उमरिया। युवा कांग्रेस ने बुधवार को केंद्र सरकार द्वारा लागू कृषि कानूनों को वापस लेने और जनविरोधी नीतियों के खिलाफ मशाल जुलूस निकाल कर प्रदर्शन किया. यह जुलूस जिला मुख्यालय केे जयस्तंभ से रवाना होकर गांधी चौक पहुंचा.
सोची समझी साजिश है कृषि कानून
इस दौरान केंद्र और मप्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की गई. कार्यक्रम के बाद जिला युवा कांग्रेस के अध्यक्ष विजेन्द्र सिंह (अब्बू) ने कहा कि केंद्र में बैठी मोदी सरकार अपने पूंजीपति मित्रों को लाभ पहुंचाने की सोची-समझी साजिश के तहत ये कृषि कानून लेकर आई है. ये काले कानून किसानों, मजदूरों के साथ व्यापारियों और अढ़तियों को भी तबाह कर देंगे. उन्होंने कहा कि किसानों की सुनने की बजाय सरकार उन पर लाठियां बरसा रही है. यदि कानून वापस नहीं लिये जाते तो कांग्रेस सड़कों पर उतरकर इसका विरोध करेगी.
ये रहे शामिल
कार्यक्रम मे जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष राजेश शर्मा, महामंत्री ठाकुरदास सचदेव, मो. शरीफ (लल्लू), अमृतलाल यादव, त्रिभुवन प्रताप सिंह, अशोक गौंटिया, सावित्री सिंह, दिशांक प्रताप सिंह, एरास खान, शकुंतला धुर्वे, संतोष सिंह, खुर्रम शहज़ादा, अयाज़ खान, राहुल सिंह, पुष्पेंद्र सिंह, अफजल खान, सुनील कोरी, लाल भवानी सिंह, रहीस, पुनीत सिंह, कृष्णा गुप्ता, शाश्वत सिंघई, सोमचंद वर्मा, अशोक गुप्ता, मोनू सहित सैकड़ों की संख्या मे युवा कांग्रेसजन एवं गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे.
सरकार और किसानों के बीच दिल्ली में हुई चर्चा
- केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने बुधवार को किसानों से हुई बातचीत के बाद कहा कि सरकार और किसान संगठनों के बीच हुई छठे दौर की वार्ता में बिजली संशोधन विधेयक 2020 और एनसीआर एवं इससे सटे इलाकों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के संबंध में जारी अध्यादेश संबंधी आशंकाओं को दूर करने को लेकर सहमति बन गई.
- तोमर ने किसान संगठनों से वार्ता के बाद यह दावा किया. हालांकि उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की किसान संगठनों की मांग एवं न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी देने का मुद्दे पर कोई सहमति नहीं बन सकी. उन्होंने कहा कि इन मुद्दों पर चार जनवरी को फिर चर्चा होगी.
- उन्होंने कहा, 'आज की बैठक में किसान यूनियन के नेताओं ने जो चार विषय चर्चा के लिए रखे थे, उनमें दो विषयों पर आपसी रजामंदी सरकार और यूनियन के बीच में हो गई है. पहला पराली जलाने से संबंधित कानून है. इस मुद्दे पर दोनों पक्षों में रजामंदी हो गई है.'
- उन्होंने कहा कि बिजली संशोधन विधेयक, जो अभी अस्तित्व में नहीं आया है, को लेकर किसानों को आशंका है कि इससे उन्हें नुकसान होगा.
- उन्होंने कहा, 'इस मांग पर भी दोनों पक्षों के बीच सहमति हो गई है. यानी 50 प्रतिशत मुद्दों पर सहमति हो गई है.'
- उन्होंने कहा, 'वार्ता बहुत ही सुखद वातावरण में संपन्न हुई. इससे दोनों पक्ष में अच्छे प्रकार के माहौल का निर्माण हुआ.'
- तोमर ने तीनों कानूनों को रद्द करने की किसान संगठनों की मांग पर कहा कि जहां-जहां किसानों को कठिनाई है वहां सरकार 'खुले मन' से चर्चा को तैयार है.
- उन्होंने बताया कि न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी दर्जा दिए जाने की किसान संगठनों की मांग पर कोई सहमति नहीं हो सकी.
- उन्होंने कहा, 'कानून और एमएसपी के विषय में चर्चा अभी पूर्ण नहीं हुई है. चर्चा जारी है. हम चार जनवरी को दो बजे फिर से मिलेंगे और इन विषयों पर चर्चा को आगे बढ़ाएंगे.'
- केंद्र ने सोमवार को आंदोलन कर रहे 40 किसान संगठनों को सभी प्रासंगिक मुद्दों का 'तार्किक हल' खोजने के लिए आज अगले दौर की बातचीत के लिए आमंत्रित किया था.
- सरकार और किसान संगठनों में पिछले दौर की वार्ता पांच दिसंबर को हुई थी. छठे दौर की वार्ता नौ दिसंबर को होनी थी, लेकिन इससे पहले गृह मंत्री शाह और किसान संगठनों के कुछ नेताओं के बीच अनौपचारिक बैठक में कोई सफलता न मिलने पर इसे रद्द कर दिया गया था.
- पंजाब, हरियाणा और देश के कुछ अन्य हिस्सों से आए हजारों किसान दिल्ली के निकट सिंघू बॉर्डर, टीकरी बॉर्डर और गाजीपुर बॉर्डर पर पिछले लगभग एक माह से प्रदर्शन कर रहे हैं. उनकी मांग है कि तीनों कृषि कानूनों को निरस्त किया जाए और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी दी जाए.