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कभी सेल्फी के लिए लगी लाइनों से गुलजार सांची स्तूप में पसरा सन्नाटा, नहीं आ रहे पर्यटक

दुनियाभर में शांति का संदेश देने वाली पर्यटक स्थल सांची आज खुद शांत है. वहां सड़कें वीरान हैं और मंदिर पूरी तरह बंद हैं. न तो अब यहां रेलगाड़ी की गूंज सुनाई देती है और न ही स्तूप पर आए पर्यटकों का शोरगुल.

sanchi-stupa
सांची स्तूप
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Published : Jun 16, 2020, 11:12 AM IST

Updated : Jun 16, 2020, 3:18 PM IST

विदिशा। मध्य प्रदेश के दिल में बसे सांची ने देश में ही नहीं बल्कि दुनिया भर में अपनी एक अहम पहचान कायम की है. ढाई हजार साल पुराना सांची का स्तूप बौद्ध धर्म में आस्था रखने वालों के लिए एक बड़ा केंद्र है. सांची बौद्ध धर्म में आस्था रखने वालों का तीर्थ स्थल भी माना जाता है. कहा जाता है कि पूरी दुनिया में शांति के संदेश देने की शुरुआत सम्राट अशोक ने सांची से ही की थी. जिसके लिए सम्राट अशोक ने 84 हजार स्तूपों का निर्माण कराया था, इसमें पहले नंबर का सांची स्तूप माना जाता है.

सांची स्तूप में पसरा सन्नाटा

ये भी पढ़ें- लॉकडाउन का सन्नाटा और सुनहरी शाम में सोने से चमकते खजुराहो के मंदिर, देखें ईटीवी भारत पर

कोराना काल में सांची का स्तूप खामोश है. कभी विदेशी पर्यटकों से गुलजार रहने वाली सड़क आज वीरान हैं.अब यहां कोई अपना रुख नहीं करता. बोधम शरणम गच्छामि की गूंज अब इस शहर में नहीं गूंजती. भगवान बुद्ध लॉकडाउन के चलते मंदिर में ही हैं. सांची का स्वागत द्वार आज पर्यटकों का इंतजार कर रहा है. मध्य प्रदेश में श्रीलंका की महाबोधि सोसाइटी तालों में कैद है. कभी यहां एक साथ हजारों की संख्या में श्रीलंका सैलानी नजर आते थे. सड़कों पर हाथ में चक्र लेकर भगवान बौद्ध की भक्ति में लीन रहने वाले सैलानी अब नहीं आ रहे हैं.

sanchi stupa
सांची स्तूप

ये भी पढे़ं- लॉकडाउन में क्या आप हो रहे हैं बोर ? यहां देखिए ग्वालियर के पर्यटक स्थलों की खूबसूरत तस्वीरें...

दुनिया भर के लोगों को भारत की इतिहास की गाथा सुनाने वाला संग्रहालय आज खामोश है. गेट पर ताला लगा हुआ है और परिसर में सूखे पत्ते. सांची स्तूप का मेन गेट पर अब चेकिंग नहीं होती बल्कि तार के जाल के पीछे से झांकते गार्ड आने वाले शख्स को देकर हैरान हो जाते हैं. कभी स्टूडेंट्स के शोर तो कभी विदेशी पर्यटकों का सेल्फी लेता हुजूम आज यहां से नदारद है. कुछ है तो वो है बस वीरान जंगलों में से पक्षियों की आवाज.

sanchi
खाली पड़ा पार्किंग जोन

ये भी पढ़ें- मालवा के कश्मीर में प्रकृति बिखेर रही अनोखी छटा, ETV भारत पर देखिए, नरसिंहगढ़ की रंगत

सांची स्तूप पर बना विशाल बौद्ध मंदिर पर लहराता बुद्धिस्ट झंडा भी बेरंग होकर अपनी दांस्ता बयां कर रहा है. सैकड़ों की तादाद में भरा रहने वाला भगवान बुद्ध का मंदिर आज वीरान है. सांची स्तूप पर गॉर्डन हो या प्रकाशन केंद्र, सभी आज भी पर्यटकों की आस लगाए बैठे हैं. हरी-भरी घांस के बीच खड़े स्तूप मानों पर्यटकों के स्वागत का इंतजार कर रहे हों. लेकिन अब इन स्तूपों में पर्यटकों की जगह कबूतरों का राज रहता है.

sanchi railway station
वीरान हुआ रेलवे स्टेशन

ये भी पढ़ें- ETV भारत पर लॉकडाउन के दौरान नरसिंहपुर के निखरे नजारे...

इस लॉकडाउन के कारण सांची स्तूप पर आने वाले पर्यटकों को ही नहीं बल्कि सांची पर्यटन से जुड़े लोगों पर सांची स्तूप बंद होने से काफी प्रभाव पड़ा है. पर्यटक स्थल से एक नहीं बल्कि कई लोगों के रोजगार चलते थे. लेकिन सांची स्तूप बंद होने से उन लोगों पर आर्थिक संकट मंडराने लगा है.

विदिशा। मध्य प्रदेश के दिल में बसे सांची ने देश में ही नहीं बल्कि दुनिया भर में अपनी एक अहम पहचान कायम की है. ढाई हजार साल पुराना सांची का स्तूप बौद्ध धर्म में आस्था रखने वालों के लिए एक बड़ा केंद्र है. सांची बौद्ध धर्म में आस्था रखने वालों का तीर्थ स्थल भी माना जाता है. कहा जाता है कि पूरी दुनिया में शांति के संदेश देने की शुरुआत सम्राट अशोक ने सांची से ही की थी. जिसके लिए सम्राट अशोक ने 84 हजार स्तूपों का निर्माण कराया था, इसमें पहले नंबर का सांची स्तूप माना जाता है.

सांची स्तूप में पसरा सन्नाटा

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कोराना काल में सांची का स्तूप खामोश है. कभी विदेशी पर्यटकों से गुलजार रहने वाली सड़क आज वीरान हैं.अब यहां कोई अपना रुख नहीं करता. बोधम शरणम गच्छामि की गूंज अब इस शहर में नहीं गूंजती. भगवान बुद्ध लॉकडाउन के चलते मंदिर में ही हैं. सांची का स्वागत द्वार आज पर्यटकों का इंतजार कर रहा है. मध्य प्रदेश में श्रीलंका की महाबोधि सोसाइटी तालों में कैद है. कभी यहां एक साथ हजारों की संख्या में श्रीलंका सैलानी नजर आते थे. सड़कों पर हाथ में चक्र लेकर भगवान बौद्ध की भक्ति में लीन रहने वाले सैलानी अब नहीं आ रहे हैं.

sanchi stupa
सांची स्तूप

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दुनिया भर के लोगों को भारत की इतिहास की गाथा सुनाने वाला संग्रहालय आज खामोश है. गेट पर ताला लगा हुआ है और परिसर में सूखे पत्ते. सांची स्तूप का मेन गेट पर अब चेकिंग नहीं होती बल्कि तार के जाल के पीछे से झांकते गार्ड आने वाले शख्स को देकर हैरान हो जाते हैं. कभी स्टूडेंट्स के शोर तो कभी विदेशी पर्यटकों का सेल्फी लेता हुजूम आज यहां से नदारद है. कुछ है तो वो है बस वीरान जंगलों में से पक्षियों की आवाज.

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खाली पड़ा पार्किंग जोन

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सांची स्तूप पर बना विशाल बौद्ध मंदिर पर लहराता बुद्धिस्ट झंडा भी बेरंग होकर अपनी दांस्ता बयां कर रहा है. सैकड़ों की तादाद में भरा रहने वाला भगवान बुद्ध का मंदिर आज वीरान है. सांची स्तूप पर गॉर्डन हो या प्रकाशन केंद्र, सभी आज भी पर्यटकों की आस लगाए बैठे हैं. हरी-भरी घांस के बीच खड़े स्तूप मानों पर्यटकों के स्वागत का इंतजार कर रहे हों. लेकिन अब इन स्तूपों में पर्यटकों की जगह कबूतरों का राज रहता है.

sanchi railway station
वीरान हुआ रेलवे स्टेशन

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इस लॉकडाउन के कारण सांची स्तूप पर आने वाले पर्यटकों को ही नहीं बल्कि सांची पर्यटन से जुड़े लोगों पर सांची स्तूप बंद होने से काफी प्रभाव पड़ा है. पर्यटक स्थल से एक नहीं बल्कि कई लोगों के रोजगार चलते थे. लेकिन सांची स्तूप बंद होने से उन लोगों पर आर्थिक संकट मंडराने लगा है.

Last Updated : Jun 16, 2020, 3:18 PM IST
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