विदिशा। हजारों साल पहले से नाग देवता किले के दरवाजे पर विराजमान हैं. यहां नागपंचमी पर भक्तों का तांता लगा रहता है. धर्माधिकारी गिरधर शास्त्री ने बताया कि हजारों साल पहले जब किले का निर्माण किया गया था, उसी समय इस नाग मंदिर का भी निर्माण किया गया था. विदिशा में राजा द्वारा इस किले का निर्माण हजार वर्षों पहले किया गया था. इसके चार द्वार हैं. यहां से रायसेन जाने का द्वार था. इसलिए इसका नाम रायसेन द्वार रखा गया. यह बड़ा दिव्य द्वार है.
नागदेवता को दुग्धपान : धर्मगुरु धर्माधिकारी गिरधर गोविन्द प्रसाद शास्त्री ने बताया कि श्रावण शुक्ल नागपंचमी 21 अगस्त सोमवार को श्रद्धा भक्ति के साथ नाग देवता की पूजन करके दुग्ध पान कराया जाएगा. श्रावण सोमवार चित्रा नक्षत्र के शुभ योग में नाग पूजन श्रेयस्कर है. विजया मंदिर में सायंकाल मेला लगेगा. रायसेन द्वार के पास प्राचीन नाग मंदिर में दर्शनार्थियों द्वारा पूजन करके प्रसाद चढ़ाया जाएगा. किला अंदर स्थित गुप्तेश्वर महादेव मंदिर के पास एवं महल घाट मार्ग पर पीतलिया जी के उद्यान में अत्यन्त प्राचीन नाग देवता की प्रतिमाएं हैं. इन मंदिरों में श्रद्धालुओं द्वारा पूजन आरती की जाएगी.
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मां नर्मदा का स्मरण करें : शास्त्रों के अनुसार नागपंचमी को जनमेजय का नाग यज्ञ पूर्ण हुआ. अतः नागपंचमी के दिन श्रद्धालु भक्तों द्वारा “नाग राज महादेव, दिव्य रूपाये ते नमः”, भूतभावन भगवान श्री शंकर जी के आभूषण एवं यज्ञोपवित स्वरूप तथा भगवान श्री विष्णु जी की शेषशायी स्वरूप अनंत फणों पर पृथ्वी के भार को धारण करने वाले शेष नाग भगवान के दर्शन एवं पूजन करने से वर्ष पर्यन्त नागराज भगवान सम्पूर्ण परिवार की रक्षा करते हैं. मां नर्मदा जी का स्मरण करके आस्तिक मुनि का नाम लेने से सर्प का भय नहीं होता है.