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सीजनल दुकानदार की जेब पर भारी पड़ रहा लॉकडाउन

प्रदेश में पिछले दो महीनों से चल रहे लॉकडाउन ने छोटे व्यापारियों पर सबसे ज्यादा असर डाला है, अब उनकी स्थिति ऐसी हो गई है कि वो अपने परिवार का पालन पोषण तक नहीं कर पा रहे.

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Published : Jun 1, 2020, 3:24 AM IST

विदिशा
विदिशा

विदिशा। लॉकडाउन छोटे व्यापारियों के लिए उनके जीवन का काल बनकर आया है. जूस के छोटे-छोटे व्यापारियों पर इन दिनों आर्थिक संकट मंडरा रहा है. इतना ही नहीं ये व्यापारी अब दाने-दाने को मोहताज हो गए हैं. गर्मियों का सीजन इनके लिए बहुत बड़ा वरदान साबित होने वाला होता है. जूस, गन्ने के रस वाले इस सीजन में इतना कमा लेते की साल भर परिवार का पालन पोषण आसानी से कर लिया करते है. लॉकडाउन के चलते इन दुकानों को खोलने की अनुमति नहीं मिली अब हालात ये है कि इन व्यापारियों को अपना परिवार पालने की चिंता सता रही है.

लॉकडाउन में सीजनल दुकानदार परेशान

45 साल के चेन सिंह कुशवाह के परिवार में आठ सदस्य हैं, जिनमें चार लड़कियां और दो लड़के हैं. चेन सिंह का पूरा परिवार मिलकर गन्ने का व्यवसाय करता है. रंगई मंदिर के चेन सिंह अपनी दुकान लगाते हैं. वो अपनी दुकान पर नींबू का रस , गन्ने का रस, पानी की बोतल बेचते हैं.

चेन सिंह बताते हैं उनके पास कोई और व्यापार नहीं है वो हर साल गर्मियों में सिर्फ गन्ने का व्यापार करते हैं और इससे इतना मिल जाता है कि साल भर अपने परिवार का पालन पोषण आसानी से कर लेते हैं. लॉकडाउन ने किसी एक व्यक्ति की नहीं बल्कि पूरे परिवार की कमर तोड़ दी. गर्मियों का सीजन पूरा निकल गया चेन सिंह की दुकान एक दिन ही खुली अब चेन सिंह के परिवार पर आर्थिक संकट मंडरा रहा है. यहां तक कि बच्चों के कपड़े पहननें तक को मोहताज हो गए हैं और फटे पुराने कपड़े पहन कर दिन काट रहे हैं.

चेन सिंह कहते है गन्ना का सीजन करने के लिए बाजार से कुछ कर्ज भी उठा रखा है, अब चिंता सता रही है इधर खाने के लाले पड़ रहे हैं. बाजार का कर्ज कैसे चुकाएंगे गन्ना भी पहले ही उठा रखा है, जो गन्ना खरीदा था वो पूरी तरह से सूख गया है. चेन सिंह की तरह 65 वर्षीय शांति कुशवाहा अपने पूरे परिवार के साथ अपनी दुकान में ही रहकर दुकान चलाती है. शांति की दुकान पर गन्ने के जूस के साथ समोसे, कचौड़ी मिला करते थे लॉकडाउन ने इनकी दुकान को भी वीरान कर दिया.

इसी तरह ऐसे सीजनल काम करने वाले कई लोगों को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है. यह गन्ना जूस वाले एक-दो नहीं बल्कि ऐसे जिले में हजारों की संख्या में व्यापारी हैं, जिनकी कमर लॉकडाउन ने पूरी तरह से तोड़ दी है. आज इन व्यापरियों पर आर्थिक संकट मंडरा रहा है यह व्यापारी दाने दाने को मोहताज हैं.

विदिशा। लॉकडाउन छोटे व्यापारियों के लिए उनके जीवन का काल बनकर आया है. जूस के छोटे-छोटे व्यापारियों पर इन दिनों आर्थिक संकट मंडरा रहा है. इतना ही नहीं ये व्यापारी अब दाने-दाने को मोहताज हो गए हैं. गर्मियों का सीजन इनके लिए बहुत बड़ा वरदान साबित होने वाला होता है. जूस, गन्ने के रस वाले इस सीजन में इतना कमा लेते की साल भर परिवार का पालन पोषण आसानी से कर लिया करते है. लॉकडाउन के चलते इन दुकानों को खोलने की अनुमति नहीं मिली अब हालात ये है कि इन व्यापारियों को अपना परिवार पालने की चिंता सता रही है.

लॉकडाउन में सीजनल दुकानदार परेशान

45 साल के चेन सिंह कुशवाह के परिवार में आठ सदस्य हैं, जिनमें चार लड़कियां और दो लड़के हैं. चेन सिंह का पूरा परिवार मिलकर गन्ने का व्यवसाय करता है. रंगई मंदिर के चेन सिंह अपनी दुकान लगाते हैं. वो अपनी दुकान पर नींबू का रस , गन्ने का रस, पानी की बोतल बेचते हैं.

चेन सिंह बताते हैं उनके पास कोई और व्यापार नहीं है वो हर साल गर्मियों में सिर्फ गन्ने का व्यापार करते हैं और इससे इतना मिल जाता है कि साल भर अपने परिवार का पालन पोषण आसानी से कर लेते हैं. लॉकडाउन ने किसी एक व्यक्ति की नहीं बल्कि पूरे परिवार की कमर तोड़ दी. गर्मियों का सीजन पूरा निकल गया चेन सिंह की दुकान एक दिन ही खुली अब चेन सिंह के परिवार पर आर्थिक संकट मंडरा रहा है. यहां तक कि बच्चों के कपड़े पहननें तक को मोहताज हो गए हैं और फटे पुराने कपड़े पहन कर दिन काट रहे हैं.

चेन सिंह कहते है गन्ना का सीजन करने के लिए बाजार से कुछ कर्ज भी उठा रखा है, अब चिंता सता रही है इधर खाने के लाले पड़ रहे हैं. बाजार का कर्ज कैसे चुकाएंगे गन्ना भी पहले ही उठा रखा है, जो गन्ना खरीदा था वो पूरी तरह से सूख गया है. चेन सिंह की तरह 65 वर्षीय शांति कुशवाहा अपने पूरे परिवार के साथ अपनी दुकान में ही रहकर दुकान चलाती है. शांति की दुकान पर गन्ने के जूस के साथ समोसे, कचौड़ी मिला करते थे लॉकडाउन ने इनकी दुकान को भी वीरान कर दिया.

इसी तरह ऐसे सीजनल काम करने वाले कई लोगों को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है. यह गन्ना जूस वाले एक-दो नहीं बल्कि ऐसे जिले में हजारों की संख्या में व्यापारी हैं, जिनकी कमर लॉकडाउन ने पूरी तरह से तोड़ दी है. आज इन व्यापरियों पर आर्थिक संकट मंडरा रहा है यह व्यापारी दाने दाने को मोहताज हैं.

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