विदिशा मध्यप्रदेश राज्य का विदिशा प्रमुख शहरों में एक है. यह मालवा के उपजाऊ पठारी क्षेत्र के उत्तर- पूर्व हिस्से में मौजूद है.और पश्चिम में मुख्य पठार से जुड़ा हुआ है. ऐतिहासिक एवं पुरातात्विक दृष्टिकोण से यह क्षेत्र मध्य भारत का सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्र माना जा सकता है. विदिशा जिले में एक प्रमुख स्थान है जिसे बीजा मंडल के नाम से जाना जाता है.
इतिहारकारों की माने तो बीजा मंडल के नाम से ही विदिशा शहर का नाम भेलसा पड़ा था. करीब एक हजार साल पुराना बीजा मंडल कई आक्रमण सहकर भी ज्यों के त्यों खड़ा है. बताया जाता है इस बीजा मंडल का निर्माण 10 से 11वीं सदी के बीच कराया गया था. इस बीजा मंडल का काले पत्थरों से निर्माण कराया गया था.
पुराने समय में भेलसा के नाम से जाना गया था विदिशा
इतिहासकार अरविंद शर्मा ने बताया कि जो प्रमाण मिलते हैं उनके मुताबिक बीजा मंडल को विजय मंदिर के नाम से जाना जाता था, और इसके पीछे जो इतिहास है. उसके लिए विदिशा के इतिहास पर जाना पड़ेगा. यदि हम विदिशा के इतिहास की बात करें तो वो विदिशा की त्रिवेणी से लेकर उदयगिरी तक फैला हुआ था. लेकिन भूकंप के कारण यह प्राचीन नगर पूरी तरह से ध्वस्त हो गया. उसके बाद एक नये नगर की स्थापना हुई. जिसे आज विदिशा यानी भेलसा के नाम से जाना गया.
अलबरुनी की किताब में इसका इसका जिक्र
इतिहासकार अरविंद शर्मा ने कहा कि इसी भेलसा के अंदर बीजा मंडल नाम की इमारत हैं. जिस पर हिंदू और मुस्लिम दोनों ही अपना दावा करते हैं. उन्होंने अलबरुनी की किताब का जिक्र करते हुए कहा कि विजय मंदिर सौ गज ऊंचा था और यह तीन सौ मील दूर से दिखाई देता था. वहीं इस मंदिर को चर्चिका देवी का मंदिर भी कहा जाता है. उन्होंने जानकारी देते हुए कहा कि इन मंदिरों की स्थापना 10 से 11वीं शताब्दी में हुई है और इनका निर्माण परमार राजाओं द्वारा कराया गया था.
बीजा मंडल से पहले चर्चिका देवी मंदिर से थी इसकी पहचान
वरिष्ठ पत्रकार गोविंद सक्सेना का कहना है कि बीजा मंडल जोकी चर्चिका देवी के मंदिर नाम से जाना जाता था. आर्कियोलॉजी विभाग के अधीन आने के बाद इसे बीजा मंडल कहा जाना लगा है. बीजा मंडल को लेकर गोविंद सक्सेना ने बताया कि जब इस इमारत को लेकर विवाद होने लगा तो इसे जिला प्रशासन ने इसे आर्कियोलॉजी विभाग को सौंप दिया, जिसके बाद इसका नाम बदलकर बीजा मंडल रख दिया गया है.
औरंगजेब के काल में बीजा मंडल पर हुआ था हमला
किसी प्राकृतिक आपदा के कारण पूरा शहर ध्वस्त हो गया था. खुदाई में इस बीजा मंडल के अवशेष मिले थे. दूसरा पहलू यह भी माना जाता है 1233- 34 में औरंगजेब ने इस बीजा मंडल पर तोपों से हमला करके इस मंडल को तहस नहस करा दिया था. औरंगजेब के काल में इस बीजा मंडल की जगह एक विशाल मस्जिद का निर्माण कराया गया था. मस्जिद में मीनारों का निर्माण भी कराया गया था. बीजा मंडल कुछ समय तक मुस्लिम समुदाय के लिए इबादतगाह भी बना रहा. पुरातत्व के अधीन आ जाने से मंडल की खुदाई कराई गई. जिसमें कुछ हिन्दू धर्म की मूर्तियां खुदाई के दौरान मिली थी. जिसके बाद हिन्दू धर्म के लोगों ने मंदिर होने का दावा कर दिया. पुरातत्व विभाग ने हिन्दू-मुस्लिम विवाद को बढ़ाता देख बीजा मंडल को आम लोगों के लिए बंद कर दिया.
खुदाई से मिले शैलचित्र
बीजा मंडल की खुदाई का काम एक बार फिर दोबारा से शुरू किया गया है. वहीं सालों से बंद पड़े संग्रहालय को पर्यटन मंत्री प्रहलाद पटेल ने अपने प्रयासों से दोबारा शुरू कराया है. बीजा मंडल में जो खुदाई से मूर्ति पुरातन काल के शैलचित्र प्राप्त हुए हैं. उसे संग्रहालय में पर्यटकों के लिए रखा गया है. बीजा मंडल देश के साथ विदेशी पर्यटकों का आकर्षण का बड़ा केंद्र बना हुआ है.
प्राचीन काल की मिली दरवाजे की चौखट
बीजा मंडल में मानव और शेरों की मुखकृर्तियां को उकेरकर कई तरह की नक्काशी की गई थी. बीजा मंडल के दक्षिणी भाग के एक पुराने समय की चौखट भी मिली है. तमाम तरह के पुरातत्व विभाग को कई स्तम्भ भी मिले हैं. जो आज पुरातन काल की याद दिलाते हैं. बीजा मंडल के उत्तरी भाग में एक विशाल बाबड़ी भी बनी है, जिसे लोग अपने अपने नरिए से आंकते है. कोई मानता है इस बाबड़ी में कृष्ण लीलाओं का सुंदर अंकन दिखाई देता है तो कोई पानी की पूर्ति के लिए बाबड़ी को बताता है. विदिशा बीजा मंडल का बेहद खूबसूरत नजारा सुंदर सा बगीचा चारों तरफ पुरातन काल की मूर्ति अपने आप में लोगों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है.