विदिशा। वैश्विक महामारी कोरोना के चलते इस बार गणेश चतुर्थती का त्योहार बेरंग साबित होता दिख रहा है. हर साल की तरह बड़े ही धूमधाम से मनाए जाने वाले गणेश उत्सव पर कोरोना का ग्रहण लगता दिख रहा है. इस बार विघ्नहर्ता और उनकी मूर्ति बनाने वाले मूर्तिकारों के सामने संकट के बादल छा गए हैं. भगवान गणेश की मूर्ति बनाने वाले मूर्तिकार इस बात को लेकर परेशान दिख रहे हैं सामान खरीदने के लिए लोग नहीं आ रहे हैं. क्योंकि उनका माल तो तैयार है लेकिन ऑर्डर नहीं मिलने से उनके सामने घर परिवार चलाने का संकट खड़ा हो गया है.
इस बार नहीं आ रहे ऑर्डर
मूर्ति बनाने वाले प्रकाश प्रजापति ने बताया कि लॉकडाउन के चलते उनका काम पूरी तरह से ठप पड़ा हुआ था, प्रकाश के मुताबिक प्रशासन ने बड़ी बड़ी मूर्ति और झांकियां लगाने का आदेश जारी किया है. जिससे कोई भी बड़ी मूर्ति के ऑर्डर इनको नहीं मिल रहे हैं. उनका कहना है कि उनके 2 से तीन लाख रुपए की लागत लग चुकी है. लेकिन अभी छुटपुट खरीददारों के अलावा बड़ा खरीदार सामने नहीं आया है.
प्रकाश का कहना है कि वे हर साल गणेश चर्तुथी के ऑर्डर को पूरा करने के लिए जनवरी से काम शुरू कर देते हैं. लेकिन सरकार ने मार्च में लॉकडाउन लगाकर उनकी सारी मेहनत पर पानी फेर दिया है. आर्थिक संकट के चलते इनकी परिस्थिति बहुत खराब हो चुकी हैं. उनका कहना है कि ब्याज पर पैसा लेकर वह अपना घर परिवार चला रहे हैं.
कोरोना ने चौपट किया धंधा
वहीं मूर्ति बनाने में परिवार की मदद करने वाली कमलाबाई ने बताया कि पिछले साल के मुकाबले इस साल काफी ज्यादा परेशानी आ रही है. उनका कहना है कि कोरोना संक्रमण के कारण उनका धंधा पूरी तरह से ठप हो गया है. उन्होंने बताया कि इस साल तो बस तीन चार मूर्तियों का ही ऑर्डर मिला है. बस ऐसी ही बिना ऑर्डर के मूर्तियां रखी हैं लेकिन इन्हें खरीदने के लिए कोई नहीं आ रहा है. कमलाबाई प्रजापति कहती हैं कि यह काम उनकी पीढ़ियों से चला आ रहा है. लेकिन इस कोरोना के कारण इस साल मूर्ति खरीदने लोग नही आ रहे हैं.
कोरोना के दंश में फीका पड़ा गणेशोत्सव
इस साल 12 से 15 फीट की मूर्तियां 2 से 3 फीट तक ही सिमट कर रह गई हैं. हर साल की तरह विदिशा की गलियों में कोराना के चलते बप्पा के जयकारों की गूंज नहीं सुनाई देगी. बल्कि इस बार विदिशा के लोगों को गणेशोत्सव घरों में ही मनाना पड़ेगा.