विदिशा। देश में इस वक्त शारदीय नवरात्रि का पर्व मनाया जा रहा है. जिले के दुर्गा नगर में प्रसिद्ध ज्वाला देवी शक्तिपीठ में भी भव्य तरीके से नवरात्र आयोजित किए जाते हैं. ज्वाला देवी के नाम से अवतरित मां दुर्गा की पूजा उपासना के लिए प्रदेशभर से लोग यहां पहुंचते हैं. इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि मां ज्वाला देवी एक दिन में 3 रूप बदलती है और यह पाप विनाशिनी देवी हैं. यह जगह हाजी वाली तालाब के नाम से भी फेमस है. (shardiya navratri 2022)
मुस्लिम जागीरदार ने दी थी जमीन: विदिशा का दुर्गा नगर कभी पूरा जंगल हुआ करता था. जीवाजी राव सिंधिया ने इस जमीन को दरगाह के लिए दान किया था. इसके बाद मुस्लिम समाज के शरीफ जागीरदार ने दुर्गा मंदिर के निर्माण के लिए यह जमीन दान में दी थी. पूर्व यूपी सांसद स्वर्गीय मुनव्वर चौधरी सलीम भी यहां पर चुनरी चढ़ाने आते थे. बताया जाता है कि इस मंदिर को लेकर 1957 प्रभु दयाल चतुर्वेदी नाम के मंदिर के पुजारी को सपना आया था कि इस जगह पर मां दुर्गा का मंदिर बने. जिसके बाद मुस्लिम जागीरदार ने यह जमीन दान की थी. (vidisha maa jwaladevi)
पुजारी को आया था सपना: मंदिर के पुजारी पंडित रामेश्वर दयाल चतुर्वेदी ने यह भी बताया कि उनके पिता स्वर्गीय प्रभु दयाल चतुर्वेदी मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा करने के बाद निरंतर मंदिर की देखरेख, सेवा करते रहे और मंदिर का नाम दुर्गा मंदिर रखा. जिसके बाद यह पूरी जगह दुर्गा नगर के नाम से जाने जानी लगी. दुर्गा नगर का ज्वाला देवी शक्तिपीठ कई वर्षों से लोगों की आस्था का केंद्र बना हुआ है. इसमें 1980 में जोत की परंपरा शुरू की गई थी, जो आज विशाल रूप ले चुकी है. वहीं, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, उनका परिवार, विदेश मंत्री स्वर्गीय सुषमा स्वराज, पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी, पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा जैसे बड़े दिग्गज की आस्था इस मंदिर से जुड़ी है. (vidisha maa jwaladevi changes form three times)
मां बदलती हैं 3 रूप: मंदिर के पुजारी रामेश्वर दयाल चतुर्वेदी ने माता के रुप बदलने को लेकर बताया कि ज्वाला देवी शक्तिपीठ में मां दिन में तीन रूप बदलती है. रात 8 बजे से 12 बजे तक 35 वर्ष की आयु और दोपहर 12 से 4 बजे में बुजुर्ग का रूप लेती हैं, साथ ही शाम 4 से 8 बजे में मां कन्या के रूप में रहती है. (vidisha jwala devi temple)