विदिशा। प्राकृतिक आपदा से किसान ही नहीं बल्कि कीटनाशक व्यापारियों को भी काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है. जिले भर में फसलों के सीजन में जहां 100 करोड़ रुपए का व्यापार होता था, वो व्यापार अब 50 करोड़ रुपए तक ही सिमट कर रह गया है. कीटनाशक व्यापारियों के मु्ताबिक कीटनाशक व्यापार में किसानों की फसल को हुए नुकसान की वजह से भी बहुत बड़ा प्रभाव पड़ा है. फसल बर्बाद होने से अब उधारी में दी गई कीटनाशक का पैसा लौटने की भी उम्मीद बहुत कम नजर आ रही है. दूसरी ओर गोदाम में भरा माल नहीं बिकने से उसके एक्सपायर होने का बड़ा संकट मंडरा रहा है.
बाढ़-अतिवृष्टि से जिले में किसानों को फसल का भारी नुकसान हुआ है. जिसका असर खाद और कीटनाशक व्यवसाय पर भी पड़ा है. खाद-कीटनाशक विक्रेता के मुताबिक जिले में 50 करोड़ रुपए के नुकसान का अनुमान है. यह व्यापार पूरी तरह चौपट हो गया है. व्यापारियों का मानना है कि फसलें खराब होने का असर अब अन्य व्यवसाय पर भी पड़ेगा.
जिला कृषि प्रधान होने की वजह से यहां खाद, बीज और कीटनाशक व्यवसाय का भी बड़ा क्षेत्र है. जिले में करीब 400 से ज्यादा दुकानें कीटनाशक की हैं. इससे जुड़े व्यवसाई बताते हैं कि सीजन में करीब 100 करोड़ रुपए का व्यापार हो जाता था. इस बार सिर्फ 50 करोड़ का ही व्यापार हो पाया है. इस बार अतिवृष्टि के बीच जिले में 60 फीसदी से ज्यादा सोयाबीन की फसल खराब हो चुकी है.
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सोयाबीन के साथ जिले में धान उड़द की फसल की भी खेती की जाती है. जो सोयाबीन के बाद फसलें बची हैं उनसे ज्यादा उम्मीदें नजर नहीं आ रही हैं. उड़द को 70 फीसदी से ज्यादा नुकसान पहुंचा है. वहीं धान की फसल भी ज्यादा मात्रा में प्रभावित हुई हैं. ऐसे में खाद, कीटनाशक का आधा ही व्यवसाय हो पाया है.
खाद बीज कीटनाशक संघ के अध्यक्ष घनश्याम बंसल का कहना है कि जिले भर में कीटनाशक व्यापार को भारी नुकसान उठाना पड़ा है. फसल खराब होने से कीटनाशक व्यापारियों पर भी कर्ज का एक नया संकट मंडरा रहा है.