाइफस ने दी दस्तक
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Published : Nov 12, 2020, 3:07 PM IST

मध्य प्रदेश में कोरोना संक्रमण के बीच एक और बीमारी ने दस्तक दे दी है. इस बीमारी का नाम है स्क्रब टाइफस और इसके पन्ना सहित राज्य के कुछ हिस्सों में मरीज मिले हैं. यह बीमारी चूहा, छछूंदर और गिलहरी के जरिए फैलती है. इसके नियंत्रण और हालात का परीक्षण करने के लिए भोपाल से तीन सदस्यीय टीम पन्ना भेजी गई है.

वैसे यह बीमारी लगभग दो सौ साल पुरानी है. इस स्क्रब टाइफस नाम की बीमारी के मरीज कई हिस्सों में मिले है. पन्ना में अब तक चार मरीजों की पुष्टि हुई है, जिनमें से दो की मौत हो चुकी है. यह दो सौ साल पुरानी वायरस से होने वाली बीमारी बताई जा रही है.

पन्ना के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एल.के. तिवारी ने बताया कि पन्ना के अलावा इस बीमारी के दमोह, सतना जबलपुर में स्क्रब टाइफस के मरीज मिले हैं. सामान्य तौर पर चूहों के शरीर पर पाए जाने वाले जीवाणु (ओरियंटा सुसु कैमोसी) के कारण यह बीमारी होती है. इस बीमारी में सामान्य बुखार के साथ शरीर में छोटे-छोटे दाने, चकत्ते होते हैं. ऐसा होने पर लोगों को तुरंत ही उपचार कराना चाहिए. समय पर उपचार होने से बीमारी पांच दिन में ही ठीक हो जाती है. पन्ना के अजयगढ़, अमानगंज व पवई के ग्रामीण इलाकों में मरीज मिले थे. जिन्हें उपचार हेतु जबलपुर भेजा गया था. जहां जांच में उनमें स्क्रब टाइफस संक्रमण मिला.

उन्होंने बताया कि यह संक्रमण अधिक ना फैले इसके लिए संक्रमित क्षेत्र में कई लोगों के सैंपल लिए गये हैं, जिनकी जांच की जा रही है. भोपाल से एक टीम भी आई है. वहीं यह बीमारी और ना फैले, इसके प्रबंध किए जा रहे हैं. इसका इलाज संभव है, मगर लापरवाही बरतने पर यह बीमारी गंभीर रुप ले लेती है. चिंता की जरुरत नहीं है क्योंकि इस बीमारी का इलाज है, लोगों को सतर्क किया जा रहा है, साफ-सफाई पर ध्यान देने के साथ चूहों से बचाव करें.

भोपाल से आई टीम की सदस्य डॉ. गुंजन सिंह ने बताया कि यह बीमारी 200 साल पहले हुआ करती थी, अब कुछ समय से इसके मामले सामने आ रहे हैं. पन्ना में चार मामले मिले उनमें से दो लोगों की मौत हुई है. इस बीमारी से घबराने की जरूतर नहीं हैं क्योंकि इलाज है, समय पर यदि बीमारी का पता चल जाए, तो इसे ठीक किया जा सकता है.

बताया जाता है कि यह बीमारी चूहा, छछून्दर गिलहरी आदि से फैलती है, इसलिए इनके द्वारा कुतरे गए फल अथवा खाए गए खाद्य पदार्थ का सेवन ना करें. जब भी फल आदि खाएं तो उसे धोकर खाना चाहिए, खाना खुला ना छोड़ें. बीमारी में बुखार के अलावा सिर दर्द, मांसपेशियों में दर्द, सांस फूलना, खांसी, जी मितलाना, उल्टी होना अन्य लक्षण हैं. कुछ मामलों में शरीर पर सूखे चकते भी हो सकते हैं. चिकित्सकों के अनुसार इससे बचने के लिए खेतों में काम करते समय हाथ-पैर को ढक कर रखना चाहिए एवं साफ सफाई का पालन करना चाहिए. बुखार आने पर जांच जरूर कराएं, इस बीमारी में सर्तकता ही सबसे बड़ा उपचार है, समय रहते यदि बीमारी को पकड़ लिया जाए, तो इससे बचा जा सकता है.

मध्य प्रदेश में कोरोना संक्रमण के बीच एक और बीमारी ने दस्तक दे दी है. इस बीमारी का नाम है स्क्रब टाइफस और इसके पन्ना सहित राज्य के कुछ हिस्सों में मरीज मिले हैं. यह बीमारी चूहा, छछूंदर और गिलहरी के जरिए फैलती है. इसके नियंत्रण और हालात का परीक्षण करने के लिए भोपाल से तीन सदस्यीय टीम पन्ना भेजी गई है.

वैसे यह बीमारी लगभग दो सौ साल पुरानी है. इस स्क्रब टाइफस नाम की बीमारी के मरीज कई हिस्सों में मिले है. पन्ना में अब तक चार मरीजों की पुष्टि हुई है, जिनमें से दो की मौत हो चुकी है. यह दो सौ साल पुरानी वायरस से होने वाली बीमारी बताई जा रही है.

पन्ना के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एल.के. तिवारी ने बताया कि पन्ना के अलावा इस बीमारी के दमोह, सतना जबलपुर में स्क्रब टाइफस के मरीज मिले हैं. सामान्य तौर पर चूहों के शरीर पर पाए जाने वाले जीवाणु (ओरियंटा सुसु कैमोसी) के कारण यह बीमारी होती है. इस बीमारी में सामान्य बुखार के साथ शरीर में छोटे-छोटे दाने, चकत्ते होते हैं. ऐसा होने पर लोगों को तुरंत ही उपचार कराना चाहिए. समय पर उपचार होने से बीमारी पांच दिन में ही ठीक हो जाती है. पन्ना के अजयगढ़, अमानगंज व पवई के ग्रामीण इलाकों में मरीज मिले थे. जिन्हें उपचार हेतु जबलपुर भेजा गया था. जहां जांच में उनमें स्क्रब टाइफस संक्रमण मिला.

उन्होंने बताया कि यह संक्रमण अधिक ना फैले इसके लिए संक्रमित क्षेत्र में कई लोगों के सैंपल लिए गये हैं, जिनकी जांच की जा रही है. भोपाल से एक टीम भी आई है. वहीं यह बीमारी और ना फैले, इसके प्रबंध किए जा रहे हैं. इसका इलाज संभव है, मगर लापरवाही बरतने पर यह बीमारी गंभीर रुप ले लेती है. चिंता की जरुरत नहीं है क्योंकि इस बीमारी का इलाज है, लोगों को सतर्क किया जा रहा है, साफ-सफाई पर ध्यान देने के साथ चूहों से बचाव करें.

भोपाल से आई टीम की सदस्य डॉ. गुंजन सिंह ने बताया कि यह बीमारी 200 साल पहले हुआ करती थी, अब कुछ समय से इसके मामले सामने आ रहे हैं. पन्ना में चार मामले मिले उनमें से दो लोगों की मौत हुई है. इस बीमारी से घबराने की जरूतर नहीं हैं क्योंकि इलाज है, समय पर यदि बीमारी का पता चल जाए, तो इसे ठीक किया जा सकता है.

बताया जाता है कि यह बीमारी चूहा, छछून्दर गिलहरी आदि से फैलती है, इसलिए इनके द्वारा कुतरे गए फल अथवा खाए गए खाद्य पदार्थ का सेवन ना करें. जब भी फल आदि खाएं तो उसे धोकर खाना चाहिए, खाना खुला ना छोड़ें. बीमारी में बुखार के अलावा सिर दर्द, मांसपेशियों में दर्द, सांस फूलना, खांसी, जी मितलाना, उल्टी होना अन्य लक्षण हैं. कुछ मामलों में शरीर पर सूखे चकते भी हो सकते हैं. चिकित्सकों के अनुसार इससे बचने के लिए खेतों में काम करते समय हाथ-पैर को ढक कर रखना चाहिए एवं साफ सफाई का पालन करना चाहिए. बुखार आने पर जांच जरूर कराएं, इस बीमारी में सर्तकता ही सबसे बड़ा उपचार है, समय रहते यदि बीमारी को पकड़ लिया जाए, तो इससे बचा जा सकता है.

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