विदिशा। मध्यप्रदेश में स्वच्छता अभियान के तहत शहर, गांव और कस्बों को स्वच्छ बनाने के लिए करोड़ों रूपए पानी की तरह बहाया गया, लेकिन जमीनी स्तर पर सरकार के यह दावे नाकाम साबित हो रहे हैं. स्वच्छता अभियान के तहत कागजों से लेकर दीवारों पर शहर को स्वच्छ बनाने का दावा किया गया, लेकिन यह दावे कागजों तक ही सीमित रह गया. विदिशा जिले के अंदर प्रवेश करते ही स्वच्छता अभियान के बड़े सिलोगन लिखे देखने को मिलते हैं. दीवारों-चौराहे पर स्वच्छता की रंग बिरंगी झांकी भी देखने मिलती है लेकिन पर्दे के पीछे यानी जमीनी हकीकत इन दावों और वादों से बिल्कुल जुदा है. शहर भर में कोई इलाका ऐसा नहीं है, जहां गंदगी का आंबार न लगा हो. रहवासी गंदगी में रहने को मजबूर हैं, शिकायत करने पर रहवासियों को आश्वासन तो मिल जाता है, लेकिन गंदगी साफ नहीं होती.
बारिश से निपटने के इंतजामों की हकीकत
प्रशासन का दावा है कि बारिश को लेकर सारे इंतजाम कर लिया गया है, इस बार बरसात में कोई दिक्कत नहीं आएगी, लेकिन शहर के इन नालों की हालत देखिए, जगह जगह कचरे का अंबार लगा है. शहर के यह नाले खुद अपनी हकीकत बयां कर रहे हैं. महीनों गुजर जाने के बाद भी इन नालों की सफाई नहीं हो सकी. नाले कचरे से भरे हुए हैं. यही हालत शहर में फैली गंदगी का भी है, शेरपुरा निवासी महिलाएं गंदगी के बीच निकलने को मजबूर हैं. रहवासियों के मुताबिक अपनी शिकायत कई बार नगर पालिका से कर चुके हैं, लेकिन गंदगी अभी तक साफ नहीं हुई. इस गंदगी से रहवासियों को बीमारियों फैलने का डर भी सता रहा है.
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कलेक्ट्रेट परिसर पर गंदगी का अंबार
शहर के मछली बाजार में तो गंदगी का आलम 12 महीने रहता है. यहां के रहने वालों का कहना है कि शिकायत करें भी तो किससे कोई भी सुनने वाला नहीं है. अधिकारी शिकायत सुनकर अनदेखा कर देते हैं. वहीं बात करें कलेक्ट्रेट परिसर की तो यहां भी गंदगी का अंबार लगा हुआ है. जिससे लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. परिसर में जिस जगह थूकने पर जुर्माना वसूला जाएगा उन्हीं जगहों पर सबसे ज्यादा गंदगी है.
नगर पालिका अधिकारी ने रहवासियों पर फोड़ा ठीकरा
इन सबके बीच नगर पालिका अधिकारी सुधीर सिंह अपनी वाह-वाही गिनवाते हुए दावा कर रहे हैं कि इस साल नगर पालिका ने पूरी तैयारी कर ली है. शहर में बाढ़ जैसे हालात नही बनेंगे.